ब्यूरो: Mahakumbh: बीती 27 फरवरी को महाशिवरात्रि पर्व पर हुए स्नान के बाद प्रयागराज के महाकुंभ का समापन हो गया है। इस महा आयोजन में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, पीएम मोदी से लेकर देश-विदेश की नामचीन हस्तियों ने हिस्सा लिया। राजनीति-कारोबार-विज्ञान-ग्लैमर जगत से जुड़े करोड़ों लोग इस विराट आयोजन के साक्षी बने। 45 दिनों तक चले इस महाकुंभ ने कई पुराने रिकॉर्ड को पार करके नए कीर्तिमान रच दिए। दुनिया के नामी गिरामों संस्थानों भविष्य की रिसर्च के मद्देनजर यहां से जरूरी आंकड़े और ब्यौरा जुटाए हैं। इस महा आयोजन में कई विश्व रिकॉर्ड बने तो यहां से निकले सबक आने वाले दिनों में देश-दुनिया के विशेषज्ञों के लिए मील का पत्थर साबित होंगे। खुद पीएम मोदी ने इस आयोजन से मिलने वाले बेशकीमती सबक की उपयोगिता को रेखांकित किया है।
पीएम मोदी ने कुंभ की महत्ता और प्रबंधन से जुड़े इसके पहलुओं का जिक्र किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महाकुंभ के समापन के बाद अपने ब्लॉग में लिखा कि प्रयागराज में एकता के महाकुंभ में पूरे 45 दिनों तक जिस प्रकार 140 करोड़ देशवासियों की आस्था एक साथ, एक समय में इस एक पर्व से आकर जुड़ी, वो अभिभूत करता है। "महाकुंभ संपन्न हुआ...एकता का महायज्ञ संपन्न हुआ। जब एक राष्ट्र की चेतना जागृत होती है, जब वो सैकड़ों साल की गुलामी की मानसिकता के सारे बंधनों को तोड़कर नव चैतन्य के साथ हवा में सांस लेने लगता है, तो ऐसा ही दृश्य उपस्थित होता है, जैसा हमने 13 जनवरी के बाद से देखा"
महाकुंभ आयोजन का पालिसी और प्लानिंग के क्षेत्र में अहमियत का जिक्र किया पीएम ने
पीएम ने लिखा कि प्रयागराज में एकता के महाकुंभ में दिखा। 22 जनवरी, 2024 को अयोध्या में राम मंदिर के प्राण प्रतिष्ठा समारोह में मैंने देवभक्ति से देश भक्ति की बात कही थी। प्रयागराज में महाकुंभ के दौरान सभी देवी-देवता जुटे, संत-महात्मा जुटे, बाल-वृद्ध जुटे, महिलाएं-युवा जुटे, और हमने देश की जागृत चेतना का साक्षात्कार किया। ये महाकुंभ एकता का महाकुंभ था। प्रयागराज में हुआ महाकुंभ का ये आयोजन, आधुनिक युग के मैनेजमेंट प्रोफेशनल्स के लिए, प्लानिंग और पॉलिसी एक्सपर्ट्स के लिए, नए सिरे से अध्ययन का विषय बना है। आज पूरे विश्व में इस तरह के विराट आयोजन की कोई दूसरी तुलना नहीं है, ऐसा कोई दूसरा उदाहरण भी नहीं है। आध्यात्मिक क्षेत्र में रिसर्च करने वाले लोग करोड़ों भारतवासियों के इस उत्साह पर अध्ययन करेंगे तो पाएंगे कि अपनी विरासत पर गौरव करने वाला भारत अब एक नई ऊर्जा के साथ आगे बढ़ रहा है। मैं मानता हूं, ये युग परिवर्तन की वो आहट है, जो भारत का नया भविष्य लिखने जा रही है।
दुनिया भर के नामी गिरामी संस्थानों की नजरें महाकुंभ के आयोजन पर रहीं
आस्था व अध्यात्म के महाकुंभ के महाजुटान ने वैश्विक स्तर पर रिसर्चर्स और शिक्षाविदों को अपनी ओर आकर्षित किया। हार्वर्ड, स्टैनफोर्ड, लंदन स्कूल ऑफ इकोनॉमिक्स, क्योटो यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञ यहां पहुंचे और जरूरी आंकड़े एकत्र किए तो वहीं, AIIMS, IIM अहमदाबाद, IIM बेंगलुरु, IIT कानपुर, IIT मद्रास और जेएनयू जैसे देश के नामचीन संस्थानों के प्रोफेसर, रिसर्च स्टूडेंट प्रयागराज पहुंचे। न्यूयॉर्क की बेहद प्रतिष्ठित कोलंबिया यूनिवर्सिटी ने डिजिटल महाकुंभ की अवधारणा और इसके मेगा मैनेजमेंट मॉडल को समझने की कोशिश की। तीर्थयात्रा के दौरान आध्यात्मिकता और इंजीनियरिंग से लेकर प्रशासन एवं परंपरा, प्रौद्योगिकी व अर्थशास्त्र के संगम से जुड़े विभिन्न पहलुओं को समझा गया। लखनऊ विश्वविद्यालय की मैनेजमेंट स्टडीज फैकल्टी इस साल हुए महाकुंभ से जुड़े कार्यबल, रणनीतिक योजना एवं संचालन आदि पर विस्तृत अध्ययन करेगा। इसको लेकर एक स्पेशल प्रोजेक्ट भी तैयार किया गया है।
वैश्विक स्तर पर बहस तेज हुई तो देश के राज्यों में भी कुंभ से सबक सीखने की ललक जगी
