स्वामी प्रसाद मौर्य ने समाजवादी पार्टी के महासचिव पद से दिया इस्तीफा, अखिलेश यादव को पत्र लिख बताई वजह
ब्यूरोः अपने बयानों को लेकर लंबे समय से विवादों में चल रहे समाजवादी पार्टी के महासचिव स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है। उन्होंने समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव को लंबा चौड़ा खत लिखा है और इस्तीफे के कारणों को साझा किया है। स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने इस्तीफे में आगे लिखा कि, 'पार्टी का जनाधार बढ़ाने का क्रम मैंने अपने तौर-तरीके से जारी रखा. इसी क्रम में मैंने आदिवासियों, दलितों व पिछड़ो को जो जाने-अनजाने भाजपा के मकड़जाल में फंसकर भाजपा मय हो गए थे। उनके सम्मान व स्वाभिमान को जगाकर व सावधान कर वापस लाने की कोशिश की तो पार्टी के ही कुछ छुटभईये व कुछ बड़े नेता मौर्य जी का बयान है।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि पार्टी को जनाधार देने के लिए उन्होंने 2023 में जातिवार जनगणना, आरक्षण बचाने, बेरोजगारी व संविधान बचाने के लिए अखिलेश यादव को रथयात्रा निकालने का सुझाव दिया था। अखिलेश ने होली के बाद इस यात्रा को शुरू करने पर सहमति दिखाई थी। हालांकि, इस यात्रा को कभी शुरू नहीं किया गया।
उन्होंने आगे लिखा कि हैरानी तो तब हुई जब पार्टी के वरिष्ठतम नेता चुप रहने के बजाय मौर्य जी का निजी बयान कह करके कार्यकर्ताओं के हौसले को तोड़ने की कोशिश की, मैं नहीं समझ पाया एक राष्ट्रीय महासचिव में हूं, जिसका कोई भी बयान निजी बयान हो जाता है और पार्टी के कुछ राष्ट्रीय महासचिव व नेता ऐसे भी हैं जिनका हर बयान पार्टी का हो जाता है, एक ही स्तर के पदाधिकारियों में कुछ का निजी और कुछ का पार्टी का बयान कैसे हो जाता है, यह समझ के परे है।
आगे मौर्य ने कहा है कि मैनें अपने तौर-तरीके से पार्टी का जनाधार बढ़ाना जारी रखा। लेकिन भाजपा के जाल में फंसे लोगों को वापस लाने की कोशिश की तो पार्टी के कुछ छुटभइये नेता इसे मौर्य जी का निजी बयान बताने लगे। स्वामी ने आगे कहा है कि मैं सपा का राष्ट्रीय महासचिव हूं लेकिन मेरा बयान निजी हो जाता है लेकिन अन्य राष्ट्रीय महासचिव के बयान पार्टी का बयान हो जाते हैं। ये हैरानी की बात है। उन्होंने पत्र में कहा कि यदि महासचिव के पद में भी भेदभाव है तो मैं इस पद का त्याग करता हूं।