Sunday 13th of April 2025

77 GI उत्पादों के साथ उत्तर प्रदेश बना नंबर एक, 32 GI के साथ काशी बना दुनिया का GI हब

Reported by: Gyanendra Kumar Shukla, Editor, PTC News UP  |  Edited by: Mohd. Zuber Khan  |  April 11th 2025 06:12 PM  |  Updated: April 11th 2025 06:12 PM

77 GI उत्पादों के साथ उत्तर प्रदेश बना नंबर एक, 32 GI के साथ काशी बना दुनिया का GI हब

वाराणसी: उत्तर प्रदेश की सांस्कृतिक और शिल्प विरासत को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर नई पहचान मिल रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शुक्रवार को अपने वाराणसी दौरे के दौरान प्रदेश के 21 पारंपरिक उत्पादों को भौगोलिक संकेतक (GI) टैग का प्रमाण पत्र प्रदान किया। इस कार्यक्रम ने न सिर्फ प्रदेश की विविधताओं को एक नई उड़ान दी, बल्कि योगी सरकार की ‘एक जिला, एक उत्पाद’ नीति की सफलता को भी रेखांकित किया। बनारसी तबला और भरवा मिर्च जैसे खास व्यंजन और कारीगरी अब वैश्विक मंच पर अपनी विशिष्ट पहचान के साथ चमक बिखेरेंगे। उल्लेखनीय है कि 77 जीआई उत्पादों के साथ उत्तर प्रदेश भारत में पहले स्थान पर है। इसमें भी अकेले 32 जीआई के साथ काशी क्षेत्र दुनिया का जीआई हब है। 

बनारसी तबला और भरवा मिर्च को मिली खास पहचान

वाराणसी की दो विशिष्ट पहचानें बनारसी तबला और भरवा मिर्च अब GI टैग प्राप्त कर राष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त उत्पाद बन गए हैं। संगीतप्रेमियों के लिए बनारसी तबला वर्षों से एक खास स्थान रखता है, वहीं बनारसी भरवा मिर्च अपने अनूठे स्वाद और पारंपरिक विधि के कारण हमेशा चर्चा में रहती है।

प्रदेश की पारंपरिक कारीगरी को अंतर्राष्ट्रीय मंच

वाराणसी के ही अन्य उत्पाद जैसे शहनाई, मेटल कास्टिंग क्राफ्ट, म्यूरल पेंटिंग, लाल पेड़ा, ठंडाई, तिरंगी बर्फी और चिरईगांव का करौंदा को भी GI टैग प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है। ये सभी न केवल सांस्कृतिक धरोहर हैं, बल्कि इनसे जुड़े हज़ारों कारीगरों को अब वैश्विक बाजार में अपने हुनर को दिखाने का अवसर मिलेगा। पद्मश्री से सम्मानित जीआई विशेषज्ञ डॉ रजनीकांत के अनुसार, काशी क्षेत्र दुनिया का जीआई हब है। 32 जीआई टैग के साथ लगभग 20 लाख लोगों के जुड़ाव और 25500 करोड़ के वार्षिक कारोबार अकेले काशी क्षेत्र से है। 

बरेली, मथुरा और बुंदेलखंड को भी मिला सम्मान

इस GI सूची में बरेली का फर्नीचर, जरी जरदोजी और टेराकोटा, मथुरा की सांझी क्राफ्ट, बुंदेलखंड का काठिया गेहूं और पीलीभीत की बांसुरी भी शामिल हैं। ये सभी उत्पाद अपने-अपने क्षेत्रों की सांस्कृतिक पहचान हैं और अब GI टैग प्रमाण पत्र मिलने से इन्हें कानूनी संरक्षण और ब्रांड वैल्यू दोनों मिलेंगे।

चित्रकूट, आगरा, जौनपुर की कला को नई उड़ान

चित्रकूट का वुड क्राफ्ट, आगरा का स्टोन इनले वर्क और जौनपुर की इमरती को भी GI टैग प्रमाण पत्र प्रदान किया गया है। इससे स्पष्ट है कि उत्तर प्रदेश के हर क्षेत्र में छिपे पारंपरिक शिल्प और स्वाद को अब वैश्विक मंच पर ले जाने की दिशा में ठोस कदम उठाए जा रहे हैं।

GI टैग से कारीगरों और किसानों को मिलेगा लाभ

GI टैग न केवल उत्पाद की मौलिकता को दर्शाता है, बल्कि इसके जरिए किसानों और कारीगरों को बाजार में बेहतर दाम मिलते हैं। इससे रोजगार के नए अवसर भी सृजित होते हैं। योगी सरकार के सतत प्रयासों और ODOP नीति के चलते उत्तर प्रदेश GI टैग प्राप्त उत्पादों की संख्या में लगातार शीर्ष पर बना हुआ है।

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