न्यूयार्क में भारतीय वाणिज्य दूतावास ने एक विस्तृत चर्चा आयोजित की। 'इनसाइट्स फ्रॉम द वर्ल्ड्स लार्जेस्ट स्पिरिचुअल गैदरिंग- महाकुंभ।' शीर्षक से हुई महावाणिज्य दूत विनय प्रधानी की मेजबानी में हुई इस चर्चा में प्रोफेसर तरुण खन्ना, प्रोफेसर डायना ईक और सहायक प्रोफेसर टियोना जुजुल शामिल हुए। महाकुंभ के दौरान मध्यप्रदेश से पांच वरिष्ठ अफसरों की टीम पहुंची थी। जिसे उज्जैन रेंज के एडीजी उमेश जोगा ने लीड किया था। इस टीम ने क्राउड मैनेजमेंट और संगम के अंदर तैयारियों को समझा, जरूरी जानकारियों का डॉक्यूमेंटेशन किया। मौनी अमावस्या के दौरान हुई भगदड़ के पीछे की खामियों और चूक से सबक लेकर जीरो एरर की तैयारियों को समझने के लिए हैदराबाद स्थित वल्लभभाई नेशनल पुलिस अकादमी से 270 आईपीएस प्रोबेशनर्स भी पहुंचे थे। इस टीम में 77 महिला अफसर शामिल थीं। इन्होंने बसंत पंचमी के दौरान हुए अमृत स्नान की तैयारियों को ग्राउंड जीरो पर रहकर सीखा।
महाकुंभ के दौरान जो भीड़ उमड़ी उसका मुकाबला दुनिया के अधिसंख्य देशों की आबादी नहीं कर सकती
इस बार के महाकुंभ में 66 करोड़ से अधिक श्रद्धालुओं ने गंगा में आस्था की डुबकी लगाई। साल 2013 में प्रयागराज में ही हुए महाकुंभ में 12 हजार करोड़ लोग ही पहुंचे थे। कई महाद्वीपों की आबादी से अधिक तादाद रही श्रद्धालुओं की। अंकगणितीय हिसाब से देखें तो 45 दिनों में प्रयागराज में जितने लोग पहुंचे उनकी तादाद दुनिया के 231 देशों से भी कहीं ज्यादा है। सिर्फ भारत और चीन की आबादी से ही कम लोग महाकुंभ पहुंचे वरना अमेरिका की आबादी के दो गुनी के करीब लोग आस्था के मेले में शामिल हुए। रूस की चार गुनी से ज्यादा आबादी के बराबर श्रद्धालु यहां पहुंचे। तो जापान की पांच गुना आबादी, यूके की 10 गुना से ज्यादा आबादी और फ्रांस की 15 गुना से ज्यादा आबादी ने पवित्र गंगा में स्नान किया। अकेले मौनी अमावस्या पर करीब 7.6 करोड़ श्रद्धालु जुटे। जो दुनिया भर में किसी एक जगह पर सर्वाधिक लोगों के जुटान का रिकॉर्ड है। यूरोप का कोई भी देश आबादी के लिहाज से इस जुटान की बराबरी नहीं कर सकता है।
महाकुंभ के दौरान कई विश्वस्तरीय रिकॉर्ड भी कायम हुए
इस महा आयोजन के लिए पन्द्रह हजार से अधिक ट्रेनें चलीं, डेढ़ लाख टॉयलेट बनवाए गए। गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड में भी कई गतिविधियां दर्ज हुईं। मसलन, पन्द्रह हजार स्वच्छता कर्मियों ने दस किलोमीटर इलाके में एक साथ सफाई का रिकॉर्ड बनाया। तो 14 फरवरी को 300 कर्मचारियों ने नदी की सफाई का रिकॉर्ड बनाया। जो गिनीज बुक ने इसे रिकॉर्ड में शामिल किया गया। इस आयोजन में सत्तर हजार से ज्यादा पुलिसकर्मी तैनात हुए। इनमें अर्ध सैन्य बलों, एनएसजी, एटीएस, एसटीएफ, पुलिस, पीएसी, होमगार्ड और पीआरडी के जवान शामिल थे। 700 नावों पर 3800 पुलिसकर्मी मुस्तैद रहे। यहां के 23 अस्पतालों ने 7.5 लाख श्रद्धालुओं की देखरेख की। 125 हाईटेक एंबुलेंस तैनात रहीं। चार हजार हेक्टेयर में चार लाख से अधिक टेंट-तंबू लगाए गए थे। ये भी अपने आप में विश्व रिकॉर्ड है।
महाकुंभ से निकले सबक भविष्य के बड़े आयोजनों और जमावड़ों के लिए मूल्यवान हैं
गौरतलब है कि देश के चार शहरों में कुंभ मेले का आयोजन होता है। उत्तर प्रदेश में प्रयागराज, उत्तराखंड के हरिद्वार, महाराष्ट्र के नासिक और मध्यप्रदेश के उज्जैन में। साल 2027 में हरिद्वार में अर्धकुंभ होगा तो 2028 में उज्जैन में सिंहस्थ कुंभ होगा। चूंकि प्रयागराज के साल 2025 के महाकुंभ में भीड़ और बंदोबस्त के नए कीर्तिमान स्थापित हुए हैं। लिहाजा यहां से मिले आंकड़े और सबक भविष्य के आयोजनों के लिए बेहद कारगर होंगे। भारतीय संस्कृति-अध्यात्म का ये महाजुटान सनातनी आस्था के दृष्टिकोण से तो अहम है ही साथ ही प्रबंधकीय शोध और भविष्य के बड़े आयोजनो के नजरिए से ये मील का पत्थर साबित होगा।