रिंकू राही की कहानी: गोली, घोटाले और ग़ैरत से निकली एक आईएएस की दास्तान

By  Mangala Tiwari July 30th 2025 05:53 PM

Lucknow: कहावत है कि ‘मंजिले बड़ी जिद्दी होती हैं, हासिल कहां नसीब से होती हैं। मगर वहाँ तूफां भी हार जाते हैं जहां कश्तियां जिद पर अड़ी होती हैं।’ इन्हीं पंक्तियों को न सिर्फ चरितार्थ किया बल्कि जीकर दिखाया यूपी कैडर के आईएएस रिंकू सिंह राही ने। गौरतलब है कि आपने सोशल मीडिया पर एक वायरल वीडियो देखा होगा जिसमें वकीलों की भीड़ से घिरा एक आईएएस अफसर कान पकड़कर उठक बैठक लगाता दिख रहा है। यही शख्स है रिंकू सिंह राही। पहले जानते हैं मौजूदा विवाद की वजह फिर रिंकू राही के संघर्ष और जिजीविषा की दास्तान जानते हैं।

 

आईएएस अफसर रिंकू सिंह राही मथुरा से स्थानांतरित होकर शाहजहांपुर जिले में पहुंचे तो इन्हें एसडीएम पुवायां के पद पर तैनाती दी गई। मंगलवार को उन्होंने पदभार ग्रहण किया फिर अपने कार्यालय परिसर का निरीक्षण करने निकले तो तहसील प्रांगण में बने शौचालय के बाहर एक मुंशी लघुशंका कर रहा था। उसे एसडीएम ने झिड़का फिर दोबारा ऐसा न करने की चेतावनी देते हुए उठक बैठक लगवा दी। इसकी जानकारी मिलने पर तहसील के वकील आक्रोशित हो उठे। उन्हें उग्र देखकर एसडीएम रिंकू वकीलों के बीच पहुंच गए। खुद कान पकड़कर उठक बैठक लगाकर कहा, “अगर कोई गलती करता है तो उसको दंड मिलना चाहिए ताकि वह दोबारा से ऐसी गलती ना करे. इस बात को समझने के लिए मैंने स्वयं भी उठक बैठक लगाई”। इसके बाद नाराज वकील शांत होकर वापस चले गए। इस प्रकरण की चर्चा यूपी की नौकरशाही और सत्ता के गलियारों में जोरशोर से हो रहा है।


कमजोर आर्थिक स्थिति की चुनौती दरकिनार कर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करके अफसर बने:

रिंकू राही का जन्म 20 मई, 1982 को अलीगढ़ के एक निम्न मध्यमवर्गीय परिवार में हुआ था। इनके पिता शिवदान सिंह आटा चक्की चलाकर परिवार की रोजी रोटी का इंतजाम करते थे। अलीगढ़ के सरकारी स्कूल से पढ़ाई करने वाले रिंकू का दाखिला एनआईटी जमशेदपुर में हो गया। साल 2002 में धातु कर्म से बीटेक की उपाधि ली। GATE परीक्षा में राष्ट्रीय स्तर पर 17वीं रैंक हासिल की। अलीगढ़ में एक "पुस्तकालय" और "प्रौढ़ शिक्षा केंद्र" की स्थापना में पहल की।साल 2004 में उत्तर प्रदेश प्रवर अधीनस्थ सेवा परीक्षा उत्तीर्ण की और जिला समाज कल्याण अधिकारी के पद पर चयनित हुए। 2008 में उनकी नियुक्ति मुज़फ़्फ़रनगर में हुई।


समाज कल्याण विभाग में करोड़ों की हेराफेरी वाला बड़ा घोटाला उजागर किया:

बतौर जिला समाज कल्याण अधिकारी रिंकू राही ने मुजफ्फरनगर में विभिन्न सरकारी कल्याणकारी योजनाओं के तहत जारी होने वाले धन आवंटन में गंभीर विसंगतियां मिलीं। पांच वर्षों के दौरान लाभार्थियों को दी जाने वाली राशि का ब्यौरा जांचा तो करोड़ों का घपला पकड़ में आ गया। दस करोड़ से अधिक की रकम की हेराफेरी सीधे तौर से दिखी। 101 स्कूलों में स्कालरशिप के संबंध में कोई रिकॉर्ड नहीं मिला। वृद्धावस्था योजना-विधवा पेंशन योजना के लाभार्थियों की जानकारी तक न मिल सकी। जिन परिवारों में बेटी नहीं थी उन्हें भी पुत्री विवाह योजना की धनराशि दे दी गई। विभिन्न मदों से संबंधित धन आवंटन को लेकर इन्होंने सूचना के अधिकार यानी आरटीआई के तहत आवेदन भी किया। पर कोई जानकारी न मिल सकी। केंद्रीय सूचना आयोग तक शिकायत की। पर तमाम कोशिशों के बावजूद मुक्कमल जानकारी मिल नहीं सकी। मेरठ की संयुक्त निदेशक समाज कल्याण अलका टंडन की कमेटी ने बीस करोड़ का घपला पकड़ा। फिर मेरठ के तत्कालीन कमिश्नर मृत्युंजय नारायण की समिति ने पचास करोड़ के घोटाले की रिपोर्ट शासन को भेजी। इसके बाद इस मामले में एसआईटी गठित की गई। पर घोटाले में शामिल बड़ों तक कानून का शिकंजा नहीं पहुंच सका।

