लव-सेक्स और ब्लैकमेल, आगरा में 300 से ज़्यादा लड़कियों को ब्लैकमेल करने वाले गिरोह का भंडाफोड़
आगरा: नाबालिग युवकों द्वारा लड़कियों का शोषण करने के लिए गैंग बनाकर वारदातों को अंजाम देने का सनसनीख़ेज़ मामला सामने आया है। जानकारी के मुताबिक़ दो दर्ज़न से अधिक लड़कों का गिरोह अलग-अलग तरीक़ों से साथ पढ़ने वाली लड़कियों के मोबाइल से, उनका डेटा चोरी कर उन्हें ब्लैकमेल करता था।
झकझोर देने वाली बात ये है कि एक युवक का काम निकलने पर वो दूसरी लड़की का डेटा लेकर ख़ुद के द्वारा शोषण की गई लड़की का सारा डेटा दूसरे को दे देता था। ख़ुलासा करने वाली अनरजिस्टर्ड एनजीओ का दावा है कि गिरोह के युवकों के द्वारा 300 से ज़्यादा लड़कियों को ब्लैकमेल कर उनका शोषण किया जा रहा था।
ताजनगरी आगरा में एक ग़ैर पंजीकृत एनजीओ की शिकायत पर पुलिस ने 9 नामजद और 20 से 25 अज्ञात लड़कों के एक गिरोह के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया है। आरोपियों में ज़्यादातर अभी नाबालिग हैं।
जानकारी के मुताबिक़ इस बाबत एक ग़ैर सरकारी संगठना (अपंजीकृत) के द्वारा महिला आयोग, बाल आयोग और अन्य जगहों पर शिकायत की गई। एनजीओ का आरोप है की बीते दिनों सिकंदरा थाना क्षेत्र की एक नाबालिग छात्रा ने उनसे मदद मांगी थी। छात्रा का आरोप था की कुछ युवक उसकी एडिटेड अश्लील फोटो और कुछ चैटिंग के स्क्रीन शॉट दिखाकर उसे ब्लैक मेल कर रहे हैं। मना करने पर आरोपी उसे उठा कर ले जाने को धमकी दे रहे हैं, वो अगर शिकायत करेगी तो परिजन उसे ग़लत ठहराएंगे और उसकी पढ़ाई बंद हो जाएगी।
पीड़िता की शिकायत पर एनजीओ के पदाधिकारियों ने लड़की को धमकी देने के काल रिकॉर्ड्स इकट्ठा किए और एक युवक को पकड़ कर उससे पूछताछ की। युवक ने पूछताछ में खुद ब्लैकमेलिंग करने और अपने दस से ज़्यादा साथियों के पास फोटो वीडियो होने की बात कबूल की।
ये भी पढ़ें:- तो इसलिए इस 70 वर्षीय बुज़ुर्ग ने अपनी 28 साल की विधवा बहू से की शादी !
एनजीओ संचालक ने बताया की अभी फिलहाल 9 लोगों के ख़िलाफ़ उनके पास सबूत हैं और इस गिरोह में 30 से ज़्यादा युवक शामिल हैं। इनमें से ज़्यादातर आरोपी नाबालिग हैं और इनकी शिकार लड़कियां भी 18 साल से कम हैं।
एनजीओ संचालक की मानें तो फिलहाल उनकी जांच में सिर्फ लड़कियों के शोषण करने की बात ही सामने आई है। आगरा पुलिस से महिला आयोग द्वारा जवाब तलब करने के बाद कार्रवाई ज़रूर की है, लेकिन ये कार्रवाई मामूली है। नाबालिग आरोपी इन धाराओं में गिरफ़्तार भी नहीं हो सकते हैं और उन्हें न्यायालय से ही ज़मानत मिल जायेगी। पुलिस अगर सही जांच करेगी तो इनके नेटवर्क का सही आंकलन हो पाएगा।