महाराष्ट्र चुनाव: सपा की हुंकार-दावे-हकीकत
ब्यूरो: आम चुनाव के नतीजों के बाद में देश की तीसरी सबसे बड़ी पार्टी बन चुकी समाजवादी पार्टी की हसरत अब यूपी की सीमाओं से परे जाने को कुलांचे भर रही है। अपनी पार्टी को को राष्ट्रीय दर्जा दिलाने की भरसक कोशिश में जुटे हैं अखिलेश यादव। हरियाणा में कांग्रेस ने साथ नहीं दिया तो उनकी पार्टी ने जम्मू-कश्मीर के चुनाव पर फोकस किया, बीस प्रत्याशी उतारे पर ज्यादातर की जमानत तक जब्त हो गई। अब मुलायम सिंह यादव द्वारा स्थापित पार्टी को सबसे ज्यादा उम्मीदें महाराष्ट्र के विधानसभा चुनाव से हैं। यहां बीते तीन दशकों से समाजवादी पार्टी अपनी उपस्थिति दर्ज कराती आई है। एकबारगी फिर से यहां के विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी ने कमर कस ली है।
सपा सुप्रीमो महाराष्ट्र में अपनी आमद दर्ज कराने जा रहे हैं
महाराष्ट्र के चुनाव में अपनी दस्तक देने के लिए सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव 18 और 19 अक्टूबर के दो दिवसीय दौरे पर महाराष्ट्र पहुंच रहे हैं। सपा सुप्रीमो मालेगांव और धुले में पार्टी के आयोजनों में शिरकत करेंगे और अपनी पार्टी के पक्ष में माहौल बनाने की कवायद को अंजाम देंगे। सियासी पिच तैयार करेंगे। सपा मुखिया का महाराष्ट्र का दौरा इंडी गठबंधन के सहयोगी दलों खासतौर से कांग्रेस पर दबाव की रणनीति के तौर पर आंका जा रहा है। दरअसल, सपाई खेमा इस जमीनी हकीकत को बखूबी समझता है कि अगर महाविकास आघाडी के सहयोगी के तौर पर चुनाव लड़ने का मौका मिलता है तो उनकी पार्टी ज्यादा बेहतर प्रदर्शन कर सकेगी।
उत्तर भारतीयों और मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों पर समाजवादी पार्टी की निगाहें लगी हैं
दरअसल, जम्मू-कश्मीर के बाद महाराष्ट्र के सियासी समीकरण भी समाजवादी पार्टी को लुभाते रहे हैं। यहां उत्तरी भारत के मुस्लिम वोटरों के बहुलता वाले डेढ़ दर्जन सीटों पर पार्टी की निगाहें लगी हुई हैं। यूपी के जौनपुर, प्रयागराज, सिद्धार्थनगर और कौशांबी जिलों के मूल निवासियों की बहुतायत है मुंबई में। समाजवादी पार्टी मुंबई और ठाणे जिले की सीटों पर खास फोकस किए हुए है। इनमें मुंबई की मानकोर शिवाजी नगर, भायखला, वर्सोवा, ठाणे की भिवंडी ईस्ट और भिवंडी वेस्ट सीटें साथ ही धूलिया और औरंगाबाद सरीखी मुस्लिम बहुल विधानसभा सीटों पर पार्टी को माहौल जीत के अनुकूल लग रहा है।
गठबंधन को नही मिली हरी झंडी तो एकला चलो की राह अपनाएगी सपा
महाराष्ट्र में कांग्रेस, शिवसेना (उद्धव गुट) और एनसीपी (शरद गुट के साथ) महाविकास अघाड़ी यानी एमवीए गठबंधन में हैं। महाराष्ट्र के सपा के मुख्य कर्ताधर्ता अबु आसिम आजमी महाविकास आघाडी से 12 सीटों की मांग रख चुके हैं। हालांकि अभी तक इस विपक्षी गठबंधन ने समाजवादी पार्टी को साथ में शामिल करने को लेकर कोई सकारात्मक रुख नहीं जताया है। इन हालातों को भांप कर ही सपा ने भिवंडी की दोनों सीटों पर प्रत्याशियों को उतारने का ऐलान किया जा चुका है। भिवंडी पश्चिम से कांग्रेस भी चुनाव लड़ने के लिए ताल ठोक चुकी है। भिवंडी ईस्ट से सपा के रईस शेख विधायक हैं। भिवंडी की दोनों ही सीटों पर मुस्लिम वोटर निर्णायक स्थित में हैं। वहीं, मानकोर शिवाजी नगर सीट से अबू आसिम आजमी विधायक हैं। सपा रणनीतिकारों ने इन दो सीटों के साथ ही डेढ़ दर्जन ऐसी सीटों को चिन्हित किया हुआ है जहां मुस्लिम वोटर प्रभावशाली तादाद में हैं। सपा की तैयारी है कि अगर गठबंधन के तहत बात नहीं बनती है तो भी इन सीटों पर मजबूती से चुनाव लड़ा जाएगा।
