Mon, Oct 07, 2024

UP News: 11 साल पुराना चर्चित केस-3 मौतें-10 दोषी करार

By  Deepak Kumar -- October 5th 2024 03:40 PM
UP News: 11 साल पुराना चर्चित केस-3 मौतें-10 दोषी करार

UP News: 11 साल पुराना चर्चित केस-3 मौतें-10 दोषी करार (Photo Credit: File)

ब्यूरोः यूपी के प्रतापगढ़ जिले की कुंडा तहसील में तकरीबन एक दशक पूर्व हुए तिहरे हत्याकांड की खौफनाक यादें लोगों के जेहन में फिर से ताजा हो गईं। दरअसल, 11 वर्ष पूर्व डिप्टी एसपी जिया उल हक हत्या मामले में सीबीआई ने 10 आरोपियों को दोषी करार दिया है। इस मामले में बहुचर्चित राजनेता राजा भैया भी गंभीर आरोपों से घिरे लेकिन दो-दो बार सीबीआई जांच में क्लीन चिट पाने में कामयाब रहे। आईए जानते हैं कभी देश-दुनिया की सुर्खियों में छाए यूपी के इस दिल दहलाने वाले मामले और उससे जुड़े पहलुओं को।

कुख्यात कुंडा कांड का बीज पड़ा गांव की जमीन के एक छोटे से टुकड़े के जरिए

कुंडा कांड में विवाद की जड़ बना बलीपुर गांव में जमीन का एक छोटा सा टुकड़ा। सपा समर्थक माने जाने वाले ग्राम प्रधान नन्हे लाल यादव ने बबलू पांडे से ये जमीन खरीदी थी, इस पर गांव के ही कामता प्रसाद पाल ने अपना मालिकाना हक होने का दावा किया। ये कामता पाल राजा भैया के नजदीकी गुड्डू सिंह का समर्थक था। गुड्डू सिंह ने प्रधानी के चुनाव में नन्हे का खुला विरोध किया था। इसी वजह से नन्हे और कामता के बीच अदावत और गहराने लगी। 

विवाद हल होने के बजाए खूनी संघर्ष में तब्दील हो गया 

2 मार्च, 2013 को नन्हे यादव और कामता प्रसाद पाल के बीच चाय की एक दुकान पर बहस शुरू हुई। देखते देखते वाद-विवाद झड़प में तब्दील हो गया। इसी बीच नन्हे यादव को गोली मार दी गई। आनन फानन में उसे कुंडा सामुदायिक केंद्र ले जाया गया जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया। इसके बाद नन्हे का शव उसके घर लाया गया, जहां मृतक के परिजन व समर्थक आपे से बाहर होने लगे। प्रधान के कई समर्थकों के पास असलहे थे जिन्होंने कामता का घर को आग के हवाले कर दिया। इसकी सूचना इलाकाई थाने को दी गई।

हत्या से उपजे तनाव की जानकारी मिलते ही पुलिस हरकत मे आई

कुंडा तहसील में बलीपुर गांव में पनपे तनाव की सूचना पाते ही सीओ जियाउल हक सक्रिय हो गए। देवरिया जिले के नूनखार टोला जुआफर निवासी जियाउल हक ने एक वर्ष पूर्व 2012 में ही कुंडा सीओ का जिम्मा संभाला था, उन्होंने हथिगवां थाने के एसएचओ मनोज कुमार शुक्ला, कुंडा थाने के एसएचओ सर्वेश कुमार मिश्रा सहित आसपास के थाने की फोर्स को बलीपुर पहुंचने का निर्देश दिया और खुद भी सादे कपड़े में मय हमराही मौके पर रवाना हो गए। रात के करीब साढ़े नौ बजने वाले थे। रात के अँधेरे में गांव में कोहराम बढ़ता जा रहा था। बवाल देखते हुए पुलिस फोर्स प्रधान के घर तक जाने का साहस नहीं कर पा रहा था। इस बीच  सीओ जियाउल हक कुंडा कोतवाल सर्वेश मिश्रा, एसएसआई विनय सिंह, गनर इमरान के साथ नन्हे यादव के घर पीछे के रास्ते से पहुंचे। 

