सीएम योगी के नेतृत्व में बढ़ रही यूपी में हरियाली, इस वर्ष भी लगाए जाएंगे 35 करोड़ पौधे

By  Mangala Tiwari May 27th 2025 08:26 PM

Lucknow: सीएम योगी के नेतृत्व में उत्तर प्रदेश शहरी हरित विकास की दिशा में नया कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। राज्य के नगर निकायों में मियावाकी तकनीक के माध्यम से 24.7 लाख से अधिक पौधे लगाए गए हैं, जिससे 926082 वर्ग मीटर से अधिक क्षेत्र को हरित कवर मिला है। नगर विकास विभाग के नेतृत्व में संचालित यह अभूतपूर्व पहल 762 नगरीय निकायों—17 नगर निगम, 200 नगर पालिकाएं और 545 नगर पंचायतों में शहरी क्षेत्रों को हरियाली से संवारने का कार्य कर रही है।


इस अभियान में कानपुर नगर निगम ने सर्वाधिक 6,76,600 पौधों के साथ 2,13,997.77 वर्ग मीटर क्षेत्र को हरित किया है। इसके बाद गाजियाबाद नगर निगम ने 3,43,461 पौधे (1,54,832.73 वर्ग मीटर) और मुरादाबाद नगर निगम ने 2,85,000 पौधे (59,691.132 वर्ग मीटर) लगाए हैं।

प्रयागराज नगर निगम ने 2,56,262 पौधे लगाकर सबसे बड़े क्षेत्रफल—71,427.016 वर्ग मीटर—को हरित किया है| 


अन्य प्रमुख नगर निगमों का योगदान:


वाराणसी नगर निगम: 1,76,246 पौधे (23,552.7 वर्ग मीटर)

लखनऊ नगर निगम: 1,57,600 पौधे (45,324.79 वर्ग मीटर)

सहारनपुर नगर निगम: 1,09,149 पौधे (49,695.397 वर्ग मीटर)

गोरखपुर नगर निगम: 1,05,000 पौधे (30,351.4 वर्ग मीटर)


छोटे नगर निगमों ने भी उल्लेखनीय योगदान दिया:


झांसी: 78,850 पौधे (18,372.73 वर्ग मीटर)

बरेली: 66,437 पौधे (18,858.35 वर्ग मीटर)

आगरा: 52,500 पौधे (13,233.22 वर्ग मीटर)

फिरोजाबाद: 33,793 पौधे (9,671.987 वर्ग मीटर)

मेरठ: 25,000 पौधे (182,109 वर्ग मीटर)


छोटे नगरों में भी उत्साहजनक सहभागिता देखने को मिली:


मथुरा: 18,000 पौधे (4,775.291 वर्ग मीटर)

अयोध्या: 8,300 पौधे (2,257.74 वर्ग मीटर)

अलीगढ़: 6,550 पौधे (1,821.085 वर्ग मीटर)

शाहजहांपुर: 4,300 पौधे (4,419.16 वर्ग मीटर)


रायबरेली: छोटे नगरों के लिए आदर्श:


नगर पालिका परिषद रायबरेली ने 7,000 पौधे लगाकर 19,991.47 वर्ग मीटर क्षेत्र में प्रति पौधा औसतन 2.86 वर्ग मीटर क्षेत्र कवर किया है। इस पहल में नगर पालिका परिषद ने यह साबित किया है कि सीमित संसाधनों के बावजूद छोटे निकाय भी योजना और सामुदायिक भागीदारी से बड़े बदलाव ला सकते हैं।


शहरी पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान:


तेजी से बढ़ते शहरीकरण को देखते हुए उत्तर प्रदेश सरकार ने हरित क्षेत्र के विस्तार को प्राथमिकता दी है। 2036 तक राज्य की शहरी आबादी 6.73 करोड़ होने का अनुमान है, जिसे ध्यान में रखते हुए नगर विकास विभाग द्वारा मियावाकी वृक्षारोपण से जलवायु परिवर्तन से निपटने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।


