लखनऊ: आगामी त्योहारों को लेकर प्रशासन ने कसी कमर, सीएम ने अधिकारियों को दिए निर्देश
लखनऊ: त्योहारों का सीजन शुरू होने वाला है. वहीं त्योहारों में लोगों की खुशियों में किसी तरह का कोई खलल न पड़े इसे लेकर सरकार और प्रशासन अभी से सतर्क हो गए हैं. सीएम योगी ने त्योहारों के मद्देनजर अधिकारियों को निर्देश दे दिए हैं.
दरअसल, सोमवार को कानून व्यवस्था को बनाए रखने के लिए अधिकारियों के साथ समीक्षा बैठक की. बैठक में त्योहारों के मद्देनजर की गई तैयारियों को लेकर चर्चा हुई. इस बैठक में पुलिस आयुक्त, मंडलायुक्त, जिला मजिस्ट्रेट और पुलिस अधीक्षक शामिल हुए. सीएम ने अधिकारियों को निर्देश दिए कि अधिकारियों को लोगों की समस्याओं को जल्द से जल्द दूर करना चाहिए और कार्रवाई में कोई देरी नहीं होनी चाहिए. साथ ही समाधान के लिए एक तंत्र विकसित करना होगा. जहां जिला स्तर पर जनसुनवाई हो सके.
मुख्यमंत्री ने कहा कि त्योहार का समय कानून-व्यवस्था की दृष्टि से संवेदनशील होता है. इसलिए हमें निरंतर सतर्क और सावधान रहना होगा. प्रत्येक त्यौहार शांति एवं सौहार्दपूर्ण ढंग से मनाये जाने के लिए स्थानीय आवश्यकताओं को ध्यान में रखते हुए सभी आवश्यक प्रयास किये जाएं. लापरवाही से छोटी सी घटना बड़े विवाद का रूप ले सकती है. ऐसे में अतिरिक्त सतर्कता जरूरी है.
राखी के दिन फ्री होगी बस सेवा
सीएम योगी ने कहा कि प्रदेश में रक्षाबंधन के मौके पर 14 शहरों में 30 अगस्त की रात 12 बजे से 31 अगस्त की रात 12 बजे तक महिलाओं को सरकारी नगरीय बसों में मुफ्त यात्रा की सुविधा मिलेगी. सीएम ने कहा कि सुनिश्चित करें कि ड्राइवर या कंडक्टर नशे में न हो और बसें अच्छी स्थिति में हों.
इसके अलावा सीएम ने स्थानीय पुलिस स्टेशनों से लेकर जिला, रेंज और जोन स्तर तक के वरिष्ठ अधिकारियों को सभी स्थानों पर महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करने की जिम्मेदारी सौंपी गई है. महिलाओं की सुरक्षा के लिए खतरा पैदा करने वाले किसी भी व्यक्ति के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जानी चाहिए.
राखी के बाद श्री कृष्ण जन्माष्टमी का तैयारी
वहीं रक्षा बंधन के त्योहार के बाद प्रशासन को श्री कृष्ण जन्माष्टमी के लिए भी तैयार होना होगा. सीएम ने श्री कृष्ण जन्माष्टमी को लेकर भी अधिकारियों को निर्देश दिए. सीएम कहा कि श्री कृष्ण जन्माष्टमी के अवसर पर राज्य भर में 1,256 जुलूस निकाले जाएंगे और चेहल्लुम के लिए 3,005 परेड निकलेंगी. इस पर पहले आयोजकों और धर्मगुरुओं से चर्चा होनी चाहिए. केवल पारंपरिक जुलूसों और परेडों की अनुमति दें.