Milkipur By Election 2024: मिल्कीपुर सीट-बीजेपी की प्रतिष्ठा का सवाल

By  Md Saif November 28th 2024 05:13 PM -- Updated: November 28th 2024 05:15 PM

ब्यूरो: Milkipur By Election 2024: यूपी में हालिया संपन्न उपचुनाव में सात सीटें जीतने वाली बीजेपी की निगाहें अभी भी एक और सीट पर टिकी हुई हैं। ये सीट है अयोध्या जिले की मिल्कीपुर विधानसभा सीट। विधिक वजहों से अटक गए यहां के उपचुनाव की राह की अड़चने अब साफ हो गई हैं। दरअसल, आम चुनाव में राम मंदिर और हिंदुत्व के मुद्दे से जुड़ी अयोध्या संसदीय सीट पर मिली शिकस्त से आहत बीजेपी खेमा अब इस विधानसभा सीट को अपने खाते में दर्ज करने को बेताब है। मिल्कीपुर सीट पर मिली जीत बीजेपी के लिए प्रतीकात्मक तौर से अहम होगी तो इससे पार्टी को विपक्षी नैरेटिव के खिलाफ मनोवैज्ञानिक बढ़त पाने की भी उम्मीदें हैं।

   

अदालत में याचिका लंबित होने की वजह से टल गया था मिल्कीपुर सीट का उपचुनाव

बीते महीने 15 अक्टूबर को निर्वाचन आयोग ने यूपी की नौ विधानसभा सीटों के चुनाव का तो ऐलान कर दिया था लेकिन अयोध्या की मिल्कीपुर सीट के उपचुनाव को टाल दिया गया था। चुनाव टलने पर सपा  सुप्रीमो अखिलेश यादव ने बीजेपी का नाम लिए बिना तंज कसते हुए एक्स पर पोस्ट की थी, “जिसने जंग टाली है, समझो उसने जंग हारी है”। दरअसल, तब चुनाव टालने के फैसले के पीछे निर्वाचन आयोग ने दलील थी कि इस सीट से संबंधित याचिका हाईकोर्ट में लंबित है इसलिए यहां के चुनाव के बाबत फैसला नहीं लिया गया। मिल्कीपुर के पूर्व विधायक गोरखनाथ ने साल 2022 का विधानसभा चुनाव हार गए थे। इसके बाद उन्होंने सपा के अवधेश प्रसाद के निर्वाचन को उनके नामांकन की विसंगतियों को लेकर चुनौती दी थी। गोरखनाथ की याचिका में कहा गया था कि नामांकन करते वक्त अवधेश के हलफनामा नोटरी की डेट एक्सपायरी थी इसलिए नामांकन खारिज होना चाहिए। हालांकि बीते दिनों गोरखनाथ के अधिवक्ता द्वारा याचिका वापसी के प्रार्थना पत्र पर सुनवाई करते हुए हाईकोर्ट ने याचिका को डिसमिस कर दिया था। इसके बाद यहां उपचुनाव की राह साफ हो गई।

  

साल 2022 के विधानसभा चुनाव में सपा के अवधेश प्रसाद ने इस सीट को जीता था

यूपी की मौजूदा विधानसभा के चुनाव में भले ही बीजेपी की प्रचंड जीत हुई हो लेकिन मिल्कीपुर विधानसभा क्षेत्र से सपा के अवधेश प्रसाद ने दूसरी बार जीत दर्ज की थी। यहां के कुल 460 बूथों पर हुई वोटिंग में सपा प्रत्याशी अवधेश प्रसाद को 1,03,905 वोट हासिल हुए थे। बीजेपी प्रत्याशी गोरखनाथ बाबा को 90,567 वोट मिले थे। जबकि बीएसपी की मीरा देवी 14,427 वोट और कांग्रेस के बृजेश कुमार रावत 3,166 वोट ही पा सके थे। इस चुनाव में 1969 वोटरों ने नोटा का बटन दबाया था। सपा ने 13,338 वोटों से ये सीट जीत ली थी।

 

याचिका वापसी के बाद अब आयोग मिल्कीपुर सीट के उपचुनाव पर लेगा फैसला 

यूपी के मुख्य निर्वाचन अधिकारी द्वारा हाई कोर्ट द्वारा याचिका डिसमिस होने की सूचना निर्वाचन आयोग को भेजी गई है। जल्द ही इस सीट पर उप चुनाव का कार्यक्रम निर्वाचन आयोग घोषित करेगा। चूंकि इस सीट पर उप चुनाव से संबंधित सभी प्रशासनिक तैयारियां जिला प्रशासन पहले ही संपन्न कर चुका है लिहाजा यहां चुनाव की तारीख के ऐलान के बाद बस तैयारियों की औपचारिकताएं ही पूर्ण करनी होगी। चूंकि सांसद चुने जाने के बाद अवधेश प्रसाद ने 13 जून को विधानसभा की सदस्यता से त्यागपत्र दिया था। आगामी 12 दिसंबर को उनके त्यागपत्र के छह महीने पूरे हो जाएंगे। जिसमें अब दो हफ्ते ही शेष हैं। ऐसे में दिसंबर के पहले हफ्ते में ही चुनाव की तारीखों का ऐलान करना होगा। जनवरी महीने तक यहां चुनाव कराए जाने की संभावना है।

