फर्रुखाबाद में गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 30 सेंटीमीटर ऊपर, जनजीवन अस्तव्यस्त
फर्रुखाबाद: गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से 30 सेंटीमीटर ऊपर स्थिर है। गंगा की बाढ़ का पानी राजेपुर कस्बा में पहुंच गया है। गांवों में कई दिनों से बाढ़ का पानी भरा होने से जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया है।
छतों और सड़कों पर रह रहे ग्रामीण
ग्रामीणों ने मकान की छतों और सड़क के किनारे डेरा जमाए हैं। ग्रामीणों के सामने मवेशियों के चारे की समस्या है। चारे की समस्या से परेशान ग्रामीण मवेशियों को लेकर रिश्तेदारों में जाने लगे हैं।
गंगा का जलस्तर खतरे के निशान से ऊपर
गंगा का जलस्तर खतरे निशान से 30 सेमी ऊपर 137.40 मीटर पर स्थिर है। नरौरा बांध से गंगा में 2,11,996 क्यूसेक पानी छोड़ा गया है। गंगा का पानी कई गांव में घुस गया है। जिससे ग्रामीण अब रिश्तेदारों तथा सुरक्षित स्थान पर जाने लगे हैं। रास्ता बंद होने से नाव का ही सहारा रह गया है। जिन्हें नाव नहीं मिल पाती वो बाढ़ के पानी से निकल रहे हैं। गंगा का जलस्तर से बाढ़ का पानी गांव दादूपुर कैरी नगला, कौआ नगला, फतेहपुर, कासिमपुर तराई, सुल्तानगंज खरेटा, नगला मरू व शरीकपुर छिछनी के घरों में घुस गया है। रास्तों पर तीन फीट से अधिक पानी चलने से रास्ता बंद हो गयी है।
गंगा की बाढ़ का पानी तटवर्ती गांव हरसिंहपुर कायस्थ, ऊगरपुर, माखन नगला, करनपुर घाट, कुडरी सारंगपुर, मंझा की मड़ैया, आशा की मड़ैया, बमियारी, नगरिया जवाहर, उदयपुर कंचनपुर, सबलपुर, रामपुर, जोगराजपुर, जगतपुर, अंबरपुर की मड़ैया, चित्रकूट, अबरपुर, हमीरपुर सोमवंशी, भुड़िया भेड़ा, बरुआ, भाऊपुर चौरासी व पट्टी भरखा सहित एक सैकड़ा से अधिक गांव में कई दिनों से भरा है। जिससे जनजीवन अस्तव्यस्त हो गया है।
परेशान ग्रामीण मवेशियों को लेकर कर रहे पलायन
परेशान ग्रामीण मवेशियों को लेकर गांवों से पलायन कर रहे हैं। गंगा की बाढ़ का पानी राजेपुर कस्बा में भी पहुंच गया है। राजेपुर मुख्य मार्ग पर बाढ़ का पानी बहने लगा है। तटवर्ती गांव के संपर्क मार्गों पर बाढ़ का पानी तेज धार से बह रहा है। जिससे मार्ग क्षतिग्रस्त हो गए हैं और आवागमन बाधित हो गया है। ग्रामीण नाव के सहारे आवाजाही कर रहे हैं।
वहीं कुछ लोग सड़क के किनारे पालीथिन डालकर डेरा जमाए हैं और वहीं मवेशी भी रखे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि इतने लंबे समय तक पहली बार बाढ़ रही है। पहले कुछ दिनों के लिए आती थी और पानी कम हो जाता था। जिससे उन लोगों को दिक्कत नहीं होती थी। इस बार फसलें भी खराब हो गई हैं। मजदूरी भी नहीं मिल रही है, जिससे और समस्या है। प्रतिदिन पानी कम होने की जगह बढ़ रहा है। जिससे अब समस्याएं बढ़ती ही जा रही हैं और बीमारी भी फैल रही है।