लोकसभा चुनाव के लिए बीएसपी का 'मेगा प्लान', समीकरणों में फिट और जिताऊ प्रत्याशी को मिलेगी टिकट में प्राथमिकता
लखनऊ/जय कृष्ण: आगामी लोकसभा चुनाव की तैयारियां तेज हो गई हैं। इंडिया और एनडीए गठबंधन से इतर अकेले चुनाव लड़ने की कवायद में जुटी बहुजन समाज पार्टी ने भी अब अपने प्रत्याशियों के चयन का फार्मूला तय कर लिया है।
बहुजन समाज पार्टी की नेता मायावती आजकल आगामी लोकसभा के लिए उत्तर प्रदेश की 80 सीटों पर प्रत्याशियों के चयन का फार्मूला तय कर रही हैं । इस चुनाव में मायावती जिताऊ प्रत्याशी पर ही जोर लगाना चाहती है। नगर निकाय चुनाव में मिली करारी हार के बाद बसपा लोकसभा चुनाव में अपनी पुरानी गलतियां सुधारते हुए प्रत्याशियों के चयन का मन बना रही है।
क्या है फॉर्मूला?
पिछले दिनों हुए नगर निकाय चुनाव में बहुजन समाज पार्टी ने मुस्लिम कार्ड खेला था लेकिन तब उसे करारी हार का सामना करना पड़ा था . अब लोकसभा चुनाव के लिए प्रत्याशी चयन की प्रक्रिया में मायावती ने क्षेत्रीय समीकरणों में फिट और जिताऊ प्रत्याशी को टिकट देने का फार्मूला तय किया है। इसी फॉर्मूले के तहत मंडलीय प्रभारी प्रत्याशियों के अंतिम चयन को अंतिम रूप देने में जुटे हुई हैं। उन्होंने कई लोकसभा सीटों पर दो से तीन प्रत्याशियों के पैनल को भी तैयार कर लिया है।
जल्द फाइनल होंगे नाम
मायावती जल्द प्रत्याशियों के नामों को करेंगी फाइनल। प्रत्याशियों की सूची संबंधित प्रभारी स्क्रीनिंग करने के बाद केंद्रीय कार्यालय को भेज देंगे। प्रत्याशियों के नाम पर अंतिम मुहर मायावती ही लगाएंगे।
मायावती लगातार लोकसभा चुनाव की तैयारी के लिए राज्यवार बैठकें कर रही हैं । इसमें वह पार्टी पदाधिकारियों को कह रही हैं कि लोकसभा चुनाव समय से पहले हो सकते हैं, ऐसे में अपनी तैयारी पूरी करके रखें। इसके साथ ही मायावती यह भी कह रही हैं, कि गठबंधन के भरोसे ना रहा जाए, क्योंकि अकेले दम पर मजबूती से चुनाव लड़ने का मन उन्होंने बना लिया है।
क्या हैं फिट और जिताऊ समीकरण के मायने?
मायावती जिस फिट और जिताऊ समीकरण की बात कर रही हैं उसके मायने अहम हैं। 2022 के विधानसभा चुनाव में बहुजन समाज पार्टी को करारी हार का सामना करना पड़ा था, इसमें बीएसपी को मात्र एक सीट मिली थी। इसके बाद हुए नगर निकाय चुनाव में बीएसपी ने मुसलमानों पर फोकस किया और 17 नगर निगम सीटों में से 11 नगर निगम पर मुसलमानों को प्रत्याशी बनाया पर इसमें भी उनका खाता न खुल सका। इससे सबक लेते हुए मायावती और उनकी पार्टी में तय किया है, की किसी एक वर्ग और जाति के आधार पर मजबूत दावेदारी पेश नहीं की जा सकती। इसलिए हर सीट पर ऐसे प्रत्याशियों को तवज्जो दी जाए, जो अपने क्षेत्र में पकड़ रखते हो। अनारक्षित सीटों पर मायावती ऐसे प्रत्याशियों को प्राथमिकता देने की कोशिश में है, जिसके वोटर ज्यादा हो। नगर निकाय चुनाव में मायावती को मात्र 12% वोट ही मिले थे, जो उनके मूल वाटर से काफी कम है।