Saturday 23rd of November 2024

ग्रामीण परिवारों की आय बढ़ाने पर है सीएम योगी का फोकस, गांवों की तस्वीर बदलेगा गोबरधन और अपशिष्ट प्रबंधन

Reported by: PTC News उत्तर प्रदेश Desk  |  Edited by: Shagun Kochhar  |  June 12th 2023 04:16 PM  |  Updated: June 12th 2023 04:16 PM

ग्रामीण परिवारों की आय बढ़ाने पर है सीएम योगी का फोकस, गांवों की तस्वीर बदलेगा गोबरधन और अपशिष्ट प्रबंधन

लखनऊ: उत्तर प्रदेश में गांवों के कायाकल्प के विजन को ध्यान में रखकर कार्य कर रहे सीएम योगी आदित्यनाथ अब राज्य के सभी गांवों की स्वच्छता और स्वावलंबन को ध्यान में रखकर नए एप्रोच के साथ कार्ययोजना पर आगे बढ़ रहे हैं।

गांवों की तस्वीर बदलेगा गोबरधन और अपशिष्ट प्रबंधन

प्रदेश के सभी गांवों को ओडीएफ (ओपन डेफिकेशन फ्री) बनाने के अतिरिक्त ओडीएफ प्लस केटेगरीज में गांवों को अपडेट करने के लिए प्रयासरत प्रदेश सरकार ने गोबरधन और अपशिष्ट प्रबंधन के जरिए गांवों की तस्वीर बदलने की दिशा में तेजी कदम बढ़ाए हैं। सीएम योगी की मंशा के अनुरूप, प्रदेश के सभी गांवों में गोबरधन और अपशिष्ट प्रबंधन के जरिए स्वच्छता को बढ़ावा देने के साथ ही आय को बढ़ाने के प्रयासों पर भी बल दिया जा रहा है। इसी के फलस्वरूप, राज्य के सभी गांवों में कैटल डंग व कृषि अपशिष्टों को बायोगैस व स्लरी में परिवर्तित किए जाने की कार्ययोजना का क्रियान्वयन युद्धस्तर पर जारी है। इतना ही नहीं, गांवों में प्लास्टिक समेत अन्य अपशिष्ट प्रबंधन को लेकर भी वृहद स्तर पर कार्य किया जा रहा है। इन सब प्रयासों के जरिए प्रदेश के सभी गांवों को स्वच्छता की रैंकिंग में ऊपर लाने और उन्हें जिले, राज्य व देश स्तर पर पुरस्कृत किए जाने के लिए प्रयासरत योगी सरकार एक विस्तृत कार्ययोजना के अंतर्गत सिलसिलेवार पूरा करने की ओर बढ़ रही है।

गोबरधन बनेगा स्वच्छता और आय का साधन

प्रदेश के सभी गांवों में कैटल डंग व कृषि अपशिष्टों को बायोगैस व स्लरी में परिवर्तित कर ग्रामीण परिवारों की आय बढ़ाने की मंशा से गोबरधन योजना को बढ़ावा देने की कोशिश कर रही योगी सरकार द्वारा इस विषय में स्वच्छ भारत मिशन (ग्रामीण) के अंतर्गत प्रति जिले 50 लाख रुपए धनराशि आवंटन की व्यवस्था की गई है। वर्तमान में, बायोगैस प्लांट का निर्माण गांव की सरकारी गौशालाओं से जोड़कर किया जा रहा है जिससे कि प्लांट के लिए फीड स्टॉक सुनिश्चित किया जा सके। कार्ययोजना के मुताबिक, प्लांट से निर्मित होने वाली गैस से जेनरेटर संलग्न कर गांवों के सामुदायिक स्थानों पर प्रकाश की व्यवस्था भी की जा रही है। 

इसके अतिरिक्त, इन प्लांटों से बनने वाली ऊर्जा से आटा चक्की के संचालन की व्यवस्था भी की जा रही है, जिससे कि सस्ती दरों पर ग्रामीण जनों को आटा पीसने की सुविधा उपलब्ध कराई जा रही है। वहीं, चिह्नित परिवारों को रसोई में प्रयोग के लिए चूल्हे भी लगाकर देने के संबंध में भी वितरण की व्यवस्था की जा रही है। फिलहाल, प्रदेश में 20 जिलों में गोबरधन से संबंधित प्लांट पूर्ण किए जा चुके हैं, जबकि 38 जिलों में 60 प्लांट निर्माणाधीन हैं। जिन 17 जिलों के 22 प्लांटों का कार्य अभी शुरू नहीं हुआ है उन्हें भी क्रियान्वित करने की दिशा में प्रयास शुरू हो गए हैं।

