योगी सरकार की किसान नीतियों का कमाल, गेहूं खरीद में रिकॉर्ड भागीदारी

By  Mangala Tiwari April 28th 2025 04:17 PM

Lucknow: योगी सरकार की किसान-केंद्रित नीतियों का सकारात्मक प्रभाव अब स्पष्ट रूप से सामने आ रहा है। रबी विपणन वर्ष 2025-26 के लिए गेहूं खरीद केंद्रों पर किसानों की सक्रियता में जबरदस्त इजाफा देखने को मिल रहा है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार, केवल 42 दिनों में 4,20,837 किसानों ने अपनी उपज बेचने के लिए पंजीकरण कर लिया है, यानी हर दिन औसतन एक हजार से ज्यादा किसान इन केंद्रों की ओर रुख कर रहे हैं।

अब तक 1.17 लाख से अधिक किसानों से करीब 6.50 लाख मीट्रिक टन गेहूं खरीदा जा चुका है। यह खरीद प्रक्रिया 17 मार्च को शुरू हुई थी और यह 15 जून तक चलेगी। खास बात यह है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के मार्गदर्शन में खाद्य एवं रसद विभाग के कर्मचारी अवकाश के दिनों में भी गांवों में पहुंचकर किसानों से सीधा संवाद कर रहे हैं। इसके अलावा, मोबाइल खरीद इकाइयों के जरिए भी खरीदारी को गति दी जा रही है।

राज्य में 5849 खरीद केंद्र सक्रिय:

राज्य भर में इस समय 5849 खरीद केंद्र सक्रिय हैं, जहां गेहूं की खरीद हो रही है। किसानों के आराम और सुविधा के लिए इन केंद्रों पर साफ पेयजल, छाया और बैठने की पर्याप्त व्यवस्था की गई है। गेहूं की खरीद 2425 रुपये प्रति क्विंटल के न्यूनतम समर्थन मूल्य (MSP) पर हो रही है, साथ ही उतराई, छनाई और सफाई के लिए प्रति क्विंटल 20 रुपये का अतिरिक्त भुगतान भी किया जा रहा है।

यहा कराएं पंजीकरण:

सरकार ने यह भी स्पष्ट किया है कि जिन किसानों ने अभी तक पंजीकरण नहीं कराया है, वे fcs.up.gov.in वेब पोर्टल या UP Kisan Mitra ऐप के माध्यम से पंजीकरण कर सकते हैं। किसानों की किसी भी समस्या के समाधान के लिए हेल्पलाइन नंबर 18001800150 उपलब्ध है, जहां शिकायतों का तुरंत निपटारा किया जा रहा है।

इस वर्ष गेहूं खरीद में अभूतपूर्व तेजी:

पिछले वर्षों की तुलना में इस बार गेहूं खरीद में अभूतपूर्व तेजी देखी जा रही है। वर्ष 2022 और 2023 में भी योगी सरकार की खरीद व्यवस्था को देशभर में सराहा गया था। सरकार का लक्ष्य न सिर्फ ज्यादा से ज्यादा किसानों की फसल खरीदना है, बल्कि एक सुचारु और पारदर्शी तंत्र के जरिए उन्हें समय पर भुगतान सुनिश्चित करना भी है।

सरकारी खरीद प्रणाली पर किसानों का भरोसा:

खाद्य आयुक्त ने सभी जिला अधिकारियों और संबंधित विभागों को निर्देश दिए हैं कि किसानों को अपनी उपज बेचने में कोई असुविधा न हो और उनका भुगतान तुरंत हो।  इन पहलों के चलते, किसानों का विश्वास सरकारी खरीद प्रणाली में निरंतर मजबूत हो रहा है।

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