  

मिल्कीपुर विधानसभा की अहमियत के पीछे जुड़े सियासी समीकरण

गौरतलब है कि इस साल लोकसभा चुनाव नतीजे आने के बाद 25 जून को जब सपा मुखिया अखिलेश यादव पहली बार संसद पहुंचे तो उनके हाथ में संविधान तो दूसरे हाथ में फैजाबाद(अयोध्या) सांसद अवधेश प्रसाद का हाथ था। विपक्षी दिग्गज सोनिया गांधी और राहुल गांधी ने भी आगे बढ़कर अवधेश प्रसाद का खैरमकदम किया था। विपक्षी नेताओं के इस गर्मजोशी भरे रवैये के पीछे वजह थी वह फैजाबाद सीट जिसमें धर्मनगरी अयोध्या शामिल है। वह अयोध्या जिसने बीजेपी के उत्कर्ष की पटकथा रचने में निर्णायक किरदार निभाया।  22 जनवरी 2024 को इसी अयोध्या में रामलला की प्राण प्रतिष्ठा के भव्य आयोजन के बाद बीजेपी देश भर में पताका फहराने का सपना संजोए थी। पर यहां मिली हार ने विपक्ष को बीजेपी को घेरने का अवसर दे दिया। राम मंदिर मुद्दे के प्रभावहीन होने और हिंदुत्व के कार्ड के कमजोर होने के नैरेटिव को गढ़ने का विपक्ष को मौका मिल गया था। इसी हार की टीस मिटाने के लिए बीजेपी ने अयोध्या की मिल्कीपुर सीट और इससे जुड़ी कटेहरी सीट पर जीत पाने की रणनीति बनाई। इन दोनों सीटों का जिम्मा खुद सीएम योगी आदित्यनाथ ने संभाला।

 

कारगर जातीय फार्मूले से ही जुड़ी है मिल्कीपुर सीट पर जीत की संभावना 

अनुसूचित जाति के लिए सुरक्षित इस सीट पर तकरीबन साढ़े तीन लाख वोटर हैं। जिनमें से सवा लाख के करीब दलित बिरादरी के वोटर हैं। 60 हजार यादव और 30 हजार मुस्लिम वोटर हैं। एमवाई यानि मुस्लिम-यादव समीकरण वाले बेस वोटरो को साथ लेकर अखिलेश यादव ने अवधेश प्रसाद पर दांव लगाया। इस फार्मूले से लामबंद हुए दलित वोटरों को साधकर सपा ने जीत की इबारत लिख दी। वैसे  भी यहां के जातीय समीकरणों का ही असर रहा कि इस सीट पर अब तक हुए दो उपचुनाव सहित 17 चुनावों में सर्वाधिक पांच बार जीत सपा के खाते में दर्ज हुई। बीजेपी महज दो बार ही जीत सकी। सियासी विश्लेषक मानते हैं कि अगर इस सीट के 60 हजार ब्राह्मण और 30 हजार क्षत्रिय वोटरों को जोड़ने के साथ ही बीजेपी ने दलित वोटरों में भी पैठ मजबूत कर ली तब उसका पलड़ा भारी हो सकता है। फिलहाल बीजेपी खेमा ऐसे ही किसी विनिंग फार्मूले की खोज कर रहा है।

  

मिल्कीपुर सीट पर उपचुनाव के लिए सियासी बिसात सजने लगी है

बीते दिनों जब उपचुनाव वाली बाकी सीटों के लिए प्रत्याशियों के नाम का ऐलान हो रहा था तभी समाजवादी पार्टी की ओर से मिल्कीपुर सीट के लिए भी नाम तय कर दिया गया था। यहां से सांसद अवधेश प्रसाद के बेटे अजीत प्रसाद के नाम का ऐलान सपा पहले ही कर चुकी है। चूंकि बीएसपी मुखिया मायावती देशभर में कोई भी उपचुनाव न लड़ने का ऐलान कर चुकी हैं लिहाजा इस सीट पर उनकी पार्टी नदारद रहेगी। वहीं, बीजेपी खेमे में जिताऊ चेहरे को खोजने को लेकर खासा मंथन हो रहा है। सात विधानसभा सीटों पर मिली जीत से उत्साहित बीजेपी रणनीतिकार मिल्कीपुर सीट के लिए जल्द ही प्रत्याशी के नाम का ऐलान कर देंगे।

            बहरहाल, नौ विधानसभा सीटों में से सात पर जीत दर्ज करके बीजेपी ने अखिलेश यादव के पीडीए (पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक) दांव को करारा झटका दिया है। तो अब बीजेपी खेमा मिल्कीपुर सीट पर अपना प्रभाव कायम करके विपक्षी नैरेटिव को पूरी तरह से ध्वस्त करने की आक्रामक रणनीति तैयार करने में जुटा है।

संबंधित खबरें