नगर विकास विभाग के प्रमुख सचिव ने बताया, “उत्तर प्रदेश की उपजाऊ मिट्टी, जल संसाधनों की प्रचुरता और समतल भू-आकृति इसे शहरी हरियाली के लिए उपयुक्त बनाती है। राज्य में 4,250 प्रकार की एंजियोस्पर्म प्रजातियां पाई जाती हैं, जो भारत की कुल पुष्प प्रजातियों का एक चौथाई हिस्सा हैं।” हमारे सभी नगर निगमों में यह पहल की गयी। अन्य निकाय भी विभाग द्वारा संचालित उपवन योजना में मियावाकी पद्धति से शहरी हरियाली को बढ़ावा दे रही हैं| 


मियावाकी तकनीक: घने, आत्मनिर्भर वन


जापानी मियावाकी पद्धति से विकसित जंगल पारंपरिक पौधरोपण की तुलना में 10 गुना तेज़ी से बढ़ते हैं और 3 वर्षों में आत्मनिर्भर हो जाते हैं। यह तकनीक शहरी क्षेत्रों में जैव विविधता को बनाए रखते हुए घने जंगल विकसित करने में सक्षम है।

शहरी क्षेत्रों के लिए यह तकनीक विशेष रूप से उपयोगी है, जहाँ भूमि सीमित होती है लेकिन पर्यावरणीय दबाव अधिक होता है। उत्तर प्रदेश ने इस तकनीक को अपनाकर यह दिखा दिया है कि सीमित संसाधनों में भी पर्यावरण संरक्षण और जलवायु संतुलन को संभव बनाया जा सकता है।


उपवन योजना: भविष्य की दिशा

उत्तर प्रदेश सरकार ने उपवन योजना शुरू की है, जिसके तहत पहले चरण में 32 एकड़ अतिरिक्त मियावाकी शहरी पार्क विकसित किए जा रहे हैं। यह योजना अब नगर निगमों से आगे बढ़कर चुनी हुई नगर पालिकाओं और नगर पंचायतो तक विस्तारित की जा रही है, जिससे राज्य के हर शहरी क्षेत्र में हरियाली का समावेश सुनिश्चित हो सके।


योजना के अंतर्गत प्रत्येक शहर में स्थान की उपलब्धता, जनसंख्या घनत्व और पारिस्थितिकी तंत्र की जरूरतों को ध्यान में रखते हुए मियावाकी स्थलों का चयन किया जा रहा है। इसके साथ ही स्थानीय नागरिकों की भागीदारी, स्कूलों, सामाजिक संस्थाओं और स्वयंसेवी संगठनों को भी वृक्षारोपण व रख-रखाव में सम्मिलित किया जा रहा है। इससे न केवल जैव विविधता बढ़ेगी, बल्कि स्थानीय समुदाय में पर्यावरण के प्रति चेतना और जिम्मेदारी की भावना भी उत्पन्न होगी।


भारत के कुल 2,40,928 वर्ग किलोमीटर क्षेत्रफल का 7.3% हिस्सा उत्तर प्रदेश में आता है। इस लिहाज से यह हरित पहल न केवल राज्य के लिए बल्कि वैश्विक पर्यावरण संरक्षण के लिए भी महत्वपूर्ण योगदान है। यह पहल UDPFI दिशा-निर्देशों के अनुरूप है।


उत्तर प्रदेश की यह मियावाकी वृक्षारोपण पहल न केवल पर्यावरणीय दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह भविष्य के लिए सतत, हरित और स्वच्छ शहरों की नींव रखती है। बड़ी महानगरपालिकाओं से लेकर छोटे नगर निकायों तक इस समावेशी दृष्टिकोण से राज्य की 4.45 करोड़ शहरी आबादी को बेहतर जीवनशैली, स्वच्छ वायु और जैव विविधता का समृद्ध वातावरण मिल रहा है।

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