लखनऊ में रेलवे कॉलोनी के जर्जर मकान की गिरी छत, एक ही परिवार के 5 लोगों की मौत, हादसे का जिम्मेदार कौन ?

By  Rahul Rana September 16th 2023 03:44 PM

लखनऊ : जय कृष्ण:  लखनऊ के आलमबाग थाना क्षेत्र के आनंद नगर रेलवे कॉलोनी में शनिवार सुबह दर्दनाक हादसा हो गया। रेलवे कॉलोनी के जर्जर मकान की छत गिरने के कारण एक ही परिवार के पांच सदस्यों की दर्दनाक मौत हो गई। हादसे के दौरान घर में पति-पत्नी और तीन मासूम बच्चे मौजूद थे। हादसा शनिवार सुबह करीब साढ़े तीन से चार बजे के बीच हुआ। सूचना मिलने के बाद लखनऊ जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार और जॉइंट पुलिस कमिश्नर उपेंद्र अग्रवाल समेत कई अधिकारी मौके पर पहुंचे।

स्थानीय लोगों के मुताबिक मकान में सतीश चंद्र (40 वर्ष), सलोनी देवी (35 वर्ष), हर्षित (13 वर्ष), हर्षिता (10 वर्ष), अंश (5 वर्ष) रह रहे थे। जिनकी शनिवार को दर्दनाक हादसे में मौत हो गई है। मृतक सतीश चंद्र की मां रामदुलारी रेलवे में कर्मचारी थी। यह मकान उन्हीं के नाम पर दर्ज है। मां की मौत हो जाने के बाद सतीश अपनी पत्नी, एक बेटी और दो बेटों के साथ इसी मकान में रह रहे थे। सतीश चन्द्र को मृतक आश्रित कोटे से रेलवे में नौकरी मिलने वाली थी। जिसकी प्रक्रिया भी चल रही थी। अभी तक वह प्राइवेट नौकरी कर अपने घर और बच्चों की जिम्मेदारी संभाल रहे थे। सतीश के तीनों बच्चे रेलवे के स्कूल में पढ़ते थे।

शनिवार सुबह मृतक सतीश चंद्र के बेटे हर्षित का दोस्त उसे बुलाने के लिए घर पहुंचा था। पहले उसने दोस्त को आवाज़ लगाई, लेकिन घर के अंदर से कोई जवाब नहीं आया। इसके बाद दरवाजा खटखटाया, लेकिन फिर भी कोई रिस्पांस नहीं मिला। फिर उसने घर की खिड़की से झांक कर देखा तो मकान की छत गिरी भी थी। उसने तुरंत मोहल्ले वालों को इसकी सूचना दी। फिर पुलिस को सूचना दी गई। मौके पर पहुंची पुलिस ने तुरंत राहत और बचाव कार्य शुरू किया, लेकिन तब तक घर में मौजूद सभी सदस्यों की मौत हो चुकी थी।

हादसे के बाद घटनास्थल पर पहुंचे मृतक के परिजनों ने बताया कि, जब भी तेज बारिश होती थी। तब सतीश अपनी पत्नी और बच्चों को लेकर ससुराल चले जाते थे। बीते दिनों हुई मूसलाधार बारिश के दौरान भी वह परिवार के साथ चले गए थे। कुछ दिन पहले ही वापस आए और हादसा हो गया। परिजनो का कहना है कि रेलवे की तरफ से बार-बार मकान को खाली करने के लिए कहा जाता था। अगर समय रहते मकान खाली कर दिया होता, तो शायद इस हादसे से बच जाते। 

लखनऊ जिलाधिकारी सूर्यपाल गंगवार भी मौके पर पहुंचे। डीएम ने कहा कि, रेलवे कॉलोनी में 64 मकान थे। जिनको पहले ही मकान खाली करने का नोटिस जारी किया गया था। रेलवे के अधिकारियों से बात हुई है। जल्द ही बाकी मकानों को खाली करवाया जाएगा। मामले की जांच और घटना के दोषियों के खिलाफ कार्रवाई के सवाल पर डीएम ने कहा, कि यह रेलवे का अंदरूनी मामला है। वह लोग इसकी जांच करेंगे और जांच के आधार पर कार्रवाई करेंगे।

