Sunday 18th of May 2025

पीलीभीत कथित धर्मांतरण: नेपाल सीमा पर चल रहा गुप्त मिशन बेनकाब!

Reported by: Gyanendra Kumar Shukla, Editor, PTC News UP  |  Edited by: Mohd. Zuber Khan  |  May 18th 2025 02:05 PM  |  Updated: May 18th 2025 02:05 PM

पीलीभीत कथित धर्मांतरण: नेपाल सीमा पर चल रहा गुप्त मिशन बेनकाब!

पीलीभीत: उत्तर प्रदेश के पीलीभीत ज़िले से सामने आई एक बड़ी और चिंताजनक खबर ने पूरे प्रदेश ही नहीं, देशभर में हलचल मचा दी है. यहां के सीमावर्ती क्षेत्रों में रह रहे करीब 3000 सिख समुदाय के लोगों के धर्मांतरण का मामला सामने आया है. ऑल इंडिया सिख पंजाबी वेलफेयर काउंसिल के अनुसार इधर कुछ ही समय में करीब तीन हजार सिख धर्मांतरण कर ईसाई बन चुके हैं. प्रारंभिक जांच में यह बात सामने आ रही है कि यह सब एक सुनियोजित साजिश के तहत किया गया, जिसकी जड़ें नेपाल सीमा तक फैली हुई हो सकती हैं.

यह मामला सिर्फ धर्मांतरण का नहीं, बल्कि इससे कहीं ज्यादा गंभीर प्रतीत हो रहा है. इसमें स्थानीय, राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सक्रिय संगठनों की भूमिका की आशंका जताई जा रही है. पुलिस और प्रशासन ने इस मामले की जांच शुरू कर दी है और कई अहम सुराग हाथ लगे हैं.

कैसे शुरू हुआ शक?

जानकारी के अनुसार, बीते कुछ महीनों में पीलीभीत के कुछ सीमावर्ती गांवों में सिख परिवारों के घरों पर अजीब से निशान बनाए गए. इन निशानों के पीछे की मंशा को लेकर स्थानीय लोगों में भ्रम और डर का माहौल बना. जब इन निशानों वाले कई परिवारों ने धीरे-धीरे धार्मिक रीति-रिवाज बदलने शुरू किए, तो यह साफ हो गया कि कुछ तो गड़बड़ है. गांववालों की शिकायत पर प्रशासन हरकत में आया और जांच का आदेश दिया गया.

कौन हैं निशाने पर?

प्रारंभिक जांच में यह स्पष्ट हुआ कि जिन परिवारों का धर्मांतरण हुआ है, वे अधिकतर आर्थिक रूप से कमजोर, पिछड़े और सामाजिक रूप से हाशिए पर रहने वाले लोग हैं. उन्हें बेहतर जीवन, मुफ्त राशन, इलाज, शिक्षा और रोज़गार का लालच देकर धर्म परिवर्तन के लिए राजी किया गया. कई मामलों में लोगों ने बताया कि उन्हें धार्मिक ग्रंथों की व्याख्या के नाम पर भ्रमित किया गया और बताया गया कि उनका जीवन तभी सुधरेगा जब वे “नया मार्ग” अपनाएंगे.

नेपाल सीमा से जुड़ता कनेक्शन

पीलीभीत की भौगोलिक स्थिति इस पूरे मामले में एक अहम भूमिका निभा रही है. नेपाल सीमा से सटा होने के कारण यहां अक्सर सीमापार गतिविधियां सक्रिय रहती हैं. जांच एजेंसियों को शक है कि नेपाल से संचालित कुछ एनजीओ और मिशनरी संगठन, जो मानव सेवा के नाम पर काम कर रहे हैं, असल में धर्मांतरण जैसे कार्यों में संलिप्त हैं.

नेपाल में पहले से ही मिशनरियों की मजबूत पकड़ रही है, और वहां से सटे भारतीय इलाकों में भी उनका प्रभाव लगातार बढ़ता जा रहा है. ऐसे में इस बात से इनकार नहीं किया जा सकता कि पीलीभीत और उसके आसपास के क्षेत्रों में धर्मांतरण की घटनाएं एक अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क के माध्यम से संचालित हो रही हों.

प्रशासन की कार्रवाई और जांच

पीलीभीत प्रशासन ने पूरे मामले को गंभीरता से लेते हुए एक विशेष जांच टीम (SIT) गठित की है. डीएम और एसपी ने संयुक्त रूप से प्रेस कांफ्रेंस कर जानकारी दी कि अब तक करीब एक दर्जन संदिग्धों से पूछताछ की जा चुकी है. साथ ही, यह भी पता लगाया जा रहा है कि इन लोगों को आर्थिक सहायता कहां से मिल रही थी और इनका संबंध किन-किन संस्थाओं से रहा है.

इसके अलावा जिले में विशेष सतर्कता बरती जा रही है और जिन गांवों में धर्मांतरण की घटनाएं हुईं, वहां काउंसलिंग कैंप भी लगाए जा रहे हैं ताकि लोगों को सच्चाई से अवगत कराया जा सके.

सिख संगठनों में भारी नाराजगी

इस पूरे घटनाक्रम से सिख समाज बेहद आक्रोशित है. स्थानीय गुरुद्वारों और सिख प्रतिनिधि संगठनों ने सरकार से इस पूरे प्रकरण की उच्चस्तरीय जांच और दोषियों के खिलाफ कठोरतम कार्रवाई की मांग की है. उनका कहना है कि यह सिर्फ धर्मांतरण नहीं, बल्कि उनकी सांस्कृतिक और धार्मिक पहचान पर सीधा हमला है.

योगी आदित्यनाथ ने दिए निर्देश

राज्य सरकार ने मामले का संज्ञान लेते हुए सभी सीमावर्ती जिलों में सतर्कता बढ़ा दी है. मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि किसी भी प्रकार के अवैध धर्मांतरण की घटनाओं को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा. साथ ही, “उत्तर प्रदेश धर्म स्वतंत्रता कानून” के तहत सख्त कार्रवाई के आदेश भी दिए गए हैं.

देश की धार्मिक और सामाजिक एकता को कमजोर करने की एक सुनियोजित साजिश?

क्या यह पूरा नेटवर्क भारत विरोधी शक्तियों द्वारा संचालित है?

क्या इन गतिविधियों को कोई राजनीतिक या विदेशी संरक्षण प्राप्त है?,क्या पीलीभीत ही नहीं, अन्य जिलों में भी इसी तरह की घटनाएं हो रही हैं?

इन सभी सवालों के जवाब जांच पूरी होने के बाद सामने आएंगे, लेकिन यह स्पष्ट है कि यह मामला सिर्फ एक जिले तक सीमित नहीं है. यह देश की धार्मिक और सामाजिक एकता को कमजोर करने की एक सुनियोजित साजिश का संकेत देता है. अब ज़रूरत है कि शासन, प्रशासन और समाज इस मुद्दे को गंभीरता से लें और यह सुनिश्चित किया जाए कि किसी भी नागरिक की धार्मिक स्वतंत्रता का दुरुपयोग कर उसे भ्रमित करके धर्म परिवर्तन न कराया जाए.

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