चंबल क्रिकेट लीग सीजन-2: कभी गोलियों की तड़तड़ाहट के लिए मशहूर था चंबल, आज युवा बल्ला उड़ा दिखा रहे हुनर
ब्यूरो: चंबल विद्यापीठ के सौजन्य से आयोजित 'चंबल क्रिकेट लीग सीजन-2' का आयोजन किया जा रहा है. जो की चंबल की एक बदली तस्वीर लोगों के सामने लाने का काम करेगा. ये आयोजन चंबल आश्रम हुकुमपुरा ग्राउंड में किया जाएगा. ये आश्रम यूपी और एमपी के बॉर्डर पर बना है. इस क्रिकेट लीग की शुरुआत 1 अप्रैल से हुई और अब ये 14 अप्रैल तक चलेगी.
बदल रही चंबल की तस्वीर
चंबल का नाम आते ही डाकुओं की याद ताजा हो जाती है, लेकिन अब ये चंबल की तस्वीर बदले वाली है. क्यों अब ये चंबल डाकुओं नहीं प्रतिभाओं का धनी भी होता जा रहा है.
डाकू की शरण स्थली के रूप में विख्यात रही चंबल घाटी
असल में कई दशकों तक चंबल घाटी में कुख्यात और खूंखार डाकुओं का आतंक रहा है. इस कारण चंबल घाटी के लोगों के मन में कहीं ना कहीं डाकुओं के प्रति लगाओ या समर्पण बना रहा है और इसी के चलते चंबल के कई युवाओं ने अपने हाथों में बंदूक थामना मुनासिब समझा, लेकिन इसके नतीजे में ऐसा देखा और समझा गया है कि जब युवाओं ने बंदूक थामी तो उन्हें पुलिस की कार्यवाहियों की जद में आना पड़ा है और जिसके कारण सैकड़ों युवाओं का जीवन तबाह होने के अलावा उनके परिवारों वालों को भी सालों साल अदालती प्रकिया से जूझते हुए परेशानी झेलनी पड़ी है.
दशकों तक कुख्यात डाकू की शरण स्थली के रूप में विख्यात रही चंबल घाटी के युवा अब बंदूक के बजाय दुनिया भर में लोकप्रिय खेल क्रिकेट के दीवाने बन गए हैं. चंबल हमेशा डकैतों के खून खराबे और गोलियों की तड़तड़ाहट के लिए मशहूर रहा है. दहशत के माहौल में युवाओं का हुनर दशकों पहले विलुप्त होने की कगार पर आ गया था, लेकिन जैसे जैसे पुलिस अभियानों के क्रम में डाकुओं का खात्मा हुआ तो चंबल में बदलाव की बयार भी देखी जाने लगी है और इस बदली हुई बयार के बीच युवाओं ने डाकूओं के आतंक से ना केवल निजात पाई बल्कि अपने आप को पूरी तरह से नए मिजाज में स्थापित करना मुनासिब समझा.
चंबल की वादियों में बसे ग्रामीण वासी ऐसा बताते हैं कि चंबल घाटी के युवा अब दुनिया भर में लोकप्रिय माने जाने वाले खेल क्रिकेट की ओर भी अच्छी खासी तादाद में आकर्षित हो रहे हैं. इसी वजह से युवा जगह-जगह जंगल में क्रिकेट की पिचों पर नजर आ रहे हैं यही नहीं लोगों को क्रिकेट खेलने और देखने के लिए भी आकर्षित कर रहे हैं. यही कारण है कि सैकड़ों गांवों के युवा अब क्रिकेट खेलते हुए देखे जा रहे है, चंबल के युवाओं को क्रिकेट खेलते हुए देखकर के गांव के बुजुर्ग महिलाएं भी उनका उत्साहवर्धन करती हुई देखी जा रही है.
युवाओं में दिख रहा जोश
इस आयोजन को लेकर युवाओं में इतना जोश था कि उन्होंने एक जुट हो खुद ही बीहड़ में रास्ता बनाया और मैदान की विधिवत सफाई के बाद पिच भी बना ली गई है. एक अप्रैल को चंबल अंचल के भगत सिंह कहे जाने वाले शहीद डॉ. महेशचंद्र सिंह चौहान की शहादत दिवस पर चंबल क्रिकेट लीग शुरू हुई.
चंबल क्रिकेट लीग-2 में औरैया, इटावा, जालौन और भिंड जनपदों की टीमें भाग ले रही है. चंबल क्रिकेट लीग को लेकर खेल प्रेमियों में खासा उत्साह नजर आ रहा है. चंबल क्रिकेट लीग-2 आयोजन के मुख्य सूत्रधार क्रांतिकारी लेखक डॉ. शाह आलम राना ने बताया कि इस लीग से घाटी की सकारात्मक पहचान बनी है। इस बार यह आयोजन जन सहयोग और साथियों के श्रम सहयोग से अधिक भव्यता के साथ शुरू हो गया है.
चंबल विद्यापीठ के संस्थापक डॉ. शाह आलम राना ने बताया कि इस लीग से चंबल घाटी की सकारात्मक छवि बन रही है. औरैया, इटावा, जालौन और भिंड जिला मुख्यालय से समान दूरी पर हुकुमपुरा स्थित चंबल आश्रम सामाजिक सांस्कृतिक गतिविधि का केंद्र बन रहा है. बिलौड पंचायत का हुकुमपुरा गांव कभी कुख्यात दस्यु सरगना सलीम गुर्जर उर्फ पहलवान की वजह से सुर्खियों में रहा है. अब बदलाव की नई बयार बह रही है. इस बार भी यह आयोजन जन सहयोग और साथियों के श्रम सहयोग से ऐतिहासिक होगा.