Sunday 19th of January 2025

UP Lok Sabha Election 2024: गौतमबुद्धनगर संसदीय सीट से किसका पलड़ा भारी, जानिए इस Seat का पूरा ब्यौरा

Reported by: PTC News उत्तर प्रदेश Desk  |  Edited by: Deepak Kumar  |  April 10th 2024 04:45 PM  |  Updated: April 15th 2024 01:03 PM

UP Lok Sabha Election 2024: गौतमबुद्धनगर संसदीय सीट से किसका पलड़ा भारी, जानिए इस Seat का पूरा ब्यौरा

ब्यूरो: Gyanendra Shukla, Editor, UP: यूपी के ज्ञान में आज चर्चा का केंद्रबिंदु है गौतमबुद्ध नगर लोकसभा क्षेत्र। पश्चिमी यूपी का ये जिला राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) का हिस्सा है। देश का सर्वाधिक तेजी से विकसित होता हुआ समृद्ध जिला है। पौराणिक मान्यताओं में भी इस क्षेत्र का वर्णन हुआ है। यहां के दनकौर क्षेत्र में गुरु द्रोणाचार्य का आश्रम हुआ करता था। जो कौरव और पांडवों के गुरु थे।  बिसरख में रावण के पिता विश्वश्रवा ऋषि का जन्म स्थान था। यहां उस युग से संबंधित प्राचीन मंदिर आज भी स्थित है। अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ जंग लड़ रहे क्रांतिकारी रामप्रसाद बिस्मिल साल 1919 में ग्रेटर नोएडा स्थित रामपुर जागीर गांव पहुंचे। यहां कुछ दिन भूमिगत रहकर व्यतीत किए।

अलग जिला बनाने को लेकर दिलचस्प दास्तान

मौजूदा गौतमबुद्धनगर जिले की नींव पड़ी थी 9 जून 1997 को। यूपी की तत्कालीन मायावती सरकार ने बुलंदशहर और गाजियाबाद के कुछ ग्रामीण व अर्ध शहरी क्षेत्रों को मिलाकर नया जिला बना दिया। बीएसपी सुप्रीमो मायावती का पैतृक गांव बादलपुर भी इसी जिले में स्थित है। लेकिन  साल 2003 में यूपी की सत्ता की बागडोर संभालने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री मुलायम सिंह यादव ने इस जिले को भंग कर दिया। इससे यहां के निवासी खासे आक्रोशित हो गए, जन आंदोलन शुरू हो गया। लोगों के कड़े तेवर भांपकर मुलायम सरकार बैकफुट पर आई और जिले को बहाल कर दिया गया। अब नोएडा और ग्रेटर नोएडा जैसे क्षेत्र इस व्यावसायिक उपमहानगर में शामिल हो चुके है.

यूपी का सर्वाधिक विकसित शहर है

उत्तर प्रदेश की 80 लोकसभा सीटों में गौतमबुद्धनगर उन सीटों में शुमार है जो विकास के पैमाने पर अव्वल पायदान पर हैं। यहां सूबे में सबसे अधिक विकास हुआ है। यहां एयरपोर्ट से लेकर फिल्म सिटी, मेडिकल डिवाइस पार्क, लॉजिस्टक हब, पंडित दीन दयाल उपाध्याय पुरातन संस्थान एवं संस्कृति संग्रहालय, ईस्टर्न और वेस्टर्न डेडिकेटेड फ्रेट कॉरीडोर है। इसके साथ ही योगी सरकार की इन्वेस्टर्स समिट के तहत सबसे ज्यादा निवेश भी यहीं आकर्षित हुआ है। यहां करीब सवा दो लाख करोड़ का औद्योगिक पूंजी निवेश हुआ है।

इतिहास के झरोखे से चुनावी कवायद

1952 में हुए पहली बार संसदीय चुनाव में गौतमबुद्ध नगर लोकसभा सीट का अस्तित्व ही नहीं था। उस समय ये इलाका बुलंदशहर लोकसभा सीट का हिस्सा हुआ करता था। 1962 में तीसरे लोकसभा चुनाव के दौरान खुर्जा लोकसभा सीट का गठन किया गया था। इसके बाद इस क्षेत्र को खुर्जा में शामिल कर दिया गया। खुर्जा लोकसभा सीट अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित थी।

ढाई दशक पूर्व अस्तित्व में आई गौतमबुद्धनगर संसदीय सीट

साल  2008 में हुए परिसीमन के बाद यह सीट अस्तित्व में आई. नई सीट के के तौर पर अस्तित्व में आने के बाद गौतम बुद्ध नगर में साल 2009 के लोकसभा चुनाव में पहली बार मतदान हुआ था। तब बीएसपी के सुरेंद्र सिंह नागर ने बीजेपी के डॉ महेश शर्मा को 15,904 वोटों के फासले से चुनाव हरा दिया था। समाजवादी पार्टी तब तीसरे स्थान पर रही थी।