कचरा प्रबंधन को सुदृढ़ बनाने पर जोर

स्वच्छ भारत मिशन के एक महत्वपूर्ण घटक के तौर पर राज्य के सभी गांवों के मलीय कचरे के निस्तारण प्रबंधन को सुचारू बनाने और इसमें वृद्धि करने के उद्देश्य से प्रदेश सरकार वृहद स्तर पर कार्य कर रही है। प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में इस कार्य के लिए कुल 763 नगरीय निकायों में स्थापित व प्रस्तावित एफएसटीपी से 20 से 25 किमी की त्रिज्या में आने वाले गांवों को उस निकाय की एफएसटीपी से संबद्ध करने की कार्यवाही प्रक्रियाधीन है। इसके बाद, बचे हुए गांवों में एफएसटीपी निर्माण की कार्रवाई पंचायती राज विभाग द्वारा की जाएगी। वहीं, गांवों में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन के लिए 35 जिलों में प्लास्टिक अपशिष्ट प्रबंधन इकाई का निर्माण कराया जा रहा है।

प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में इस कार्य के लिए कुल 763 नगरीय निकायों में स्थापित प्रदेश के ग्रामीण क्षेत्रों में इस कार्य के लिए कुल 763 नगरीय निकायों में स्थापित व प्रस्तावित एमआरएफ सेंटर्स से 15 से 20 किमी में आने वाले गांवों को उस निकाय के एमआरएफ सेंटर से संबद्ध किया जाएगा। बचे हुए गांवों में पीडब्ल्यूएम इकाई का निर्माण पंचायती राज विभाग द्वारा किए जाने के निर्देश दिए गए हैं।

स्वच्छ सर्वेक्षण से मिलेगी गांवों को नई पहचान

स्वच्छता के क्षेत्र में ओडीएफ प्लस के विभिन्न घटकों पर उत्कृष्ट कार्य करने वाली ग्राम पंचायतों के चयन के लिए पेयजल व स्वच्छता विभाग, जलशक्ति मंत्रालय (भारत सरकार) द्वारा स्वच्छ ग्रामीण सर्वेक्षण 2023 का आयोजन किया जा रहा है। ऐसे में, प्रदेश के सभी जिलों में जिलाधिकारी के नेतृत्व में प्रत्येक विकास खंड की सभी ग्राम पंचायतों की सहभागिता पंजीयन के बाद जनसंख्या के आधार पर तीन केटेगरीज में बांटा जाएगा। 2000 तक, 2001 से 5000 तक व 5000 से ज्यादा आबादी वाली 5-5 ग्राम पंचायतों के रूप में कुल 15 उत्कृष्ट ग्राम पंचायतों का चयन किया जाएगा। 

इसी तरह, प्रत्येक विकास खंड से चयनित 15 उत्कृष्ट ग्राम पंचायतों में से जिला स्तर 15 उत्कृष्ट ग्राम पंचायतों का भी चयन किया जाएगा। ऐसे में, सभी जिलों से चयनित ग्राम पंचायतों को केंद्र सरकार द्वारा थर्ड पार्टी सत्यापन कराकर उत्कृष्ट पंचायत चयनित करने की प्रक्रिया को अंजाम दिया जाएगा।

2 अक्तूबर को मिलेगा सम्मान

प्रदेश में स्वच्छ ग्रामीण सर्वेक्षण 2023 में सहभागी सत्यापन को पूर्ण करने की विकास खंड स्तर समयावधि पर इस वर्ष एक मई से 15 जून के बीच तय की गई है। जबकि, जनपद स्तर पर 16 जून से 30 जून, राज्य स्तर पर एक जुलाई से 15 जुलाई तक और जिले स्तर पर उत्कृष्ट ग्राम पंचायतों को चिह्नित कर पुरस्कृत किए जाने के लिए 31 जुलाई तक की समयसीमा तय की गई है। वहीं, राज्य स्तर पर उत्कृष्ट ग्राम पंचायतों को चिह्नित कर पुरस्कृत करने की समयावधि 15 अगस्त तक निर्धारित की गई है।  राज्य द्वारा नामित उत्कृष्ट ग्राम पंचायतों को राष्ट्रीय स्वतंत्र संस्था द्वारा सत्यापित करने की समयसीमा 16 जुलाई से 15 अगस्त के मध्य निर्धारित है। इसी प्रकार, सभी आवेदनों की समीक्षा के बाद चयनित ग्राम पंचायतों को राष्ट्रीय स्तर पर पुरस्कृत करने के लिए 2 अक्तूबर की तिथि निर्धारित की गई है। जाहिर है, इन मानकों पर खरा उतरकर प्रदेश के गांवों को राष्ट्रीय स्तर पर ख्याति दिलाने के लिए राज्य सरकार ने युद्धस्तर पर प्रयास जारी कर दिए हैं।

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