नक्सली संगठनों की फंडिंग की जांच करेगा प्रवर्तन निदेशालय, जोनल कार्यालय की इंटेलिजेंस यूनिट हुई सक्रिय
ब्यूरो: देश विरोधी गतिविधियों में शामिल आरोपियों पर जांच एजेंसियां लगातार नकेल कस रही हैं। बलिया में एटीएस की गिरफ्त में आए प्रतिबंधित नक्सली संगठन सीपीआई (माओवादी) के कथित सदस्यों को होने वाली फंडिंग की जांच प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) करेगा। खुलासे के बाद राजधानी स्थित ईडी के जोनल कार्यालय की इंटेलिजेंस यूनिट को सक्रिय कर दिया गया है। ईडी के अधिकारी इस मामले में मनी लॉन्ड्रिंग का केस दर्ज करने के लिए एटीएस से जांच से संबंधित जानकारी जुटाने की तैयारी में हैं। वहीं दूसरी ओर, एटीएस की जांच के दायरे में बिहार सीमा पर स्थित जिलों के करीब एक दर्जन जनप्रतिनिधि आ रहे हैं, इन पर नक्सलियों की मदद करने का शक है। जांच एजेंसियां मामले की पड़ताल कर रही हैं।
एटीएस की गिरफ्त में आए पांचों कथित नक्सलियों को रिमांड पर देने के लिए अदालत से अनुरोध किया गया है, जिस पर शुक्रवार को फैसला आएगा। एटीएस की पूछताछ में तारा देवी ने बताया कि वह 2005 से सीपीआई(माओवादी) नक्सली संगठन के महिला दस्ते की सदस्य है। पार्टी की केंद्रीय कमेटी के सदस्य प्रमोद मिश्रा व संदीप यादव के इशारे पर उसने बिहार में कई नक्सली घटनाओं को अंजाम दिया। 2022 में बीमारी से संदीप यादव की मौत के बाद प्रमोद सोन गंगा विंध्याचल और मगध जोन को फिर से खड़ा कर रहा था। इसके लिए युवाओं की भर्ती और फंडिंग के लिए पूर्वांचल एरिया एडहाक कमेटी गठित की गई थी इसके सचिव संतोष वर्मा ने बाकी सदस्यों के साथ काम करने के लिए ही उसे बलिया भेजा था।
उसने बताया कि कुछ दिन पहले प्रमोद मिश्रा ने अपने संदेशवाहक के जरिए हम लोगों को लड़ाकों का नया दस्ता तैयार करने के लिए विनय राम उर्फ सीताराम की अगुवाई में मीटिंग करने को कहा था। मीटिंग के दौरान हो एटीएस को भनक लग गई और हम लोग गिरफ्तार हो गए, जबकि विनय राम फरार हो गया तारा ने बताया कि उसने पूर्वी चंपारण में हथियार चलाने की ट्रेनिंग ली थी। उसके साथ 12 और लड़कियां भी थी। वर्ष 2005 में सतीश उर्फ रामप्रकाश बैठा उर्फ रवि के नेतृत्व में मधुबन बैंक डकैती की वारदात को अंजाम दिया था। बाद में संगठन ने उसे जमानत पर रिहा कराया।
गिरोह में सक्रिय सदस्यों की संख्या बढ़ाने के लिए दी जा रही ट्रेनिंग
खुफिया एजेंसियों के सूत्रों के मुताबिक यूपी में नक्सली संगठनों ने अपने पैर जमाने के लिए सीमावर्ती जिलों में भर्ती शुरू करती है। नक्सली संगठन ब्लूप्रिंट तैयार कर अपने एजेंट को भेज कर युवाओं को पैसे और शोषण के खिलाफ आवाज उठाने के नाम पर भड़काने का काम कर रहे हैं। आरोपी खासकर यूपी के पूर्वांचल और बिहार के सीमावर्ती इलाकों में अपने सदस्यों की संख्या बढ़ाने पर जोर दे रहे हैं।
