मधुमिता शुक्ला हत्याकांड: अमरमणि त्रिपाठी और मधु मणि की रिहाई का आदेश, मधुमिता की बहन ने किया विरोध (Photo Credit: File)
लखनऊ: मधुमिता शुक्ला हत्याकांड केस में उम्रकैद की सजा काट रहे पूर्व मंत्री अमरमणि त्रिपाठी और उसकी पत्नी मधुमणि की रिहाई का आदेश जारी हो गया है. वहीं मधुमिता की बहन ने सुनवाई होने तक रिहाई पर रोक लगाने की गुहार लगाई है.
16 साल की सजा हो चुकी है पूरी
बता दें, दोनों को उम्रकैद की सजा सुनाई गई थी, अब दोनों की समय से पहले रिहाई होगी. डीएम के पास बॉन्ड भरने के बाद दोनों रिहा होंगे. राज्यपाल को दया याचिका दी गई थी, उनके आदेश के तहत ही रिहाई होगी. फिलहाल, अमरमणि और मधुमणि 16 साल की सजा पूरी कर चुके हैं. दोनों गोरखपुर जेल में बंद हैं.
मधुमिता शुक्ला की बहन ने लगाई गुहार
वहीं इस हत्याकांड के दोषी अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि की समय से पूर्व रिहाई के खिलाफ दाखिल अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई है. मृतक मधुमिता की बहन निधि शुक्ला की ओर से सुप्रीम कोर्ट में अर्जी दाखिल कर दोषी अमरमणि और उनकी पत्नी मधुमणि की समय से पूर्व की रिहाई का विरोध किया गया है.
इसके अलावा याचिका में कई और दलील दी गई है. जिसमें कहा गया है कि उन्होंने सुप्रीम कोर्ट के द्वारा अन्य मामलों में दिए गए आदेशों का हवाला देकर गलत तरीके से अपनी रिहाई के लिए जमीन तैयार की. जस्टिस अनिरुद्ध बोस की अध्यक्षता वाली बेंच से फिलहाल मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला को कोई राहत नहीं मिली है.
यूपी सरकार को नोटिस जारी
साथ ही सुप्रीम कोर्ट ने यूपी सरकार को नोटिस जारी कर 8 हफ्ते में जवाब दाखिल करने को कहा है. कोर्ट ने अमरमणि और उनकी पत्नी की रिहाई पर रोक लगाने से इनकार करते हुए मधुमिता की बहन निधि शुक्ला की वकील से अगर आपसे सहमत हो गए तो वापस जेल भेज देंगे. कोर्ट का कहना था कि ऐसे एक पार्टी कोई आदेश जारी नहीं किया जा सकता.
निधि शुक्ला ने जारी किया वीडियो
वहीं मधुमिता शुक्ला की बहन निधि शुक्ला ने एक वीडियो जारी कर कहा कि जब सजा काटी ही नहीं तो माफी किस बात की. उन्होंने कहा कि कोर्ट से दी गई सजा पूरी न करना कोर्ट की अवमानना है. 2012 से 2023 तक अमरमणि और उनका पत्नी मधुमणि जेल में नहीं बल्कि बीआरडी मेडिकल कॉलेज गोरखपुर के कमरे में रहे.
2003 का है मामला
बता दें, 2003 में लखनऊ की कवयित्री मधुमिता शुक्ला की हत्या हुई थी. इस मामले में अमरमणि को गिरफ्तार किया गया. देहरादून की सीबीआई अदालत ने 2007-200 में त्रिपाठी और अन्य को आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी. कुछ समय देहरादून जेल में निरुद्ध रहे अमरमणि ने ज्यादातर समय गोरखपुर मेडिकल कॉलेज में या फिर वहां की जेल में बिताया.