राम जन्मभूमि-बाबरी विवाद के तूल पकड़ने के साथ ही सपा की जड़ें महाराष्ट्र में गहरी होती गईं
नब्बे के दशक के शुरूआती दौर में अयोध्या के बाबरी कांड के बाद के माहौल में मुलायम सिंह यादव मुस्लिम समुदाय के पसंदीदा चेहरे के तौर पर उभरे। इस लोकप्रियता का फायदा समाजवादी पार्टी को महाराष्ट्र में अपनी जड़े जमाने में मिला। मुंबई महानगरपालिका में सपा के बीस पार्षद चुने गए थे। सपा पार्षद युसुफ अब्राहानी मुंबई महानगरपालिका में गट नेता बनाए गए। जबकि 1995 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में सपा के तीन प्रत्याशी चुनाव जीतकर विधायक बन गए। इनमें सुहैल लोखंडवावा, बशीर पटेल व मोहम्मद अली शामिल थे। उसी दौर मे सपा के हुसैन दलवाई को विधान परिषद की सदस्यता मिली तो उपचुनाव में नवाब मलिक मुंबई की नेहरू नगर सीट से सपा प्रत्याशी के तौर पर विधायक चुने गए। पर बाद में इन नेताओं का सपा से मोहभंग हो गया और इन्होंने पाला बदलकर कांग्रेस या फिर एनसीपी का दामन थाम लिया।
महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव में कम वोट शेयर के साथ सपा को मिलती रही कामयाबी
समाजवादी पार्टी ने साल 2009 के विधानसभा चुनाव में 31 सीटों पर अपने प्रत्याशी उतारे उसके खाते में चार सीटें दर्ज हुईं। पार्टी को कुल 3,37,378 वोट हासिल हुए जो कुल वोट का 0.74 फीसदी था। तब अबु आसिम आजमी दो सीटों से चुनाव जीते थे। बाद मे उन्होंने भिवंडी ईस्ट सीट छोड़ दी जिस पर हुए उपचुनाव मे सपा ने ये सीट गंवा दी थी। वहीं, नवापुर के सपा विधायक शरद गावित और भिवंडी पश्चिम से सपा विधायक ताहिर रसीद मोमिन राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी में शामिल हो गए थे। साल 2014 के विधानसभा चुनाव में 22 सीटों पर चुनाव लड़ी सपा को महज एक सीट हासिल हुई। उसके वोटों की संख्या घटकर 92304 हो गई जो कुल वोट का 0.17 फीसदी था। जबकि साल 2019 के विधानसभा चुनाव में सात सीटों पर चुनाव लड़ी सपा को दो सीटों पर जीत मिली। उसे 1,23,267 वोट मिले जो कुल वोट का 0.22 फीसदी था।
आगामी विधानसभा चुनाव में मजबूती के लिए अपने रोडमैप पर अमल कर रही है सपा
लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के बाद ही लखनऊ में अबु आसिम आजमी ने महाराष्ट्र के पार्टी पदाधिकारियों के साथ अखिलेश यादव से मुलाकात की थी। उसी दौरान सपाई खेमे ने महाराष्ट्र चुनाव के लिए अपनी पार्टी का रोडमैप तय कर लिया था। यहां अपनी पैठ मजबूत करने के लिए समाजवादी पार्टी पिछड़ा-दलित-अल्पसंख्यक वाले अपने पीडीए फार्मूले को ही लागू करना चाहती है। पार्टी की ओर से यूपी विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष माता प्रसाद पांडेय, जौनपुर के मलहनी के विधायक लकी यादव, केराकत के विधायक तूफानी सरोज और कौशाम्बी के मंझनपुर के विधायक इंद्रजीत सरोज को महाराष्ट्र मे चुनाव प्रभारी बनाया गया है। हालांकि मुख्य चेहरे के तौर पर महाराष्ट्र के सपा के प्रदेश अध्यक्ष अबू आसिम आजमी ही मौजूद हैं। सपाई खेमे को उम्मीद है कि देश की आर्थिक राजधानी मुंबई सहित महाराष्ट्र के कुछ हिस्सों में उनकी हनक कायम हो सकेगी और राष्ट्रीय पार्टी का दर्जा हासिल करने का उनका सपना परवान चढ़ सकेगा।