उग्र भीड़ देखकर पुलिस वाले भाग निकले, अराजक तत्वों ने सीओ की हत्या कर दी

 पुलिस जब तक कोई कार्रवाई करते तब तक नन्हे की हत्या में पुलिस पर कथित लापरवाही का आरोप लगाते हुए कई लोग उग्र हो गए। भीड़ में कुछ लोगों ने सीओ और बाकी पुलिसबल को  पीटना शुरू कर दिया, भीड़ का गुस्सा भांपकर बाकी पुलिसवाले सीओ को अकेला छोड़कर खेतों की ओर भाग निकले। इसी भीड़ में नन्हे यादव का भाई सुरेश भी था, जिसके हाथ में राइफल थी, राइफल गलती से चल गई और उसकी गोली सुरेश को लगी जिससे उसकी मौके पर ही मौत हो गई। नन्हे का बेटा बबलू अपने पिता और चाचा की मौत से आपा खो बैठा और उसने देशी कट्टे से जिया-उल हक पर गोली दागकर हत्या कर दी। बाद में भारी पुलिस फोर्स के पहुंचने पर ही सीओ के शव को प्रधान के घर के पीछे खड़ंजे के पास से कब्जे में लिया जा सका। 

इस कांड के शुरुआती दौर में 2 एफआईआर लिखवाई गईं

इस मामले में घटना के तुरंत बाद आनन फानन मे दो मुकदमे दर्ज हुए, एक एसएचओ मनोज कुमार शुक्ला की रिपोर्ट के आधार पर पुलिस ने दर्ज कराया जिसमें प्रधान नन्हे यादव के भाईयों और बेटे सहित दस लोगों पर हत्या का आरोप लगाया गया, दूसरी एफआईआर दिवंगत सीओ की पत्नी परवीन आजाद ने दर्ज कराई। जिसमें रघुराज प्रताप सिंह उर्फ राजा भैया को हत्या की साजिश रचने का आरोप बताते हुए उनके करीबी रहे संजय सिंह उर्फ गुड्डू सिंह, गुलशन यादव, हरिओम श्रीवास्तव और रोहित सिंह की नामजदगी कराई गई। 

कुंडा कांड की जानकारी उजागर होते ही सूबे में सियासी भूचाल आ गया 

अगले दिन सुबह जैसे ही कुंडा में हुई हिंसा और एक डीएसपी की हत्या की खबर सुर्खियां बनी हड़कंप मच गया। सीओ की हत्या के बाद उपजे तनाव के दौरान पुलिस लाइन पहुंचे तत्कालीन एडीजी अरुण कुमार को भारी विरोध का सामना करना पड़ा था। परिजनों के अलावा स्थानीय लोगों ने जिले की पुलिसिंग को लेकर गंभीर सवाल खड़े करते हुए हंगामा किया। मृत सीओ की पत्नी परवीन को संभालने के लिए अमेठी, सुल्तानपुर के एसपी को भी भेजा गया। शासन ने प्रतापगढ़ जिले के  तत्कालीन एसपी, एसओ समेत अन्य पुलिसकर्मियों को सस्पेंड करके जांच बिठा दी। यहां तक कि देवरिया के एसपी एलआर कुमार को प्रतापगढ़ का एसपी बनाकर शासन ने हेलीकॉप्टर से भेजा। इस जघन्य वारदात के बाद कुंडा छावनी बन गया था। महीनों पुलिस-पीएसी ने बलीपुर में डेरा डाले रखा। सूबे की तत्कालीन समाजवादी पार्टी की सरकार इस प्रकरण से दहल गई।

हत्या के गंभीर आरोप से घिरे राजा भैया को मंत्री पद छोड़ना पड़ा था 

इस मामले में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के कैबिनेट के सदस्य खाद्य एवं रसद मंत्री राजा भैया पर हत्या के आरोप लगे तो सरकार  मुश्किलों से घिर गई। जन आक्रोश बढ़ता देखकर तत्कालीन सीएम अखिलेश यादव, कैबिनेट मंत्री आजम खान के साथ बलीपुर पहुंचे। मृतक सीओ की पत्नी परवीन आजाद का आरोप था कि उनके पति बालू के अवैध खनन की जांच कर रहे थे। जिसका आरोप राजा भैया और उनके करीबियों पर था। परवीन के मुताबिक उनके पति ने उन्हें बताया था कि राजा भैया के करीबी उन्हें जांच न बंद करने पर जान से मारने की धमकी दे रहे हैं। बहरहाल, आपराधिक साजिश रचने, दंगा करवाने और हिंसा भड़काने सहित आईपीसी की संगीन धाराओं में केस दर्ज होने के बाद 4 मार्च, 2013 को राजा भैया ने मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया।

