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जब कोरोना ने तोड़ दी थी कारोबारियों की कमर, तब अखिलेश दुबे ने व्यवसाय में की 'दिन दूना रात चौगुना', सीएम योगी को दिया श्रेय

Reported by: PTC News उत्तर प्रदेश Desk  |  Edited by: Shagun Kochhar  |  April 15th 2023 06:23 PM  |  Updated: April 15th 2023 06:23 PM

जब कोरोना ने तोड़ दी थी कारोबारियों की कमर, तब अखिलेश दुबे ने व्यवसाय में की 'दिन दूना रात चौगुना', सीएम योगी को दिया श्रेय

लखनऊ: वैश्विक महामारी कोरोना ने तमाम कारोबारियों को काम को हिलाकर रख दिया। वहीं नए कारोबारियों की इसमें क्या बिसात?, लेकिन पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के गृहक्षेत्र के एक युवा अखिलेश दूबे का उदाहरण इसके ठीक उलट है। पूर्वांचल के सबसे बड़े पर्व मकर संक्रांति के पावन अवसर पर गुरु गोरक्षनाथ का आर्शीवाद लेकर मात्र 2.5 लाख रुपये की पूंजी से उन्होंने रेडीमेड गारमेंट की एक छोटी सी इकाई डाली थी। पांच साल में आज उनका कारोबार 24 गुना उछाल हासिल कर चुका है। बेहद कठिन चुनौतियों के उस दौर के मद्देनजर खुद के कारोबार को संभालना और बाद में उसे बढ़ाना, 'दिन दूना रात चौगुना' मुहावरे का जीवंत प्रमाण है। गत 9 अप्रैल को उन्हें मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के समक्ष अपने उत्पाद प्रदर्शित करने का अवसर मिला। सीएम उनके स्टाल पर आए और उनके द्वारा तैयार अच्छी क्वालिटी के उत्पादों को देखकर खुश हुए और आगे बढ़ते रहने को प्रेरित किया।

2018 में 2.5 लाख रुपये से शुरू रेडीमेड गारमेंट का काम आज करीब 60 लाख रुपये तक पहुंच गया है। दो साल के वैश्विक महामारी कोरोना के ब्रेक के बावजूद अखिलेश की यह उपलब्धि खुद में खास है। उनके मुताबिक इसका श्रेय मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ द्वारा कारोबार, खासकर हम जैसे छोटे कारोबारियों के लिए तैयार इकोसिस्टम को है। बकौल अखिलेश, हमारे जैसे नये कारोबारी के लिए कोरोना का वह दो साल का कार्यकाल किसी दुःस्वप्न जैसा था।  लॉकडाउन के कारण पूरी आपूर्ति चेन ठप थी। प्रोडक्शन लगभग शून्य पर आ गया। पर कुछ करने की दृढ़ इच्छाशक्ति, घर वालों के सहयोगऔर उनके अनुभव से संभल गया।

काम आया घर के बड़े लोगों का अनुभव

अखिलेश मूलरूप से संतकबीरनगर जिले के किठुऊरी (हैसर बाजार) के रहने वाले हैं। संतकबीरनगर किसी जमाने में अपने हैंडलूम उत्पादों के लिए जाना जाता था। उनके बाबा स्वर्गीय झिनकू दूबे कोलकाता की एक नामचीन टेक्सटाइल कंपनी के डिजाइन सेक्शन में काम कर चुके थे। चाचा शत्रुध्न दूबे दिल्ली के एक्सपोर्ट हाउस में प्रोडक्शन के हेड हैं। ऐसे में जब संकट का दौर आया तब घर के बड़े लोगों का अनुभव काम आया।

कभी सिविल सर्विसेज की कर रहे थे तैयारी

 ग्रेजुएशन के बाद सिविल सर्विसेज की तैयारी के लिए अखिलेश 2014 में दिल्ली चले गये। चाचा के यहां आना-जाना होता रहता था। बातचीत के दौरान उनको गारमेंट इंडस्ट्री की कुछ समझ हो गई। सिविल सेवा में सफलता नहीं मिली। लौटकर गोरखपुर आये तो सूरजकुंड में गारमेंट की एक यूनिट डाल दी। 2017 में सरकार बदल चुकी थी। अपने ही शहर के योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री बन चुके थे। वह कहते हैं कि यहां का होने के नाते मैं सांसद के रूप में टेक्सटाइल पार्क, फूड पार्क, बंद खाद कारखाने को फिर से चलाने के लिए योगी जी के संघर्षों और प्रतिबद्धताओं से वाकिफ था। लिहाजा उद्योग जगत के बेहतरी की उम्मीद थी। उम्मीद के अनुसार कारोबार के लिए इकोसिस्टम भी बदलने लगा था।

ओडीओपी घोषित होने से बढ़ा हौसला

मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की पहल पर टेरोकोटा के बाद रेडीमेड गारमेंट का गोरखपुर का दूसरा उत्पाद घोषित होना और फ्लैटेड फैक्ट्री की घोषणा ने हौसला बढ़ाने का काम किया। सो कोरोना के बाद भी उम्मीद के मुताबिक संभल गये।

ऑनलाइन बाजार के जरिए पूरे देश मे उपस्थिति

युवा होने के नाते वह तकनीक में भी दक्ष हैं। इसके नाते ऑनलाइन कारोबार के जरिए पूरा भारत ही उनके उत्पादों का बाजार है। पर सीधी आपूर्ति गोरखपुर, बस्ती, आजमगढ़ मंडल के कई जिलों में है। वाराणसी मंडल के कुछ जिलों के अलावा रक्सौल, बगहा, बेतिया तक भी उत्पाद जाते हैं। ओडीओपी के तहत अनुदान पर 25 लाख रुपये का लोन भी हो चुका है। मेन्स वियर शर्ट, कुर्ता, सदरी, बॉक्सर, लोवर के उत्पादन पर उनका फोकस है। उत्पाद की जरूरत के अनुसार अहमदाबाद, भिवंडी आदि जगहों से कपड़ा आता है। पैकेजिंग के आइटम दिल्ली से आते हैं। उनकी इकाई में 30 लोग काम करते हैं जिनमें से 7 महिलाएं हैं। खुद आगे बढ़ रहे अखिलेश, रेडीमेड गारमेंट कारोबार के संबंध में किसीको सुझाव देने को भी तत्पर हैं।

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