रामपुर उपचुनाव में हुई लोकतंत्र की हत्या, सपा ने कहा- 'ज़रूर हो निष्पक्ष तहक़ीक़ात'
लखनऊ/रामपुर: समाजवादी पार्टी ने रामपुर विधानसभा उपचुनाव में पुलिस-प्रशासन द्वारा मतदाताओं को वोट देने से रोक कर ‘लोकतंत्र की हत्या’ किए जाने का आरोप लगाया। यही नहीं, सपा पदाधिकारियों ने निर्वाचन आयोग समेत देश की तमाम संवैधानिक संस्थाओं से इसका संज्ञान लेते हुए जांच कराने की मांग की है।
राज्य विधानसभा में सपा के मुख्य सचेतक मनोज पांडे ने संवाददाता सम्मेलन में आरोप लगाया कि सरकार ने रामपुर विधानसभा उपचुनाव में सत्ता के दुरुपयोग की तमाम हदें पार कर दी कर दी। उन्होंने कहा कि जिस तरह से पुलिस की मदद से एक ख़ास धर्म और वर्ग के मतदाताओं को वोट देने से जबरन रोका गया, वह लोकतंत्र की हत्या के बराबर है, जिस पर देश के हर एक नागरित को गंभीरत से सोचने की ज़रुरत है।
मनोज पांडे ने कहा, ‘‘हम निर्वाचन आयोग के साथ-साथ सभी संवैधानिक संस्थाओं से अपील करते हैं कि वे रामपुर उपचुनाव के दौरान हुई ज़्याद्ती पर संज्ञान लेते हुए जांच कराएं क्योंकि यह मामला किसी व्यक्ति का नहीं है बल्कि लोकतंत्र की रक्षा का है.’’
पत्रकारों की मौजूदगी में मनोज पांडे ने रामपुर में पुलिस की कथित शोषण के पीड़ित लोगों के वीडियो भी दिखाए। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में मतदान का अधिकार एक नागरिक का सबसे बड़ा हक़ है और सरकार ने उसे ही छीन लिया है। उन्होंने आरोप लगाया कि रामपुर में निष्पक्ष चुनाव की मांग करने वालों को लाठियों से बुरी तरह पीटा गया।
इस सवाल पर कि क्या सपा रामपुर उपचुनाव के मसले को अदालत तक ले जाएगी, पांडे ने कहा, ‘‘हमें अब भी निर्वाचन आयोग पर भरोसा है कि वह इन तमाम तथ्यों की पड़ताल कर आवश्यक कार्रवाई करेगा.’’
गौरतलब है कि रामपुर विधानसभा सीट पर, आज़म खां को साल 2019 में नफरत भरा भाषण देने के मामले में पिछले महीने तीन साल की सज़ा सुनाए जाने की वजह से उपचुनाव हुआ है। दरअसल उनकी सदस्यता रद्द होने के चलते ये सीट खाली हुई थी। इस सीट पर उपचुनाव के तहत यहां पर कुल 33.94 प्रतिशत मतदान हुआ था।
याद रहे कि आज़म ख़ां के परिजनों ने भी पुलिस पर मुस्लिम मतदाताओं को घर से नहीं निकलने देने और वोट डालने जा रहे लोगों पर लाठीचार्ज करने का आरोप लगाया था.
आपको बता दें कि मनोज पांडे ने राज्य विधानमंडल के शीतकालीन सत्र को तीन दिन के बजाय दो ही दिनों में समाप्त कर देने पर भी सवाल उठाते हुए कहा कि सरकार जनता से जुड़े महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा नहीं चाहती, इसलिए एक साज़िश के तहत सत्र को दो ही दिनों के अंदर ख़त्म कर दिया गया।
-PTC NEWS