कुंडा केस में 2 और मुकदमे दर्ज हुए, मामले की जांच सीबीआई को सौंपी गई 

इस मामले में पुलिस ने ग्राम प्रधान नन्हे यादव और उसके भाई सुरेश यादव की हत्या को लेकर दो और मुकदमे दर्ज किए। नन्हे की हत्या का मुख्य आरोपी कामता प्रसाद पाल और उसके बेटे अजय कुमार पाल को बनाया गया। मामले ने जब और तूल पकड़ा तब इस प्रकरण की सीबीआई जांच के आदेश दिए गए। सीबीआई से 8 मार्च, 2013 से जांच शुरू की। मृतक प्रधान नन्हे यादव के बेटे बबलू यादव, नन्हे यादव के भाई  पवन यादव, फूलचंद यादव और मंजीत यादव को गिरफ्तार कर दिया। सीबीआई ने बबलू यादव के पास से सीओ की हत्या में इस्तेमाल हुए हथियार और मोबाइल को भी बरामद कर लिया।

सीओ की हत्या करने वाले  बबलू यादव ने सीबीआई को घटना का ब्यौरा दिया था

गिरफ्तारी के बाद बबलू ने सीबीआई को घटनाक्रम का बारे में तफ्सील से बताया था। उसने कहा था कि गुस्से में वे लोग कामता पाल के मकान की ओर बढ़ रहे थे, तभी उसे पता चला कि उसके एक और चाचा सुरेश को भी किसी ने गोली मार दी है। इससे उसका गुस्सा और भड़क उठा। तभी सीओ जियाउल हक फोर्स के साथ सामने आ गए। वह सभी लोगों को रोक रहे थे। सीओ के साथ कई गांव वाले उलझे हुए थे। उसने कहा कि मुझे किसी ने बताया कि चाचा को पुलिस की गोली लगी है। इससे मेरा गुस्सा और बढ़ गया और मैंने सीओ को गोली मार दी। जब सीओ गिरे तो वह जिंदा थे। इसके बाद पवन, फूलचंद और गार्ड मंजीत ने उन्हें जमकर डंडे और लाठियों से पीटा। इसके बाद ही उनकी मौत हो गई।

राजा भैया और उनके सहयोगियों की इस केस में कोई भूमिका सीबीआई को नहीं मिली

 सीओ हत्याकांड को लेकर सीबीआई के एडिशनल एसपी एसएस गुरुम ने राजा भैया, अक्षय प्रताप सिंह और गुलशन यादव से तीन दिनों तक प्रतापगढ़ में पूछताछ की। बाद में राजा भैया ने खुद से नार्को टेस्ट कराए जाने का अनुरोध किया। जांच एजेंसी ने पॉलीग्राफिक टेस्ट करवाया। आखिरकार सीबीआई इस नतीजे पर पहुंची की राजा भैया के खिलाफ ऐसा कोई भी सुबूत नहीं मिला जिससे इन पर केस चलाया जा सके। जांच एजेंसी को कॉल रिकॉर्ड से पता चला कि उस  वक्त गुड्डू सिंह और रोहित सिंह लखनऊ में थे, जबकि गुलशन यादव और हरिओम श्रीवास्तव कुंडा में थे। सीओ हत्याकांड में जिन चौदह लोगों को जांच एजेंसी ने आरोपी बनाया उनमें राजा भैया या उनके किसी करीबी का नाम नहीं था। इसके बाद 31 जुलाई, 2013 को सीबीआई ने राजा भैया के खिलाफ दर्ज केस में क्लोजर रिपोर्ट लगा दी।

 ट्रायल कोर्ट ने राजा भैया को क्लीन चिट दिए जाने की सीबीआई दलील को खारिज किया

 सीबीआई से क्लीन चिट मिलने के बाद राजा भैया 19 अक्टूबर, 2013 को फिर से अखिलेश मंत्रिमंडल में शामिल हो गए। उन्हें पूर्ववर्ती खाद्य एवं रसद महकमे की जिम्मेदारी फिर सौंप दी गई। हालांकि परवीन आजाद राजा भैया को क्लीन चिट दिए जाने से संतुष्ट नहीं थी। परवीन आजाद ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को चुनौती दी। जिस पर सुनवाई करते हुए जुलाई, 2014 को ट्रायल कोर्ट ने सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट खारिज कर दी। सीबीआई कोर्ट ने कहा कि जांच में सीबीआई ने न सिर्फ खानापूर्ति की, बल्कि वादिनी परवीन आजाद ने जिन तथ्यों पर आपत्ति उठाई उसकी समुचित विवेचना नहीं की, कई तथ्यों की अनदेखी भी की।  सीबीआई को तथ्यों पर गौर करने और नामजद व्यक्तियों की भूमिका के समुचित साक्ष्य जुटाकर मामले की आगे जांच करने का निर्देश दिए।

