अनुदानित मदरसों में चल रहे भ्रष्टाचार और फर्जी नियुक्ति पर योगी सरकार सख्त
ब्यूरो: उत्तर प्रदेश के अनुदानित मदरसों में नियमों को दरकिनार कर नियुक्ति करने के आरोप लगाते रहे हैं। अब प्रदेश सरकार ने सख्त रुख अख्तियार किया है। मदरसों में नियुक्ति के नाम पर लाखों की वसूली करने वाले जालसाजों का गिरोह भारत-नेपाल के सीमावर्ती क्षेत्र से लेकर वाराणसी तक फैला है। इसे मदरसे के शिक्षक, प्रबंधक व प्रबंध समिति के सदस्य और अल्पसंख्यक कल्याण विभाग के लिपिक मिलकर चला रहे हैं। जांच के बाद साक्ष्यों के आधार पर यूपी सरकार सख्त कार्रवाई करने की तैयारी में है।
प्रदेश सरकार अनुदानित मदरसों में चल रहे फर्जी नियुक्त व भ्रष्टाचार की शिकायतों के बाद ऐसे गिरोह को बेनकाब करने जुटी है। विभागीय जांच में पता चला कि अयोध्या के अनुदानित मदरसा मेराजुल उलूम दिल्ली दरवाजा में तैनात सहायक अध्यापक खुर्शीद अहमद के इशारे पर देवीपाटन और अयोध्या मंडल के मदरसों में जालसाजी का खेल चल रहा है। वह मदरसों की साधारण सभा व प्रबंध समितियों के सूची में भी मनमर्जी से बदलाव करता है। उसका सहयोग तुलसीपुर के मदरसा जामिया अनवारूल उलूम नई बाजार में तैनात लिपिक अजीज अहमद अंसारी करता है। मामले में लखनऊ के हजरतगंज थाने में एफआईआर दर्ज है।
विभागीय जांच में खुला बड़ा नेटवर्क
बलरामपुर जिले के मदरसा अहले सुन्नत नूरूल उलूम अतीकिया महराजगंज तराई में शहादत अली के जाली दस्तावेज पर नियुक्ति का मामला सामने आया। विभागीय जांच में बड़े नेटवर्क का खुलासा हुआ। गिरोह का सरगना खुर्शीद अहमद ने लिपिक अजीज अहमद अंसारी और पचपेड़वा स्थित मदरसे का प्रबंधक अहमदुल कादरी के सहयोग से सैकड़ों फर्जीवाड़ा किया। गिरोह का नेटवर्क गोंडा, बलरामपुर, आवस्ती, अयोध्या, अंबेडकरनगर, आजमगढ़, महराजगंज, सिद्धार्थनगर, मऊ और गाजीपुर तक है।
गेडहवा में है अघोषित कार्यालय
गिरोह का अघोषित कार्यालय तुलसीपुर के गैडहवा में अजीज अहमद अंसारी के आवास में है। जहां सभी दस्तावेज सुरक्षित रखे जाते हैं। यहाँ से कूटरचित दस्तावेज बनाकर उसे सरकारी दफ्तरों में असली बताकर पेश किया जाता है। वहीं, बलरामपुर में अनवारुल कुरान मदरसे के बाबू मो. शाहिद के आवास में भी कार्यालय बनाया गया है।