28 महीने बाद लखनऊ जेल से रिहा हुए केरल के पत्रकार सिद्दीक़ी कप्पन
लखनऊ: केरल के पत्रकार सिद्दीक़ी कप्पन को ज़मानत के लिए अदालत में बंध पत्र पेश करने के एक दिन बाद गुरुवार (2 फरवरी) को जेल से रिहा कर दिया गया। एक अधिकारी ने बताया कि लखनऊ की विशेष पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) अदालत में बुधवार को एक-एक लाख रुपये के दो बंध पत्र दाखिल किए गए थे।
जेल से बाहर निकलने के बाद कप्पन ने पत्रकारों से बात करते हुए कहा, 'मैं 28 महीने बाद जेल से बाहर आया हूं, मैं काफी संघर्ष के बाद बाहर आया हूं, मैं ख़ुश हूं, मीडिया का बहुत समर्थन मिला।'
यह पूछे जाने पर कि वह वहां (हाथरस) क्यों गए थे, कप्पन ने कहा कि वह वहां 'रिपोर्टिंग' करने गए थे. अपने साथ वालों के बारे में कप्पन ने कहा कि वो छात्र थे।
बरामदगी पर कप्पन ने कहा, 'कुछ नहीं...मेरे पास केवल एक लैपटॉप और मोबाइल था।' उनके पास से कुछ (आपत्तिजनक) सामग्री मिलने की ख़बरों पर कप्पन ने कहा कि उनके पास 'दो पेन और एक नोटपैड' था।
उल्लेखनीय है कि सिद्दीक़ी कप्पन को अक्टूबर 2020 में गिरफ़्तार किया गया था। वे हाथरस कथित सामूहिक बलात्कार और अनुसूचित जाति की 20 वर्षीय लड़की की मौत की रिपोर्टिंग करने के लिए जा रहे थे।
पुलिस ने सिद्दीक़ी कप्पन पर क्या आरोप लगाए?
पुलिस ने सिद्दीक़ी कप्पन पर आरोप लगाया कि वो वहां पर अशांति फैलाने के लिए जा रहे थे। उत्तर प्रदेश पुलिस ने सिद्दीक़ी कप्पन पर देशद्रोह और कड़े आतंकवाद विरोधी क़ानून यूएपीए (UAPA) के तहत आरोप लगाया। फरवरी 2022 में प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने उनके ख़िलाफ़ प्रतिबंधित पीपुल्स फ्रंट ऑफ इंडिया (PFI) से धन प्राप्त करने का आरोप लगाते हुए मनी लॉन्ड्रिंग का मामला भी दर्ज किया।
पुलिस के दावों को कप्पन ने किया सिरे से खारिज
हालांकि, पिछले साल सितंबर में उन्हें आतंकी मामले में और दिसंबर में मनी लॉन्ड्रिंग मामले में ज़मानत मिल गई थी। हैरानी की बात है सिद्दीक़ी कप्पन को ज़मानत देने में फिर भी काफी समय लग गया। पुलिस ने दावा किया कि सिद्दीक़ी कप्पन और उसके साथ गिरफ़्तार किए गए अन्य लोग प्रतिबंधित पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया और उसकी छात्र शाखा कैंपस फ्रंट ऑफ इंडिया के सदस्य हैं। हालांकि, कप्पन ने आतंकी गतिविधियों या वित्तपोषण में किसी भी तरह की संलिप्तता से इंकार किया है।
-PTC NEWS