कॉलोनी के लोगों ने बताया कि तकरीबन 6 महीने पहले सतीश घर खाली करके अपने बड़े भाई के घर गया था। जहां सतीश के बड़े भाई में उसे घर में रखने से मना कर दिया। इसके बाद में वापस लौट कर जर्जर मकान में रहने लगा। सतीश का बड़ा भाई भी पिता की मौत हो जाने के बाद मृतक आश्रित कोटे से नौकरी कर रहा है। वह आलमबाग के बाद बारह रेलवे कॉलोनी में रहता है। 

हादसे के बाद कॉलोनी के जर्जर मकानों में रहने वाले लोग दहशत में हैं। वह अपने मकान को देखकर खौफ खा रहे हैं। हादसे के बाद रेलवे प्रशासन की तरफ से एक बार फिर कॉलोनी वासियों को घर खाली करने का मौखिक आदेश दिया गया है। कुछ लोगों ने दहशत में आकर अपना मकान भी खाली करना शुरू कर दिया है। कॉलोनी के आसपास के मकान की हालत भी खस्ता है। मकान की हालत ऐसी है, कि छत कब जमीन पर आ जाए। इसका कोई भरोसा नहीं।

रेलवे विभाग के सूत्रों के मुताबिक पूरी जर्जर कॉलोनी को खाली करने का नोटिस करीब छह महीने पहले आखिरी बार दिया गया था। रेलवे के अधिकारियों के आदेश में कहा गया था पूरी कॉलोनी को खाली कराया जाए। कॉलोनी बनाने का ठेका ठेकेदार को दिया गया। ठेकेदार ने सभी कॉलोनी में रहने वाले लोगों से कहा कि अगले तीन से चार महीने में कॉलोनी को तोड़कर फिर से बनाया जाएगा। तब तक लोग अपना मकान खाली कर दें। आदेश के बावजूद लोग रेलवे की जर्जर कॉलोनी में रह रहे थे। विभाग ने चिट्ठी जारी कर खाना पूर्ति कर दी और आंखों पर पट्टी बांध ली। जर्जर मकान को खाली करने का आदेश जारी होने के बावजूद जिम्मेदारों को होश नहीं था, ठेकेदार को फिक्र नहीं, लोगों को रहने का ठिकाना चाहिए था, लिहाजा लोग जर्जर मकानों में ही रह रहे।

सबसे बड़ी बात रेलवे ने मृतक सतीश चंद्र को अपना कर्मचारी मानने से इनकार कर दिया है। जबकि सतीश को मृतक आश्रित कोटे से नौकरी मिलने वाली थी। उत्तर रेलवे की वरिष्ठ मंडल वाणिज्य प्रबंधक रेखा शर्मा ने बताया कि रेलवे कॉलोनी में स्थित यह आवास खाली करने के निर्देश दिए गए थे। आवास को तोड़ा जाना था। हादसे में पांच लोगों की मौत हुई है। लेकिन मृतक में से कोई भी रेलवे का कर्मचारी नहीं है। 

जबकि रेलवे की जर्जर कॉलोनी को खाली करने का आदेश जारी होने के बावजूद लोग कॉलोनी में बने मकानों में रह रहे हैं। रेलवे विभाग के सूत्रों के मुताबिक मौजूदा समय में भी कॉलोनी में कई ऐसे मकान है, जिनका अलॉटमेंट पूर्व में जिन कर्मचारियों के नाम पर हुआ था, वह या तो मकान छोड़कर जा चुके हैं, या फिर रिटायर हो चुके हैं। मकान में आसपास के लोगों ने रहना शुरू कर दिया। यही नहीं बिजली के लिए लोग कटिया फंसा कर बिजली चोरी करते हैं। यह सारा खेल विभाग के नुमाइंदों की मिली भगत से चल रहा है।

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी मामले का संज्ञान लिया। उन्होंने अधिकारियों को तत्काल मौके पर पहुंचने के निर्देश दिए। दर्दनाक हादसे में पांच लोगों की मौत के बाद जिला प्रशासन ने रेलवे का अंदरूनी मामला बताकर हाथ खींच लिए, रेलवे ने मकान को खाली करने का नोटिस देने का हवाला देकर अपना पल्ला झाड़ लिया और मृतक को रेलवे का कर्मचारी मानने से इनकार कर दिया। अब सवाल उठता है, कि आखिर इस हादसे का जिम्मेदार कौन....? जिसका जवाब मिल पाना मुश्किल है। 

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