गैंगस्टर एक्ट में जेल में बंद सपा नेताओं पर एक और FIR दर्ज, अखिलेश यादव के क़रीबी हैं दोनों नेता
एटा: उत्तर प्रदेश के एटा ज़िले में पूर्व सपा विधायक रामेश्वर सिंह यादव और उनके भाई जुगेंद्र सिंह यादव की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं। गैंगस्टर एक्ट में जेल में बंद दोनों सपा नेता और पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के काफी क़रीबी मानी जाती रही है। दरअसल दोनों सपा नेताओं पर 15 साल पुराने ज़मीन के मामले में आज थाना जैथरा में मुक़दमा दर्ज हुआ है। यानी ज़िले में अलीगंज के पूर्व विधायक और उसके भाई के लिए बुरे दिन आ सकते हैं।
गौरतलब है कि यूपी की विधानसभा सत्र के दौरान मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने माफियाओं को मिट्टी में मिलाने की बात कही थी। वो बात अकेले अतीक़ अहमद पर ही नहीं कही गई थी, बल्कि प्रदेश के हर माफिया पर साबित होती नज़र आ रही है।
इसी की जीती जागती मिसाल है एटा में दो दिग्गज सपा नेताओं पर हो रही कार्रवाई। योगी सरकार माफियाओं के ख़िलाफ़ ज़ीरो टोलरेंस की नीति अपना रही है और माफियाओं को चाहे वो किसी भी पार्टी से जुड़ा हो या किसी भी धर्म से जुड़ा हो, उसे किसी भी सूरत में बख़्शा नहीं जाएगा।
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आपको बता दें कि ये मामला एटा ज़िले के जैथरा थाना क्षेत्र का है, जहां 15 साल पहले हुए ज़मीनी प्रकरण में जैथरा थाने में 3 सपा नेताओं पर मुक़दमा दर्ज हुआ है।
गैंगस्टर एक्ट के मामले में जेल में बंद पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के करीबी सपा नेता पूर्व विधायक रामेश्वर सिंह यादव एवम् उनके छोटे भाई पूर्व ज़िला पंचायत अध्यक्ष जुगेंद्र सिंह यादव और पूर्व विधायक के बड़े बेटे प्रमोद यादव पर 25 मार्च को एटा एसएसपी उदयशंकर सिंह के आदेश पर कसौलिया गांव के रहने वाले 78 वर्षीय अनोखेलाल पुत्र भीमसेन ने एक मुक़दमा दर्ज कराया है, जिसमें उन्होंने कहा है कि सपा के पूर्व विधायक रामेश्वर सिंह यादव व उनके भाई जुगेंद्र सिंह यादव और उनके बेटे प्रमोद यादव ने मुझे अपनी कोठी में बंधक बनाकर मेरे साथ लगातार मारपीट की और ज़बरदस्ती हमारी गाटा संख्या 3384/0.680 डेसिमल ज़मीन 29/8/2008 को अलीगंज तहसील में ले जाकर लिखवा ली गई।
बैनामे में 2 लाख़ रुपए देने की बात कही गई है, जबकि मुझे एक भी रुपया नही दिया गया, जिसमें दो गवाह हैं, वो भी उन्ही के लोग हैं। पीड़ित अनोखेलाल ने आरोप लगाते हुए कहा कि तब इन लोगों की सरकार थी, उस वजह से उस समय थाने में हमारी एक नहीं सुनी गई और इनके ख़िलाफ़ कोई भी क़ानूनी कार्रवाई नहीं हो सकी।