गंगा की मिट्टी से संविधान लिखकर राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री को भेंट करेंगे इरशाद अली
वाराणसी: काशी कहिए, बनारस कहिए या फिर कहिए वाराणसी। दरअसल बाबा विश्वनाथ का पौराणिक और प्राचीन शहर बनारस अपनी गंगा जमुनी तहज़ीब के लिए पूरी दुनिया में मशहूर है।
इस प्राचीन शहर में मुस्लिम युवक की देशभक्ति की अनोखी तपस्या, शहर में चर्चा का विषय बनी हुई है। दरअसल गंगा की माटी से कपड़े पर हनुमान चालीसा और श्रीमद्भागवत गीता और क़ुरान लिखने के बाद अब वाराणसी के इरशाद अली भारत के संविधान को कपड़े पर लिख रहें है।
सफेद सूती कपड़े पर गंगा की शुद्ध मिट्टी और उसके रंग को सुनहरा बनाने के लिए उसमें केसर को मिला कर इरशाद अपनी इस अनोखी कारीगरी और कलाकारी को एक साथ मुक़म्मल कर रहें है। इरशाद अली ने बताया कि उन्होंने संविधान की उद्देशिका को हिंदी और अंग्रेज़ी में कपड़े पर उकेर कर इसकी शुरुआत कर दी है।
पूरे संविधान को कपड़े पर लिखने में उन्हें क़रीब 5 से 6 साल का वक़्त लगेगा। आपको बता दें इरशाद हर दिन 5 से 6 घंटे इसपर पूरी शिद्दत से काम कर रहें है। इस पूरे काम के लिए इरशाद ख़ुद तमाम तरह के सामानों का इंतज़ाम भी करतें है। उन्होंने बताया कि वो ख़ुद गंगा की माटी को लातें है और फिर उसे सुखाकर उसको मिक्सर में पिसतें है। इसके बाद उस माटी को छानते हैं और फिर उसको अपने लेखन के काम में इस्तेमाल करतें है। मिट्टी की पकड़ कपड़े पर हो, इसके लिए वो इसमें खाने वाले गोंद की कुछ मात्रा को भी मिलातें है।
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जानकारी के मुताबिक़ काशी के बाशिंदे इरशाद अली ने सबसे पहले कपड़े पर उर्दू में क़ुरान लिखी थी। उसके बाद उन्होंने समाज और धार्मिक सौहार्द की भावना से अपने धर्मगुरुओं की सलाह के बाद 30 मीटर कपड़े पर श्रीमद्भागवत गीता को लिखा। इसके अलावा हनुमान चालीसा को भी उन्होंने कपड़े पर उकेरा और अब वो भारत के संविधान को कपड़े पर उकेरने का काम शुरू कर चुके हैं।
इरशाद अली ने बताया कि उनकी दिली इच्छा है कि उनके हस्तलिखित ये सामान देश के अलग अलग म्यूज़ियम्स में संजोए जाए, ताकि पूरा देश गंगा जमुनी तहज़ीब के इस प्रेम भाव को जान और समझ पाए। इरशाद अली ने संविधान की उद्देशिका को हिंदी और अंग्रेज़ी में तैयार किया है और वो इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को भेंट करना चाहतें है।