Friday 22nd of November 2024

UP Lok Sabha Election 2024: संत कबीर नगर संसदीय सीट में अब तक हुए तीन संसदीय चुनाव, यहां बीजेपी का पलड़ा रहा भारी

Reported by: PTC News उत्तर प्रदेश Desk  |  Edited by: Rahul Rana  |  May 24th 2024 04:33 PM  |  Updated: May 24th 2024 04:33 PM

UP Lok Sabha Election 2024: संत कबीर नगर संसदीय सीट में अब तक हुए तीन संसदीय चुनाव, यहां बीजेपी का पलड़ा रहा भारी

ब्यूरो: Gyanendra Shukla, Editor, UP:  यूपी का ज्ञान में चर्चा का केन्द्र बिंदु है संत कबीर नगर संसदीय सीट। संतकबीरनगर यूपी का जिला है जिसका जिला मुख्यालय खलीलाबाद है। प्रशासनिक तौर से यह जिला बस्ती मंडल का हिस्सा है। यह उत्तर में सिद्धार्थ नगर और महाराजगंज, पूर्व में गोरखपुर, दक्षिण में अंबेडकर नगर और पश्चिम में बस्ती जिला से घिरा हुआ है।  घाघरा, कुआनो, आमी और राप्ती यहां की प्रमुख नदियां हैं। संत कबीर नगर यूपी के अति पिछड़े जिलों में शुमार है। साल  2006 में पंचायती राज मंत्रालय संत कबीर ने नगर को देश के सर्वाधिक पिछड़े 250 जिलों में शामिल किया। यह प्रदेश के उन 34 जिलों में है जिसे बैकवर्ड रीजन ग्रांट फंड प्रोग्राम (बीआरजीएफ) के तहत अनुदान दिया जाता है।

27 वर्ष पूर्व नए जिले के तौर पर अस्तित्व में आया ये जिला

पहले संत कबीर नगर बस्ती जिले की तहसील हुआ करता था। लेकिन 5 सितंबर 1997 को बस्ती के कुछ हिस्सों को अलग करके संत कबीर नगर यूपी के  नए जिले के तौर पर अस्तित्व में आया, इसमें तत्कालीन बस्ती जिले के पूरा खलीलाबाद तहसील, बस्ती तहसील के 131 गांव और सिद्धार्थनगर जिले की बांसी तहसील के विकास खंड सांथा के सभी 161 गांव शामिल किए गए। संत कबीर की निर्वाण स्थली 'मगहर' इसी क्षेत्र में है लिहाजा इस जिले का नामकरण संतकबीरनगर के तौर पर किया गया। साल 2002 में गठित परिसीमन आयोग की सिफारिश के बाद सन 2008 में संत कबीर नगर को संसदीय सीट का दर्जा दे दिया गया। इन नवगठित लोकसभा सीट पर पहले चुनाव साल 2009 में हुए।

संसदीय क्षेत्र के प्रमुख स्थल व आस्था केंद्र

यहां का खलीलाबाद पहले बस्ती जिले का हिस्सा था। जिसका पुराना नाम रगड़गंज था। खलीलाबाद की स्थापना काजी खलील-उर-रहमान ने की थी। उन्हीं के नाम पर इस जगह का नामकरण हुआ। इस क्षेत्र के प्रमुख स्थलों की फेहरिस्त में तामेश्‍वर नाथ महादेव मंदिर, हशेश्वरनाथ मंदिर शामिल हैं। बखिरा और मगहर प्रमुख पर्यटन स्थल हैं। कबीर के मगहर में संत कबीर एकेडमी बन गई है। जिसके जरिए इस महान संत से जुड़े अकेडमिक कार्यों-शोध प्रबंधन-सांस्कृतिक गतिविधियों को संचालित किया जा रहा है। यहां की बखिरा झील को भी विकसित करने की कार्ययोजना पर भी अमल किया जा रहा है।

उद्योग धंधे और विकास का आयाम

यहां के उद्योग धंधों की बात करें तो पीतल के उत्पाद संत कबीर नगर का एक प्राचीन शिल्प है। पीतल या ब्रास से बने कटोरे, प्लेट, ग्लास, बर्तन, जग, फूलदान, घंटी आदि का निर्माण होता है। यहां के ब्रास हस्तशिल्प उत्पाद विश्व प्रसिद्ध हैं। होजरी उत्पादों का निर्माण भी बहुतायत में होता है। गुणवत्ता की वजह से यहाँ के बने होज़री उत्पादों की तुलना कानपुर व कोलकाता में निर्मित उत्पादों से की जाती है। अमरडोभा कस्बे में बुनकर बड़ी तादाद में हैं। खलीलाबाद में कपिला कृषि उद्योग लिमिटेड कंपनी है,जो पशु आहार बनाती है। यहां के बरदहिया बाजार में हस्तनिर्मित कपड़ों का बड़ा कारोबार होता है। हाल में हुए इंवेस्टर्स समिट मे संतकबीरनगर में 599 कारोबारियों ने 4,920 करोड़ का निवेश करने का अनुबंध किया है।