युवाओं का ब्रेनवाश करने वाले पांच गिरफ्तार
यूपी एटीएस ने बीते दिनों कार्रवाई करते हुए बलिया जिले के सहतवार स्थित बसंतपुर गांव से पांच नक्सलियों को गिरफ्तार किया था। इन आरोपियों के पास नक्सल से जुड़ा साहित्य, हाथों से लिखे पर्चे, एक लैपटॉप, मोबाइल फोन, एक 9 एमएम पिस्टल और कारतूस बरामद हुए थे। जानकारी के मुताबिक नक्सल प्रशिक्षण प्राप्त कर चुकी एटीएस की गिरफ्त में आई तारा देवी उर्फ मंजू उर्फ मनीषा गिरोह की अगुवाई कर रही थी, और प्रतिबंधित संगठन सीपीआई (माओवादी) के लिए लल्लू राम ऊर्फ अरुण राम, सत्य प्रकाश वर्मा, राम मूरत और विनोद साहनी के साथ बलिया व आसपास के जिलों में संगठन के लिए युवाओं की भर्ती करने के लिए पहुंची थी। गिरफ्तार लोगों के खिलाफ एटीएस के लखनऊ थाने में आईपीसी की धारा 121 ए और 122, विधि विरुद्ध क्रियाकलाप (निवारण) अधिनियम 1967 की धारा 13, 18, 19, 20, 38, 39 और 40, शस्त्र अधिनियम की धारा 3/25 के तहत एफआईआर दर्ज की गई है।
जन स्वराज संगठन बनाया
एटीएस की गिरफ्त में आया सत्य प्रकाश इस गिरोह का लेखा-जोखा रखता था। वह लैपटॉप चलाने से लेकर इंटरनेट से जुड़ी बखूबी जानकारी रखता है। एटीएस की पूछताछ में सत्य प्रकाश ने बताया कि संतोष वर्मा नक्सली घटना को अंजाम देने पर बलिया जेल में है उसने जन स्वराज संगठन बनाया है, जिसमें राममूर्ति, हरेंद्र, विनय, बलवंत, अरुण उर्फ लल्लू राम और विनोद साहनी उसके सहयोगी है। उसने बताया कि वह लैपटॉप में कोई डाटा नहीं रखता है। पेन ड्राइव के जरिए आने वाले संदेशों को देखकर योजना बनाई जाती है। वहीं राममूर्ति राजभर ने बताया कि प्रमोद मिश्रा के एक संदेश पर उसने सीपीआई (माओबादी) संगठन के विनय राम, राजन, विनीता को 15 दिन तक अपने घर पर रखा था। मंगलवार को होने वाली बैठक विनय राम उर्फ सीताराम के नेतृत्व में हो रही थी। बरामद चाइना मेड नाट्जो पिस्टल भी विनय राम की है, इसकी मैगजीन फिट नहीं होने की वजह से बनवाने के लिए दी थी।
पूर्वांचल के आठ जिले निशाने पर
पूछताछ में लल्लू राम ने बताया कि 2004 में जनज्वार पत्रिका निकालने के दौरान वह पटना में गिरफ्तार हुआ था जमानत मिलने पर उसे प्रमोद मिश्रा ने बलिया भेजा। जहां पूर्वांचल में भाकपा (माओवादी) संगठन के लिए काम करने के लिए बलिया, आजमगढ़, मऊ, गाजीपुर, चंदौली, मिर्जापुर, वाराणसी तथा सोनभद्र में कई संगठन बनाए गए। इसमें किसान, मजदूर, छात्र, दलित, आदिवासी एवं महिलाओं को सदस्य बनाने और चंदा जुटाने का योजना पर काम चल रहा था। आरोपी बिहार और झारखंड से सटे यूपी के सीमावर्ती जिलों के युवाओं को जंगल में ले जाकर नक्सलाइट हमले का प्रशिक्षण तक दे चुके हैं। यह लोग इन इलाकों में बैठक करने के साथ लोगों का ब्रेनवाश कर सिस्टम के खिलाफ लड़ने के लिए उकसा रहे थे।