सरकारी स्कूल से आईआईटी बॉम्बे तक उड़ान: संभल के बच्चों ने रचा इतिहास
संभल, गुणवत्तापरक शिक्षा नीति, एसटीईएम आधारित नवाचार और समान अवसरों के विजन का प्रभाव अब राष्ट्रीय मंच पर स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है। संभल के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले परिषदीय पृष्ठभूमि के बच्चों ने वह उपलब्धि हासिल की है, जिसे अब तक बड़े और प्रतिष्ठित शैक्षणिक संस्थानों के विद्यार्थियों तक सीमित माना जाता रहा है। इन विद्यार्थियों ने IIT Bombay के टेकफेस्ट 2025 में भाग लेकर तकनीकी उत्कृष्टता का सशक्त उदाहरण प्रस्तुत किया है।
यूपी सरकार की एसटीईएम विजन को मिला राष्ट्रीय मंच
सेवा न्याय उत्थान फाउंडेशन द्वारा प्रशिक्षित संभल जनपद के विद्यार्थियों ने एशिया के प्रतिष्ठित विज्ञान एवं तकनीकी महोत्सव टेकफेस्ट 2025 में कोज्मोक्लेंच और मेसमराइज जैसी जटिल रोबोटिक्स स्पर्धाओं में सहभागिता की। कक्षा 4 से 9 तक के इन छात्रों ने देशभर के बीटेक विद्यार्थियों की 250 से अधिक टीमों को सीधी चुनौती दी। उनके तकनीकी कौशल और नवाचार क्षमता से प्रभावित होकर आईआईटी बॉम्बे ने विद्यार्थियों को तकनीकी उत्कृष्टता के लिए विशेष प्रशंसा तथा उत्कृष्टता प्रमाण पत्र से सम्मानित किया। इस उपलब्धि ने यह साबित कर दिया कि परिषदीय विद्यालयों के छात्र भी उच्च स्तरीय तकनीकी मंचों पर अपनी प्रतिभा का प्रदर्शन करने में सक्षम हैं। सीमित संसाधनों के बावजूद इन बच्चों ने रोबोटिक्स जैसी जटिल विधाओं में अपनी दक्षता दिखाई और इंजीनियरिंग पृष्ठभूमि वाले विद्यार्थियों के समक्ष कड़ी प्रतिस्पर्धा प्रस्तुत की।
प्रशासनिक संबल और गुणवत्तापरक शिक्षा बन रही पहचान
इस सफलता के पीछे शिक्षा सुधारों की स्पष्ट भूमिका दिखाई देती है। एसटीईएम शिक्षा पर विशेष फोकस, अवसरों की समानता और जमीनी स्तर पर प्रशासनिक सहयोग ने इन विद्यार्थियों को राष्ट्रीय मंच तक पहुंचने का अवसर दिया। जिलाधिकारी डॉ राजेन्द्र पैंसिया के संरक्षण में चयनित 11 मेधावी छात्र, जिनमें बालिकाएं, दिव्यांग तथा आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के विद्यार्थी भी शामिल थे, शिक्षक दल के साथ मुंबई पहुंचे। बेसिक शिक्षा अधिकारी अलका शर्मा ने बताया कि ये विद्यार्थी इससे पहले आईआईटी दिल्ली और आईआईटी कानपुर में भी पुरस्कृत हो चुके हैं। अब आईआईटी बॉम्बे में दो रोबोटिक्स स्पर्धाओं में सम्मान प्राप्त कर संभल ने शिक्षा और तकनीकी नवाचार के क्षेत्र में एक नया अध्याय जोड़ा है। यह उपलब्धि दर्शाती है कि प्रदेश की शिक्षा नीति गांव देहात की प्रतिभाओं को राष्ट्रीय पहचान दिलाने में सफल हो रही है।