सीधी बुवाई, दोगुनी कमाई: योगी सरकार का किसानों को सशक्त बनाने का मिशन

By  Mangala Tiwari May 29th 2025 04:15 PM

Lucknow: केंद्र और उत्तर प्रदेश की योगी सरकार किसानों की आय बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। इसका सबसे प्रभावी उपाय है कम लागत में अधिक उत्पादन। इस लक्ष्य को साकार करने के लिए केंद्र सरकार ने "विकसित कृषि संकल्प अभियान" शुरू किया है, जिसके खरीफ सीजन से लाभ मिलने की उम्मीद है। योगी सरकार भी इस अभियान को सफल बनाने के लिए पूरी ताकत से जुटी है।


खरीफ की प्रमुख फसल धान की खेती श्रमसाध्य और खर्चीली होती है। नर्सरी तैयार करने से लेकर रोपाई, फसल सुरक्षा, कटाई और मड़ाई तक में काफी लागत आती है। विशेषज्ञों का कहना है कि गेहूं की तरह धान की सीधी बुवाई से नर्सरी और पलेवा का खर्च बचा जा सकता है। जीरो सीड ड्रिल और हैप्पी सीडर जैसी मशीनों से बुवाई आसान होने के साथ-साथ खाद और बीज एकसाथ डालने से पौधों को पोषक तत्व बेहतर मिलते हैं। लाइन में उगने वाली फसल की देखभाल भी आसान होती है। योगी सरकार किसानों को लाइन बुवाई के फायदों के प्रति जागरूक कर रही है और उपयुक्त फसलों के लिए लाइन या बेड बुवाई को प्रोत्साहित कर रही है। इसके लिए सरकार कृषि यंत्रों पर 50% तक अनुदान भी दे रही है।


सीधी बुवाई से प्रति हेक्टेयर 12,500 रुपये की बचत:


गोरखपुर के कृषि विज्ञान केंद्र (केवीके) बेलीपार के प्रभारी डॉ. एस.के. तोमर और मनोज कुमार के अनुसार, सीधी बुवाई से उपज पर कोई असर नहीं पड़ता, बल्कि प्रति हेक्टेयर 12,500 रुपये की लागत कम हो जाती है। सही तकनीक अपनाने पर पारंपरिक विधि से अधिक उत्पादन भी संभव है।



खेत की तैयारी और बुवाई का सही समय:


सीधी बुवाई के लिए खेत की समतलन (लेवलिंग) जरूरी है, जिसमें लेजर लेवलर का उपयोग आदर्श है। इससे बीज की बुवाई एकसमान होती है और सिंचाई में पानी की बचत होती है। धान की सीधी बुवाई के लिए 10-20 जून का समय सबसे उपयुक्त है। बाढ़ प्रभावित क्षेत्रों में पहले बुवाई करें, ताकि पौधों की जड़ें मजबूत हो सकें। बेहतर अंकुरण के लिए खेत में पर्याप्त नमी जरूरी है।



बीज और खाद का सही अनुपात:


मध्यम और मोटे दाने वाले धान के लिए 35 किग्रा, महीन धान के लिए 25 किग्रा और संकर प्रजातियों के लिए 8 किग्रा बीज प्रति हेक्टेयर पर्याप्त है। उच्च उपज के लिए एनपीके (नाइट्रोजन, फास्फोरस, पोटाश) का अनुपात 150:60:60 किग्रा प्रति हेक्टेयर होना चाहिए। बुवाई के समय 130 किग्रा डीएपी का उपयोग करें और बाकी खाद को दो-तीन हिस्सों में बांटकर सिंचाई से पहले या बाद में डालें। बीज-जनित रोगों से बचाव के लिए प्रति किग्रा बीज को 3 ग्राम कार्बेडाजिम से उपचारित करें। बुवाई में बीज की गहराई 2-3 सेंटीमीटर रखें, क्योंकि अधिक गहराई अंकुरण को प्रभावित करती है।



खरपतवार नियंत्रण पर विशेष ध्यान:


खरीफ सीजन में खरपतवार फसलों को काफी नुकसान पहुंचाते हैं। बुवाई के 24 घंटे बाद नमी की स्थिति में पैडी मिथेलीन 30 ईसी (3.3 लीटर) को 600 लीटर पानी में मिलाकर शाम को छिड़काव करें। बुवाई के 25 दिन बाद विस्पैरी बैक सोडियम (नोमिनीगोल्ड) या एडोरा (100 मिली प्रति एकड़) को 150 लीटर पानी में मिलाकर छिड़काव करें, इससे चौड़ी पत्ती और घास कुल के खरपतवार नियंत्रित होते हैं। मोथा के लिए इथोक्सी सल्फ्यूरान (सनराइस) 50-60 ग्राम को पानी में घोलकर 25 दिन बाद छिड़काव करें।

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