अब तक यहां हुए हैं तीन संसदीय चुनाव

साल 2009 में हुए इस सीट पर पहले लोकसभा चुनाव में बीएसपी के भीष्म शंकर उर्फ कुशल तिवारी पहले सांसद चुने गए थे। साल 2014 की मोदी लहर में बीजेपी के शरद त्रिपाठी ने 3,48,892 वोट हासिल करके बीएसपी के भीष्म शंकर तिवारी को 97,978 वोटों से पराजित कर दिया था। तब भीष्म शंकर तिवारी को 2,50,914 वोट मिले थे। सपा से चुनाव लड़े भाल चंद्र यादव 2,40,169 वोट पाकर तीसरे पायदान पर रहे थे। बाद में विवादित  जूता कांड के चलते शरद त्रिपाठी का टिकट काटकर साल 2019 में बीजेपी ने प्रवीण कुमार निषाद पर दांव लगाया था। तब बीजेपी के प्रवीण निषाद ने 467,543 वोट पाए थे। प्रवीण निषाद ने मुकाबले में उतरे सपा-बीएसपी गठबंधन से बीएसपी के भीष्म शंकर तिवारी को कांटेदार मुकाबले में 35,749 वोटों के मार्जिन से हरा दिया था।

वोटरों की तादाद और जातीय समीकरण

इस सीट पर 20, 56,443 वोटर हैं। जिनमें सर्वाधिक  6.25 लाख मुस्लिम वोटर हैं। 4.50 दलित और 3 लाख ब्राह्मण वोटर हैं। 1.50 लाख निषाद, 1.25 लाख राजपूत, 1.20 लाख कुर्मी वोटर हैं। संख्याबल के लिहाज से यहां मुस्लिम और दलित वोटरों की निर्णायक भूमिका रही है चुनावों में।

बीते विधानसभा चुनाव में बीजेपी का पलड़ा रहा भारी

संत कबीर नगर संसदीय सीट के तहत पांच विधानसभाएं शामिल हैं। इनमें अंबेडकरनगर जिले की अलापुर सुरक्षित सीट; संतकबीरनगर की मेंहदावल, खलीलाबाद, धनघटा सुरक्षित और गोरखपुर की खजनी सुरक्षित सीट। साल 2022 के विधानसभा चुनाव में एक सीट सपा को मिली थी जबकि तीन पर बीजेपी और एक पर निषाद पार्टी जीती थी। अलापुर से सपा के त्रिभुवन दत्त, मेंहदावल से निषाद पार्टी के अनिल त्रिपाठी, खलीलाबाद से बीजेपी के अंकुर तिवारी, धनघटा से बीजेपी के गणेश चन्द्र और खजनी से बीजेपी के श्रीराम चौहान विधायक हैं।

चुनावी बिसात पर डटे हैं सियासी योद्धा

मौजूदा चुनावी जंग के लिए बीजेपी ने फिर से प्रवीण निषाद पर ही भरोसा जताया है। सपा से लक्ष्मीकांत उर्फ पप्पू निषाद हैं। पप्पू निषाद बेलहर के ग्राम प्रधान व जिला पंचायत सदस्य भी रहे फिर 2012 में मेंहदावल सीट से विधायक बने। अखिलेश यादव सरकार में राजा भैया से खाद एवं रसद विभाग हटने के बाद इस महकमे का राज्य मंत्री स्वतंत्र प्रभार बनाया गया था। अपनी ही सरकार में इन्हें महिला से मारपीट के पुराने मामले में अदालती कार्रवाई के चलते जेल भी जाना पड़ा था। 2016 में इन्हें मंत्री पद से हटाकर सेतु निगम का अध्यक्ष बनाया गया। वहीं, बीएसपी ने इस सीट पर पहले मोहम्मद आलम को टिकट दिया फिर बदलकर सैय्यद दानिश को प्रत्याशी बनाया पर नामांकन के ऐन वक्त पर दानिश के सगे भाई नदीम अशरफ को अधिकृत प्रत्याशी घोषित कर दिया। इस मुस्लिम बाहुल्य सीट पर नदीम को उतारकर मायावती ने मुस्लिम-दलित समीकरण का बड़ा दांव चला है। बहरहाल, संत कबीर की धरती पर कड़ा चुनावी संघर्ष नजर आया है। जातीय समीकरणों और वोटों के ध्रुवीकरण से जीत हासिल करने पर सभी दल फोकस कर रहे हैं।

PTC NETWORK
© 2024 PTC News Uttar Pradesh. All Rights Reserved.
Powered by PTC Network