बस टर्मिनल को लेकर योगी सरकार का बड़ा फैसला, जानिए क्या है प्लान?

By  Md Saif May 6th 2025 06:45 PM

ब्यूरो: UP NEWS: निजी निवेश से अब उत्तर प्रदेश में बस टर्मिनल और पर्यटक बस पार्क बनाए जा सकेंगे। इसके लिए योगी कैबिनेट ने 'उत्तर प्रदेश स्टेज कैरिज बस स्टेशन, कॉन्ट्रैक्ट कैरिज और अखिल भारतीय पर्यटक बस पार्क (स्थापना एवं विनियमन) नीति, 2025' को मंजूरी दी है। इस नए कार्यक्रम का उद्देश्य पूरे प्रदेश में यातायात नियंत्रण, सुसज्जित स्टेशन और बस पार्किंग को बेहतर बनाना है। प्रत्येक जिले में डीएम नियामक प्राधिकरण समिति की अध्यक्षता करते हैं, जिसके लिए दो एकड़ जमीन और पचास लाख की नेटवर्थ की शर्त होती है।

 

इस नीति के अनुसार, पार्क और बस स्टॉप के निर्माण से संबंधित प्रस्तावों पर निर्णय लेने के लिए राज्य के प्रत्येक जिले में जिला मजिस्ट्रेट (डीएम) की अध्यक्षता में एक नियामक प्राधिकरण समिति स्थापित की जाएगी। इसमें लोक निर्माण विभाग (पीडब्ल्यूडी), विकास प्राधिकरण, परिवहन निगम, पुलिस और नगर निगम एजेंसियों के अधिकारी शामिल होंगे। इसके अलावा, समिति में एक विषय विशेषज्ञ भी शामिल होगा।

 

कोई भी व्यक्ति बस अड्डा और टूरिस्ट पार्क के लिए आवेदन कर सकता है

नई नीति किसी भी व्यक्ति या संगठन (व्यक्तिगत या सामूहिक) को पर्यटन पार्क या बस टर्मिनल की स्थापना के लिए आवेदन करने की अनुमति देती है। हालांकि, इसके लिए कम से कम दो एकड़ जमीन, पचास लाख की न्यूनतम शुद्ध संपत्ति और पिछले वित्तीय वर्ष के दौरान दो करोड़ रुपये का कारोबार होना आवश्यक है। इसके अतिरिक्त, सरकार ने फैसला सुनाया है कि किसी को भी राज्य में दस से अधिक बस स्टॉप या पार्किंग स्थल, एक जिले में दो से अधिक या एक ही मार्ग पर एक से अधिक निर्माण करने की अनुमति नहीं है।

 

पहली बार में दस साल के लिए दी जाएगी अनुमति

पहले 10 साल की अवधि के लिए अनुमति दी जाएगी, और यदि संचालन संतोषजनक माना जाता है, तो इसे अतिरिक्त 10 साल के लिए बढ़ाया जा सकता है। बस स्टेशन का स्वामित्व किसी अन्य कानूनी कंपनी को हस्तांतरित करना संभव है, हालांकि यह पंजीकरण तिथि के एक वर्ष बाद ही किया जा सकता है।

नीति में आगे कहा गया है कि यदि कोई ऑपरेटर दिशानिर्देशों का उल्लंघन करता है, तो नियामक निकाय उससे सुनने के बाद उसका पंजीकरण निलंबित या रद्द कर सकता है। इसके अतिरिक्त, यदि ऑपरेटर किसी निर्णय से असंतुष्ट है तो उसके पास संभागीय आयुक्त के समक्ष अपील करने का विकल्प है।

 

उत्तर प्रदेश में, राज्य की बढ़ती आबादी और बढ़ती परिवहन मांग के परिणामस्वरूप बस स्टॉप पर भीड़ और अराजकता लगातार समस्या बन गई है। पर्यटक बसों की लंबी कतारें और पार्किंग की कमी स्थानीय सरकार के लिए समस्याएँ खड़ी करती हैं, खासकर अयोध्या, वाराणसी, प्रयागराज और आगरा जैसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों पर। वाणिज्यिक क्षेत्र को आकर्षित करके, यह नीति ऐसे परिदृश्य में बस स्टॉप को आधुनिक बनाने और व्यवस्थित करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इसके परिणामस्वरूप जहाँ रोज़गार की संभावनाएँ बढ़ेंगी, वहीं यात्री सुविधाओं में भी उल्लेखनीय सुधार होगा।

संबंधित खबरें