सपा की साइकिल से उतरी पार्टियां फिर सवारी को तैयार, मैनपुरी जीतने के बाद बदले समीकरण

By  Mohd. Zuber Khan December 19th 2022 12:31 PM -- Updated: December 19th 2022 12:33 PM

लखनऊ: मैनपुरी संसदीय उपचुनाव में डिंपल यादव की जीत और अखिलेश यादव-शिवपाल यादव के बीच नज़दीकी के बाद समाजवादी पार्टी के असंतुष्टों और पूर्व सहयोगियों को राज्य के मुख्य विपक्षी दल में एक बार फिर संभावनाएं दिखने लगी हैं। ऐसे क़यास भी लगाए जा रहे हैं कि सपा अगर उत्तर प्रदेश के स्थानीय निकाय चुनावों में ठीक-ठाक प्रदर्शन करती है तो वर्ष 2024 में होने वाले लोकसभा चुनावों से पहले कुछ ग़ैर भाजपा दल पार्टी के पीछे लामबंद हो सकते हैं।

मैनपुरी उपचुनाव में डिंपल की ज़बरदस्त जीत के बाद बदायूं के पूर्व विधायक आबिद रज़ा जहां पार्टी में दोबारा शामिल हो गए, वहीं सुभासपा अध्यक्ष ओमप्रकाश राजभर ने सपा के प्रति अपने तेवर में नरमी के संकेत देते हुए कहा, “शिवपाल सिंह यादव पहल करेंगे तो हमारी सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव से फिर से बातचीत हो सकती है।” हालांकि राजभर ने ये भी दावा किया, “हम निकाय चुनाव अकेले अपने दम पर लड़ेंगे, लेकिन 2024 के लोकसभा चुनाव में किसी न किसी से गठबंधन ज़रूर करेंगे।” 

राजनीतिक विश्लेषकों की मानें को मैनपुरी उपचुनाव और यादव परिवार की एकजुटता ने भाजपा के समानांतर भविष्य तलाशने वालों की उम्मीद जगा दी है और अगर सपा ने निकाय चुनावों में बेहतर प्रदर्शन किया तो लोकसभा चुनावों के लिए छोटे दल फिर सपा के साथ आने को आतुर दिखाई देंगे। ऐसे  में अखिलेश और शिवपाल की नज़दीकी को निकाय चुनाव की कसौटी पर खरा उतरना होगा और इस चुनाव के बाद 2024 के लोकसभा चुनाव की भी दशा-दिशा तय हो जाएगी।

गौरतलब है कि 2022 के विधानसभा चुनाव में सुभासपा, महान दल, अपना दल (कमेरावादी) और जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट) जैसे छोटे दलों ने सपा गठबंधन के तहत चुनाव लड़ा था। अपना दल (कमेरावादी) को छोड़कर इनमें से बाक़ी तमाम दलों ने विधानसभा चुनाव के बाद सपा से दूरी बना ली थी, लेकिन मैनपुरी में सपा की जीत के बाद इन दलों में एक बार फिर हलचल बढ़ गई है। विधानसभा चुनाव के बाद हुए विधान परिषद चुनाव में टिकट न मिलने से जनवादी पार्टी (सोशलिस्ट) के अध्यक्ष डॉ. संजय चौहान सपा से ख़फ़ा हो गए थे, लेकिन अब वह फिर पार्टी के साथ आ गए हैं।

वैसे, महान दल के राष्ट्रीय अध्यक्ष केशव देव मौर्य ने कहा, “हम लोग (छोटे दल) मुख्य खिलाड़ी नहीं हैं और मुख्य खिलाड़ी (बड़े दल) अभी पत्ते नहीं खोल रहे हैं, ऐसे में हम किसके साथ जाएंगे, इसे लेकर ख़ूब तुक्केबाज़ी चल रही है, अखिलेश के साथ दोबारा तालमेल बैठाने की संभावनाओं पर मौर्य ने कहा, “देखिए, अखिलेश यादव से ही नहीं, भाजपा से, कांग्रेस से, बसपा से, सभी से गठबंधन की संभावनाएं हैं, जब हम अपनी बदौलत एक भी सीट जीत नहीं सकते तो किसी न किसी का सहारा तो लेंगे ही, अब सहारा कौन देगा, यह उन पर निर्भर करता है, महान दल के नेता ने कहा, “पहल बड़े दलों को करनी है और अगर कोई हमें बुलाता ही नहीं है तो हम गठबंधन के लिए तैयार होकर भी क्या  करेंगे।

याद रहे कि है कि उत्तर प्रदेश में बहुत जल्द नगर निकाय चुनाव की अधिसूचना जारी होने की संभावना है। राज्यत में 17 नगर निगम, 200 नगर पालिका परिषद और 545 नगर पंचायतों में महापौर, अध्यक्ष और सभासदों के चयन के लिए मतदान होना है। 

-PTC NEWS

संबंधित खबरें