बीते दो आम चुनावों में बीजेपी को मिली कामयाबी

2014 के आम चुनाव में मोदी लहर का करिश्मा यहां भी नजर आया। गौतम बुद्ध नगर सीट बीजेपी के खाते में दर्ज हो गई। बीजेपी के डॉ महेश शर्मा ने सपा के नरेंद्र भाटी को 2,80,212 वोटों के मार्जिन से हरा दिया। बसपा तीसरे, आप चौथे और कांग्रेस पांचवी पोजीशन पर रही थी। इसके बाद डॉ शर्मा को केन्द्र की मोदी सरकार में मंत्री पद का तोहफा भी मिला। 2019 के चुनाव में इस सीट पर 62.7 फीसदी का रेकार्ड मतदान हुआ। इस चुनाव में डॉ. महेश शर्मा ने बसपा प्रत्याशी को 3,36,922 वोटों के भारी अंतर से मात दी। डॉ महेश शर्मा को चुनाव में 830,812 वोट मिले जबकि सपा-बीएसपी गठबंधन के तहत चुनाव लड़ रहे बीएसपी के सतवीर 493,890 वोट मिले। कांग्रेस के डॉक्टर अरविंद कुमार सिंह तीसरे स्थान पर रहे थे।

इस सीट पर जातीय-सामाजिक समीकरण

इस संसदीय सीट के करीब 23 लाख वोटरों में 16 लाख वोटर ग्रामीण इलाकों के हैं। इनमें ठाकुर (क्षत्रिय) बिरादरी के वोटर करीब साढ़े चार लाख है। चार लाख ब्राह्मण वोटर हैं। मुस्लिम वोटर साढ़े तीन लाख हैं, गुर्जर साढ़े तीन लाख से चार लाख के बीच हैं। दलित साढ़े तीन लाख हैं, जिनमें जाटव सर्वाधिक हैं। जाट, सैनी व अन्य ओबीसी बिरादरियां भी प्रभावी तादाद में हैं।

बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी का बजा डंका

गौतमबुद्धनगर संसदीय सीट के अंतर्गत नोएडा, दादरी, जेवर और बुलंदशहर की सिकंदराबाद व खुर्जा विधानसभा सीटें शामिल हैं। साल 2022 के विधानसभा चुनाव मे यहां की सभी सीटों पर बीजेपी उम्मीदवारों को ही कामयाबी मिली। नोएडा से पंकज सिंह विधायक हैं जो रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के पुत्र हैं। तो दादरी से तेजपाल सिंह नागर, जेवर से धीरेन्द्र सिंह, सिकंदराबाद से लक्ष्मी राज सिंह और खुर्जा से मीनाक्षी सिंह विधायक हैं।

2024 की चुनावी चौसर के बड़े चेहरे

आम चुनाव को लेकर  सभी  दलों के उम्मीदवार चुनावी मैदान में डट चुके हैं। बीजेपी की ओर से फिर से डॉ महेश शर्मा की प्रत्याशी बनाए गए हैं, जिनके जरिए पार्टी इस सीट पर जीत की हैट्रिक की उम्मीद लगाए हुए है। बीएसपी से राजेन्द्र सिंह सोलंकी चुनावी मैदान में उतरे हुए हैं। तो खासे असमंजस और ऊहापोह के हालातों के बाद डा. महेन्द्र नागर बतौर प्रत्याशी मौजूद हैं। दरअसल सपा ने शुरुआती दौर में ही डा नागर के नाम का ऐलान किया था लेकिन कुछ वक्त बाद राहुल अवाना को टिकट दे दिया। प्रत्याशी घोषित होने के बाद राहुल अवाना के समर्थकों ने भारी भीड़ और हंगामे के साथ उनका डीएनडी पर स्वागत किया, जिसके बाद आचार संहिता के उल्लंघन में उनके खिलाफ मुकदमा भी दर्ज हो गया। हालांकि राहुल अवाना के प्रत्याशी घोषित होने के बाद कांग्रेस और सपा दोनों के कार्यकर्ता नाराज थे। पार्टी के भीतर हो रही हलचलों को भांपते हुए सपाई आलाकमान ने यू टर्न लेते हुए डा महेन्द्र नागर की उम्मीदवार बहाल कर दी गई। अब इन तीनों दलों के त्रिकोणीय मुकाबले के साथ ही कई छोटे दल और निर्दलीय भी भाग्य आजमा रहे हैं। 

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