मैनपुरी उपचुनाव : यादव-मुस्लिम पुलिसकर्मियों की नहीं लगी ड्यूटी, वायरल लिस्ट से बरपा हंगामा
लखनऊ: मैनपुरी उपचुनाव के लिए 5 दिसंबर को वोटिंग होनी है, जबकि 8 दिसंबर को नतीजे हम-सबके सामने आ जाएंगे, लेकिन उससे पहले ही मैनपुरी में हंगामा बरपा हो गया है। दरअसल पुलिस-प्रशासन ने चुनाव कराने के लिए अपने तौर पर इंतज़ाम करने शुरू कर दिए हैं। इसी कड़ी में सुरक्षा के मद्देनज़र पुलिसकर्मियों की ड्यूटी भी लगाई जा रही हैं, जिस पर समाजवादी पार्टी ने सख़्त लहजे में एतराज़ जताया है।
जानकारी के मुताबिक़ पुलिसकर्मियों की इस सूची में क़रीब 500 पुलिसकर्मियों के नाम हैं, साथ में एक कॉलम में उनकी जाति का ब्यौरा भी दर्ज है। अब ये महज़ इत्तेफाक़ है या नहीं, इस बात का ख़ुलासा तो यूपी पुलिस महकमा ही कर सकता है, लेकिन इन 500 पुलिसकर्मियों में से कोई भी पुलिसकर्मी यादव और मुस्लिम समुदाय से नहीं है। इस लिस्ट के जारी होने के बाद ही समाजवादी पार्टी के कार्यकर्ताओं और नेताओं ने आपत्ति जताते हुए, इस लिस्ट की निष्पक्षता पर सवाल खड़ने शुरू कर दिए हैं। इस सूची ने ख़ासतौर पर मैनपुरी में सियासी पारा बढ़ा दिया है। अब 500 पुलिसकर्मियों की ये फेहरिस्त सोशल मीडिया पर भी जमकर वायरल हो रही है।
ड्यूटी में जाति के दखल का आरोप:
इस बाबत इटावा के सपा नेता और ज़िला पंचायत सदस्य सचिन यादव ने आपत्ति जताते हुए कहा है कि 'भारतीय जनता पार्टी की सरकार मैनपुरी चुनाव जीतने के लिए तरह-तरह के हथकंडे अपना रही है, सचिन यादव का आरोप है कि एक सूची जो वायरल हो रही है उसमें पुलिसकर्मियों की जातियों के आधार पर ड्यूटी लगाई गई है।उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी की सरकार निष्पक्ष चुनाव न कराकर बेईमानी करना चाहती है, सरकारी व्यवस्थाओं का दुरुपयोग किया जा रहा है, ये एक तरह से बीजेपी की बौखलाहट को दिखाता है।
समाजवादी पार्टी के नेता और पूर्व नगर अध्यक्ष नफ़ीस उल हसन अंसारी ने भी एतराज़ जताते हुए कहा कि 'पुलिसकर्मियों की ड्यूटी जाति से पहचान कर कर लगाई गई है, ऐसा पहले कभी नहीं हुआ है।
वहीं, समाजवादी पार्टी के नेता महेश सिंह यादव ने आरोप लगाते हुए कहा कि 'पुलिस में हर धर्म, हर जाति का आदमी होता है, पुलिस के अधिकारियों की जो मानसिकता है वह ग़लत है, मुस्लिम और यादवों को ड्यूटी से दूर रखकर अच्छा नहीं किया जा रहा है'।
हालांकि योगी सरकार की तरफ़ से समाजवादी पार्टी के इन आरोपों के बाबत अभी तक कोई बड़ी प्रतिक्रिया सामने नहीं आई है, ऐसे में क्या 500 पुलिसकर्मियों कि इस लिस्ट में कुछ फेरबदल होगा या नहीं, इस पर फिलहाल कुछ भी कहना जल्दबाज़ी होगी, लेकिन इस बात से इंकार नहीं किया जा सकता कि इस लिस्टिंग से बीजेपी और सपा नेताओं की रार अपनी जगह, मगर इस सूची से मैनपुरी के मतदाताओं के मिज़ाज में भी तब्दीली देखने को मिल सकती है।