आईटी इंडस्ट्री से युवाओं में बढ़ा प्रोक्टोलाजी डिसआर्डर, एनल कैंसर का खतरा

By  Bhanu Prakash February 24th 2023 12:11 PM

इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ कोलोप्रोक्टोलॉजी की 8वीं विश्व कांग्रेस की प्रीवर्कशॉप में की गई सर्जरी की कार्यशाला 


आगरा: युवाओं में प्रोक्टोलॉजी डिसआर्डर मलाशय और मलद्वार, गुदा बढ़ रहा है। आईटी इंडस्ट्री में काम करने वाले युवा आठ से 10 घंटे तक बैठकर काम करते हैं। उन्हें यह समस्या ज्यादा हो रही है। बदली जीवनशैली, धूम्रपान, मसालेदार खाना खाने से एनोरेक्टर डिसआर्डर और एनल कैंसर का खतरा बढ़ गया है। गुरुवार को इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ कोलोप्रोक्टोलॉजी की 8वीं विश्व कांग्रेस की प्री कॉन्फ्रेंस वर्कशॉप में प्रोक्टोलॉजी डिसआर्डर की बढ़ रही समस्या पर चर्चा की गई। इसके साथ ही पश्चिमपुरी स्थित एसआर पैलेस होटल, नामनेर  एसआर हॉस्पिटल और एसएन मेडिकल कॉलेज में देश विदेश से पहुंचे 300 से अधिक प्रतिनिधियों ने सर्जरी की पांच आधुनिक तकनीकों (लेजर विधि, एमआईपीएच, चिवटे प्रोसीजर, सिग्मोडोस्कोपी, एंडोसूचरिंग) का प्रशिक्षण लिया। 

डॉ. लक्ष्मीकांत लाडूकर, सचिव इंटरनेशनल सोसाइटी ऑफ कोलोप्रोक्टोलॉजी आईएससीपी ने बताया कि पश्चिमी सभ्यता और पश्चिमी खानपान का भारत में चलन बढ़ा है। इससे सबसे ज्यादा प्रोक्टोलॉजी डिसआर्डर हो रहे हैं। आईटी सेक्टर में काम करने वाले युवा आठ से 10 घंटे तक बैठे रहते हैं और भूख लगने पर फास्ट फूड का सेवन कर रहे हैं। इन्हें पाइल्स, फिशर, फिस्टुला प्रोक्टोलॉजी डिसआर्डर की समस्या हो रही है। गर्भावस्था में पेल्विस रीजन में दबाव बढ़ जाता है, इसलिए गर्भवती महिलाओं में भी यह समस्या बढ़ी है। वहीं, धूम्रपान का अधिक सेवन करे, मसालेदार खाना और तनाव भरी जिंदगी से एनोरेक्टल डिसआर्डर बढ़ रहे हैं, इससे एनल कैंसर भी बढ़ा है।  

चिवटे प्रोसिजर से 48 घंटे में काम पर लौट रहे मरीज 

डॉ. लक्ष्मीकांत लाडूकर ने बताया कि 400 वर्ष से हमारे यहां पाइल्स, फिशर के आपरेशन किए जा रहे हैं। इसमें रक्तस्राव अधिक होता है और मरीज को एक महीने तक बिस्तर पर रहना पड़ता था। ऐसे में 12 वर्ष पहले चिवटे प्रोसीजर से सर्जरी शुरू की गई। चिवटे प्रासीजर के जनक डॉ. शांति कुमार चिवेट ने कार्यशाला में चिवटे प्रोसीजर का प्रशिक्षण दिया।  इस प्रक्रिया में टांके इस तरह लगाए जाते हैं कि रक्तस्त्राव रुक जाता है और 48 घंटे बाद मरीज काम पर लौट सकता है। कार्यशाला में लेजर विधि, एमआइपीएच स्टेप्लर विधि, चिवटे प्रोसीजिर, सिग्मोइडोस्कापी, एंडोसूचरिंग विधि से सर्जरी की गई। 300 सर्जन को सर्जरी का प्रशिक्षण दिया गया। 


प्रो. एसपी सिंह बघेल ने किया कार्यशाला का शुभारम्भ

आगरा। प्रीकांफ्रेंस वर्कशाप का शुभारम्भ मुख्य अतिथि केन्द्रीय मंत्री प्रो. एसपी सिंह बघेल ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया। कहा कि पश्चिमी खान-पान और जीवन शैली के प्रभाव गांव-गांव तक पहुंच रहा है। जिससे युवाओं में कब्ज व पेट से सम्बंधित बीमारियां बढ़ रहीं हैं। विशिष्ट अतिथि एसएन मेडिकल कालेज के प्राचार्य डॉ. प्रशांत गुप्ता ने कहा कि विद्यार्थियों को इस कांफ्रेंस से बहुत लाभ मिलेगा और नई तकनीकों की खोज के प्रति जागरूकता बढ़ेगी। आयोजन सचिव डॉ. अंकुल बंसल व डॉ. अनुभव गोयल ने सभी अतिथियों का स्वागत किया। इस अवसर पर मुख्य रूप से डॉ. जितेन्द्र चौधरी, डॉ. प्रशांत लवानिया, डॉ. प्रशान्त रहाटे, डॉ. हिमांशु यादव आदि उपस्थित थे। संचालन करन रावत व प्रीति भरद्वाज ने किया।

इन्होंने दिया प्रशिणण 

आगरा। कार्यशाला में डॉ. अंकुर बंसल, डॉ. कल्याणकर, डॉ. करन रावत, डॉ. दीपक बंसल, डॉ. सोनावने, डॉ. अंजली दावले, डॉ. हिमांशु यादव, डॉ. जगतपाल सिंह, डॉ. रोहित धवन, डॉ. सचिन अरोरा आदि द्वारा प्रशिक्षण दिया गया। अन्तराष्ट्रीय फैकल्टी डॉ. फ्रांसिस सीओनसियोन, सिंगापुर ने स्टेपलर विधि का प्रशिक्षण दिया। आयोजन सचिव डॉ. अंकुर बंसल ने बताया कि तीन दिवसीय कार्यशाला का शुभारम्भ 24 फरवरी को दोपहर 2 बजे कलाकृति कनवेन्शन सेंटर में कैबिनेट मंत्री योगेन्द्र उपाध्याय करेंगे। कार्यशाला में देश विदेश के लगभग 1500 विशेषज्ञ भाग ले रहे हैं, जो सर्जरी की नई विधा व तकनीक पर मंथन करेंगे। 


सर्जरी के मामलों में 30 प्रतिशत प्रोक्टोलॉजी 

आगरा। आयोजन सचिव डॉ. अकुर बंसल ने बताया कि पाइल्स, फिस्टुला, फिशर सहित मलाशय और मलद्वार की समस्या तेजी से बढ़ रही है। आलम यह है कि भारत में जितनी भी सर्जरी की जा रही हैं उसमें से 30 प्रतिशत इसी से जुड़ी हुई हैं। पिछले कुछ वर्षों में प्रोक्टोलाजी की सर्जरी तेजी से बढ़ी हैं। जिसकी मुख्य वह जीवनशैली व खान-पान का पश्चिमीकरण होना है।

संबंधित खबरें