 

घोटाले का पर्दाफाश करने की उनकी मुहिम से नाराज सफेदपोशों ने जानलेवा हमला करवा दिया:

समाज कल्याण महकमे के घोटाले की परतें खोलने की रिंकू सिंह की मुहिम कई सफेदपोशों की आँखों की किरकिरी बन गई। बीएसपी शासनकाल में एक प्रमुख सचिव स्तर के अफसर द्वारा भी उन्हें धमकाने की बात सामने आई। अपने महकमे की जमीन से अवैध कब्जे हटाने गए रिंकू राही के साथ दबंगों ने मारपीट की। विभाग के एक कर्मी की गोपनीय रिपोर्ट उन्होंने सीडीओ को भेजी तो कार्रवाई होना तो दूर उलटे रिपोर्ट की प्रति उसी कर्मी के पास पहुंच गई। 26 मार्च 2009 को वे बैडमिंटन खेल रहे थे, तभी शूटर्स ने उन पर ताबड़तोड़ 7 गोलियां दाग दीं। तीन गोलियां सिर में लगीं जिनमें से एक गोली का कुछ हिस्सा अब भी उनके सिर में है। इस हमले में उनकी एक आंख खराब हो गई और जबड़ा भी निकल गया। कई महीनों तक अस्पताल में भर्ती रहे।

 

पुलिस जांच में आरोपी बनाए गए नौ लोगों में से चार लोगों को घटना के 12 वर्ष बाद सजा मिल सकी:

रिंकू राही पर हमले के मामले में पुलिस ने सपा नेता मुकेश चौधरी और कल्याण विभाग के सहायक लेखाकार अशोक कश्यप समेत नौ लोगों को गिरफ्तार किया। केस की विवेचना तत्कालीन एएसपी आलोक प्रियदर्शी ने की थी। इस मामले की अदालती सुनवाई के दौरान अभियोजन पक्ष ने 22 लोगों को बयान दर्ज करवाए। चार गवाह मुकर गए। लेकिन रिंकू राही के बयान के आधार पर साजिशकर्ताओं सहित चार लोगों को दस-दस वर्ष कारावास व जुर्माने की सजा सुनाई गई। इनमें बॉबी उर्फ पंकज और प्रह्लाद शूटर के तौर पर थे। जबकि अमित छोकर व अशोक कश्यप साजिशकर्ता थे।

 

इंसाफ पाने के लिए रिंकू राही को लखनऊ में धरने तक पर बैठना पड़ा:

साल 2012 में छेड़े गए अन्ना आंदोलन के दौर में ही लखनऊ में रिंकू राही धरने पर बैठ गए। तब अखिलेश यादव के नेतृत्व वाली समाजवादी सरकार थी। पुलिस ने रिंकू को उठाकर उन्हें पहले मानसिक चिकित्सालय में जबरन भर्ती कराने की कोशिश की पर मीडिया की सक्रियता से ऐसा संभव न हो सका। फिर रिंकू को अस्पताल में भर्ती कराया गया। उस दौर में इंडिया अगेंस्ट करप्शन का बिगुल फूंकने वाले अरविंद केजरीवाल ने राही के साथ हुई नाइंसाफी पर सत्तारूढ़ समाजवादी पार्टी पर "भ्रष्टाचार, हत्या और हमले" में प्रत्यक्ष रूप से शामिल होने का आरोप लगाया, और राही को सुरक्षा प्रदान करने में विफल रहने के लिए उनकी आलोचना की। बाद में लखनऊ के अधिवक्ता व एक्टिविस्ट प्रिंस लेनिन के प्रयासों से रिंकू को सुरक्षा मुहैया कराई गई।


रिंकू राही के संघर्ष के सिलसिले ने उन्हें आईएएस बनाने की राह खोल दी:

गौरतलब है कि जानलेवा हमले में जीवित बच जाने के और बुरी तरह चोटिल हो जाने के बावजूद रिंकू राही घोटालों के खिलाफ मुखर रहे। सिंचाई और बोरिंग से संबंधित घोटाले भी उजागर करते रहे। पहले सपा बाद में बीजेपी सरकार में कभी भदोही, कभी श्रावस्ती, कभी ललितपुर तो कभी हापुड़ भेजा गया। योगी सरकार में जून-2018 में उन्हें सस्पेंड कर दिया गया। बहाल होने पर हापुड़ में अभ्युदय कोचिंग योजना के लिए काम किया। थे। यहीं के छात्रों के आग्रह पर खुद यूपीएससी में शामिल हुए और 683 रैंक हासिल की। उन्हें दिव्यांग कोटे के तहत यूपी कैडर का आईएएस बनने का मौका मिला। रिंकू राही के जीवन के झंझावात-संघर्ष दरअसल जूझने-भिड़ने-गिरने के बाद भी उठ खड़े होने का माद्दा रखने की दास्तान है। जिजीविषा का ये जीवंत उदाहरण समाज के लिए एक प्रेरणा है।

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