UP Lok Sabha Election 2024: बाढ़ है धौरहरा संसदीय क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौती, मोदी लहर में यहां बीजेपी का खुला था खाता

By  Rahul Rana May 11th 2024 02:58 PM

ब्यूरो: Gyanendra Shukla, Editor, UP:  यूपी का ज्ञान में चर्चा करेंगे धौरहरा संसदीय सीट की। तकरीबन डेढ़ दशक पूर्व अस्तित्व में आई ये संसदीय सीट दो जिलों सीतापुर और लखीमपुर के हिस्सों को शामिल करते हुए बनाई गई है। क्षेत्रफल के नजरिए से प्रदेश के सबसे बड़े जिले लखीमपुर खीरी का बड़ा हिस्सा धौरहरा संसदीय सीट में शामिल है। जबकि सीतापुर जिले का हरगांव और महोली क्षेत्र भी इसकी परिधि में आता है। ये पूरा क्षेत्र लखनऊ मंडल का हिस्सा है। मुगल काल में इस सीमांत इलाके में कई किले व निर्माण कराए गए थे जिससे नेपाल की तरफ से होने वाले हमलों को रोका जा सके। यहां रूहेलखंड के शासकों के साथ ही अवध के नवाबों का भी खासा प्रभाव रहा। धौरहरा महोत्सव यहां का पारंपरिक आयोजन है। खीरी सीट पर केंद्रीय मंत्री अजय मिश्र टेनी सांसद हैं तो धौरहरा सीट से रेखा वर्मा सांसद हैं।

बाढ़ है धौरहरा संसदीय क्षेत्र की सबसे बड़ी चुनौती

दो जिलों के हिस्सों से बनी धौरहरा लोकसभा सीट में लोग अपने काम को लेकर दिक्कत महसूस करते हैं। क्योंकि यहां के आधे से ज्यादा हिस्से पर प्रशासनिक अधिकार लखीमपुर खीरी जिले के पास हैं जबकि बाकी हिस्सा सीतापुर के प्रशासनिक दायरे में है। ये संसदीय क्षेत्र देश के 250 अति पिछड़े क्षेत्रों में शामिल है। नेपाल से करीब का ये क्षेत्र बाढ़ की समस्या से बुरी तरह से ग्रसित रहा है। यहां के ईसानगर, हसनपुर कटौली व डेहुआ, शारदा नगर व भरतपुर के पास बने तटबंधों पर कटान के कारण दर्जनों गांव अपना वजूद ही गंवा चुके हैं। इस लोकसभा क्षेत्र का करीब 30 फीसदी हिस्सा शारदा व घाघरा नदी में आने वाली बाढ़ के कारण कटान से प्रभावित रहता है। इस बड़ी व जटिल समस्या को लेकर जब-तब धरना-प्रदर्शन, आंदोलन होते रहे हैं पर ठोस समाधान अभी तक निकल नहीं सका है।

धौरहरा क्षेत्र में कांग्रेसी दिग्गज जितेन्द्र प्रसाद का रहा प्रभाव

2008 के परिसीमन के बाद गठित हुई ये संसदीय सीट शुरू से ही खासी वीआईपी रही क्योंकि यहां के पहले सांसद जितिन प्रसाद यूपीए सरकार में इस्पात मंत्रालय, सड़क व परिवहन मंत्रालय व पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस मंत्रालय संभाल चुके थे। जितिन के पिता जितेन्द्र प्रसाद कांग्रेस के अति प्रभावशाली चेहरों मे शुमार थे। शाहजहांपुर सीट से सांसद रहे थे साथ ही राजीव गांधी और नरसिम्हा राव के शासनकाल में प्रधानमंत्री के राजनीतिक सलाहकार की भूमिका का निर्वहन भी कर चुके थे।

पहले चुनाव में जितिन प्रसाद का परचम फहराया

साल 2009 के लोकसभा चुनाव में धौरहरा सीट से कांग्रेस प्रत्याशी के तौर पर जितिन प्रसाद ने 1.84 लाख वोटों के अंतर से बड़ी जीत हासिल की। तब उन्होंने समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव लड़े पूर्व विधायक ओमप्रकाश गुप्ता को हरा दिया था जिनकी जमानत तक जब्त हो गई थी। सांसद  बनने के बाद मानव संसाधन एवं विकास विभाग में केंद्रीय राज्य मंत्री भी बने थे।

