लखनऊ का AQI (वायु गुणवत्ता इंडेक्स) 174, निजी ऐप्स का हाइपर लोकल मानक अपनाने से फैल रहा भ्रम

By  Dishant Kumar December 18th 2025 01:01 PM

उत्तर प्रदेश, लखनऊ का AQI (वायु गुणवत्ता इंडेक्स) 174 है जो हवा की मॉडरेट क्वालिटी को प्रमाणित करता है। सोशल मीडिया और अन्य प्लेटफार्म पर  AQI से संबंधित भ्रामक आंकड़े प्रचारित और प्रसारित किए जा रहे हैं जो वायु गुणवत्ता बताने वाले निजी एप से लिए गए हैं। 


अधिकतर विदेशी प्लेटफॉर्म US-EPA मानकों का उपयोग करते हैं, जबकि भारत में National Air Quality Index (NAQI) का पालन किया जाता है। दोनों के मापदंड अलग-अलग हैं। साथ ही सरकारी स्टेशन (जैसे लालबाग, तालकटोरा, अलीगंज) प्रमाणित और कैलिब्रेटेड उपकरणों का उपयोग करते हैं। निजी संस्थाएं अक्सर सैटेलाइट डेटा या अनकैलिब्रेटेड सेंसर का प्रयोग करती हैं, जिनमें त्रुटि की संभावना अधिक होती है।


सीपीसीबी का डेटा 24 घंटे के औसत पर आधारित

सीपीसीबी द्वारा जारी AQI आंकड़े पिछले 24 घंटों के औसत वैज्ञानिक मूल्यांकन पर आधारित होते हैं, जिससे शहर की वास्तविक और समग्र वायु गुणवत्ता की स्थिति सामने आती है। इसके विपरीत, कई निजी ऐप्स क्षणिक और स्थानीय धूल और कणों को दिखाते हैं, जो किसी एक चौराहे, ट्रैफिक जाम या सीमित गतिविधि के कारण हो सकते हैं और पूरे शहर की स्थिति को प्रतिबिंबित नहीं करते।


तकनीकी अंतर से पैदा होता है भ्रम

वायु गुणवत्ता मापने की तकनीक और मानकों में अंतर के कारण निजी ऐप्स पर दिखाई देने वाले आंकड़े अक्सर भ्रामक हो जाते हैं। सीपीसीबी का मॉडल भारतीय परिस्थितियों के अनुरूप विकसित किया गया है, जबकि अधिकतर निजी ऐप विदेशी परिस्थितियों पर आधारित होते हैं, जो भारत की भौगोलिक, मौसमी और पर्यावरणीय स्थितियों को सही तरीके से आंकने में सक्षम नहीं हैं।


धूल और धुएं में अंतर नहीं कर पाते निजी ऐप्स

विशेषज्ञों के अनुसार कई निजी ऐप धूल कण और धुएं के बीच अंतर नहीं कर पाते। भारतीय शहरों में धूल की मात्रा स्वाभाविक रूप से अधिक होती है, लेकिन विदेशी मॉडल इसे सीधे प्रदूषण मान लेते हैं। इसी कारण AQI को वास्तविकता से अधिक दिखाया जाता है और अनावश्यक डर का माहौल बनता है।


एक ही शहर के लिए अलग-अलग आंकड़े, भरोसेमंद नहीं निजी डेटा

यह भी सामने आया है कि निजी ऐप्स एक ही शहर के अलग अलग इलाकों के लिए अलग अलग AQI दिखाते हैं, जो समग्र शहरी स्थिति नहीं बताते। ऐसे आंकड़े न तो प्रमाणिक होते हैं और न ही किसी आधिकारिक एजेंसी द्वारा सत्यापित, जिससे आमजन में भ्रम और चिंता फैलती है।


भ्रामक आंकड़ों से फैलाई जा रही चिंता निराधार

निजी ऐप के आधार पर फैलाया जा रहा डर तथ्यहीन और निराधार है। लखनऊ की वायु गुणवत्ता मध्यम श्रेणी में है, स्थिति नियंत्रण में है और घबराने की कोई आवश्यकता नहीं है। नागरिकों से अनुरोध है कि केवल सीपीसीबी और सरकारी स्रोतों से प्राप्त जानकारी पर ही भरोसा करें।

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