सोनिया का आशीर्वाद, अखिलेश की मौजूदगी... डिंपल ने ली सांसद पद की शपथ

By  Mohd. Zuber Khan December 12th 2022 02:01 PM

दिल्ली/लखनऊ: मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में प्रचंड जीत हासिल करने के बाद समाजवादी पार्टी की सांसद डिंपल यादव ने संसद सदस्य के बतौर पर शपथ ले ली है। आपको बता दें कि डिंपल यहां अपने पति और समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव के साथ आईं थीं। इस दौरान सपा के पूर्व सांसद धर्मेंद्र यादव भी मौजूद रहे। जानकारी के मुताबिक़, शपथ लेने के बाद डिंपल ने कांग्रेस नेता सोनिया गांधी के पैर छूकर उनका आशीर्वाद भी लिया।

गौरतलब है कि मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव में सपा उम्मीदवाप डिंपल यादव ने अपने नज़दीकी प्रतिद्वंद्वी भाजपा के रघुराज सिंह शाक्य को दो लाख 88 हज़ार 461 मतों से हराकर यह सीट सपा के पास बरक़रार रखी है। डिंपल ने छह लाख 18 हज़ार 120 मत हासिल किए जबकि शाक्य को तीन लाख 29 हज़ार 659 वोट मिले।

याद रहे कि मैनपुरी लोकसभा सीट सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के निधन की वजह से खाली हुई थी। इस सीट के उपचुनाव के लिए पांच दिसंबर को मतदान हुआ था। समाजवादी पार्टी ने सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव की पत्नी डिंपल को मैनमुरी में दिवंगत नेताजी मुलायम सिंह यादव की पुश्तैनी सीट की विरासत को क़ायम रखने के लिए इस इम्तिहान में उतारा था। डिंपल यादव ने केवल सपा आलाकमान की उम्मीदों पर खरा उतरने में कामयाब रही, बल्कि यादव परिवार को एक करने में भी बड़ी भूमिका निभाई, नतीजत शिवपाल यादव को अपनी प्रसपा का विलय सपा में करना पड़ा।

आपको बता दें कि मैनपुरी लोकसभा सीट से सपा की यह चौथी सबसे बड़ी जीत है। इस सीट से सबसे ज़्यादा मतों से चुनाव जीतने का रिकॉर्ड सपा संस्थापक मुलायम सिंह यादव के नाम है। साल 2014 के लोकसभा चुनाव में मुलायम सिंह यादव ने अपने भाजपा के शत्रुघ्न सिंह चौहान को तीन लाख 64 हज़ार 666 मतों से पराजित किया था।

इससे पहले वर्ष 2004 के लोकसभा चुनाव में भी मुलायम सिंह यादव तीन लाख से ज़्यादा वोटों से जीतने में कामयाब रहे थे। उस चुनाव में उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के अशोक शाक्य को 37 हज़ार 870 मतों से हराया था। उस दौर में नेताजी मुलायम सिंह यादव ने मैनपुरी और आज़मगढ़, दोनों ही सीटों से लोकसभा चुनाव जीते थे। बाद में उन्होंने मैनपुरी सीट छोड़ दी थी, जिस पर हुए उपचुनाव में उनके पौत्र तेज प्रताप सिंह यादव भी तीन लाख से ज़्यादा मतों से जीते थे। उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी भाजपा के प्रेम सिंह शाक्य को तीन लाख 21 हज़ार 249 वोटों से हराया था। हालांकि उस वक्त प्रदेश में सपा की सरकार थी।

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