मोदी लहर में यहां बीजेपी का खाता खुला

साल  2014 के आम चुनाव में चली मोदी लहर से ये सीट भी अछूती न  रह सकी। यहां से बीजेपी प्रत्याशी रेखा वर्मा ने 1,25,675 वोटों के मार्जिन से ये सीट हासिल कर ली। तब रेखा वर्मा को 3,60,357 वोट मिले, बीएसपी के दाउद अहमद को 2,34,682 वोट हासिल हुए थे। सपा के आनंद भदौरिया को 2,34,032 वोट मिले थे। कांग्रेस प्रत्याशी व पूर्व केंद्रीय मंत्री रहे जितिन प्रसाद को 1,70,994 वोट मिल सके थे। इस तरह से जितिन प्रसाद चौथे पायदान पर जा पहुंचे थे।

बीते आम चुनाव में भी बीजेपी ने जीत दर्ज की

साल 2019 के आम चुनाव में बीजेपी ने फिर से रेखा वर्मा को ही अपना प्रत्याशी बनाया था। उन्हें 2014 के मुकाबले और भी ज्यादा वोट मिले, वे 1, 60,611 वोटों के मार्जिन से चुनाव जीतीं। तब रेखा वर्मा को 5,12,905 वोट मिले थे। सपा-बीएसपी गठबंधन की तरफ से बीएसपी के प्रत्याशी के तौर पर चुनाव  लड़े अरशद इलियास सिद्दीकी 3,52,294 वोटों के साथ दूसरे नंबर पर रहे और कांग्रेस के जितिन प्रसाद 1,62,856 वोटों के साथ तीसरे नंबर पर रहे थे।

आबादी के आंकड़े और जातीय समीकरण

बात करते हैं यहां के आबादी के आंकड़ों की तो धौरहरा संसदीय सीट के  17,13,900 वोटर हैं। जिनमें से 3.25 लाख ब्राह्मण, 3.10 लाख दलित, 2.5 लाख मुस्लिम हैं। 1.60 लाख कुर्मी तो 1.30 लाख क्षत्रिय वोटर हैं। 95 हजार वैश्य बिरादरी के वोटर हैं, इनके साथ ही 2.75 लाख अन्य ओबीसी जातियां हैं। यहां कुर्मी और ब्राह्मण सहित अन्य ओबीसी वोटों का जुड़ाव चुनाव में निर्णायक किरदार निभाता आया है।

बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने किया था क्लीन स्वीप

इस संसदीय क्षेत्र के तहत पांच विधानसभा सीटें शामिल हैं। जिनमें से लखीमपुर जिले की धौरहरा, कास्ता सुरक्षित और मोहम्मदी हैं। जबकि सीतापुर जिले की महोली और हरगांव सुरक्षित सीट आती है। साल 2022 के   विधानसभा चुनाव में सभी सीटों पर बीजेपी का परचम फहराया था। धौरहरा से विनोद शंकर अवस्थी, कस्ता से सौरभ सिंह सोनू, मोहम्मदी से लोकेन्द्र प्रताप सिंह, महोली से शशांक त्रिवेदी और हरगांव सुरक्षित से सुरेश राही विधायक हैं।

साल 2024 की चुनावी बिसात पर जबरदस्त संघर्ष जारी

मौजूदा आम चुनाव के लिए बीजेपी ने फिर से रेखा वर्मा पर ही भरोसा जताया है। उनका खेमा जीत की हैट्रिक के लिए लगातार जूझ रहा है। सपा-कांग्रेस गठबंधन से आनंद भदौरिया मुकाबला कर रहे हैं। बीएसपी के श्याम किशोर अवस्थी इस ब्राह्मण बाहुल्य सीट पर बीजेपी और सपा को कड़ी टक्कर दे रहे हैं। दो बार सांसद रह चुकी रेखा वर्मा के सामने विरोधियों से मुकाबले के साथ ही भीतर खाने के विरोध का सामना करने की  भी कड़ी चुनौती है। तो सपा सुप्रीमो अखिलेश यादव की कोर टीम के सदस्य रहे आनंद भदौरिया छात्र राजनीति के अपने अनुभव के साथ ही पिछली बार चुनाव लड़ने के दौरान आई खामियों को दूर करके अपनी राह आसान बनाने के प्रयास में हैं। हालांकि बीएसपी का ब्राह्मण कार्ड सभी की चुनौतियों में इजाफा किए हुए है। पिछली बार इस सीट पर 64.70% रेकार्ड मतदान दर्ज हुआ था लिहाजा इस बार वोटिंग प्रतिशत को बरकरार रखने या बढ़ाने की बड़ी चुनौती बनी हुई है। 

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