क्लोजर रिपोर्ट के खिलाफ आए ट्रायल कोर्ट के फैसले पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी

 ट्रायल कोर्ट के क्लोजर रिपोर्ट न मानने संबंधी आदेश को सीबीआई ने इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी।  दिसंबर, 2022 को हाईकोर्ट ने ट्रायल कोर्ट के फैसले को रद्द करते हुए सीबीआई की क्लोजर रिपोर्ट को ही सही माना। जस्टिस दिनेश कुमार सिंह ने कहा कि इस तथ्य को देखते हुए कि राजा  का पॉलीग्राफिक टेस्ट कराया जा चका है। जो उन्होंने अपनी इच्छा से कराया था। राजा भैया पर लगे सभी आरोपों की गहन जांच की गई और सीबीआई को ऐसा कोई सबूत नहीं मिला जिससे मर्डर में उनकी संलिप्तता का पता लगे। इस अदालत ने पाया कि ट्रायल कोर्ट का आदेश कानून की दृष्टि से टिकने वाला नहीं है। ये तथ्यों और कानून पर आधारित नहीं है, बल्कि मजिस्ट्रेट की धारणाओं पर आधारित लगता है। हाईकोर्ट ने ये भी कहा कि परवीन आजाद इस मामले की प्रत्यक्षदर्शी नहीं थीं। उनके लगाए गए आरोप अफवाहों और निराधार मीडिया रिपोर्ट्स पर आधारित थे। परवीन को आशंका थी कि स्थानीय विधायक कुछ अवैध रेत खनन के मुद्दे के कारण उनके पति की हत्या में शामिल थे। अवैध बालू खनन में भी विधायक के शामिल होने की किसी भी तरह से पुष्टि नहीं हुई है।  ये भी साबित नहीं हुआ कि डीएसपी पर स्थानीय विधायक का कोई राजनीतिक दबाव था, जैसा कि आरोप लगाया गया था। 

सीओ हत्या के मामले में जेल में बंद आरोपी के खत से केस मे आया नया मोड़

 कुंडा केस में नाटकीय मोड़ तब आया जब सीओ जियाउल हक की हत्या केस मे आरोपी पवन यादव ने जेल से हक की पत्नी परवीन आजाद को पत्र लिखा। जिसमें कहा कि सीओ का मर्डर राजा भैया के इशारे पर किया गया था। पवन ने लिखा, "...राजा भैया का हत्या में हाथ है.. सीओ साहब और सुरेश यादव ( ग्राम प्रधान का भाई) को नन्हे सिंह ने ही गोली मारी है। नन्हे सिंह राजा भैया का मैनेजर और एक्स शूटर है, इसी से राजा भैया लोगों को मरवाते हैं। सीओ साहब को भी इसी ने मारा है.. यही सच है..।" पवन ने  ये भी लिखा कि राजा भैया के समर्थक जांच कर रही सीबीआई टीम के लिए मांस-मछली और पीने का इंतजाम करते थे। जरूरत की हर सुविधा देते थे। इन लोगों को पूछताछ के नाम पर दिनभर बैठाकर रखा जाता और शाम को घर भेज दिया जाता। सीओ की पत्नी परवीन के वकील खालिद अहमद खान ने इस खत में उल्लिखित कथित दावों आधार पर ही नई पिटीशन सुप्रीम कोर्ट में दायर की।

सुप्रीम कोर्ट के निर्देश पर फिर हुई सीबीआई जांच, दोबारा राजा भैया हुए बरी 

परवीन आजाद ने राजा भैया की भूमिका को कटघरे में खड़ा करते हुए शीर्ष अदालत के सामने दायर याचिका में ये सवाल उठाया कि पुलिस टीम ने घटनास्थल उनके पति को कैसे अकेले छोड़ दिया? इतनी भीड़ में किसी अन्य पुलिसकर्मी को कोई चोट नहीं आई? सीबीआई  की जांच में इसे लेकर कुछ क्यों नहीं बताया गया? परवीन ने सीबीआई की उस चार्जशीट पर भी सवाल उठाए जिसमें उनके पति की हत्या के लिए प्रधान नन्हे यादव के परिवार के कुछ लोगों को जिम्मेदार ठहराया गया था। जस्टिस अनिरुद्ध बोस और जस्टिस बेला माधुर्य त्रिवेदी की बेंच ने मामले की सुनवाई की। 27 सितंबर, 2023 को सुप्रीम कोर्ट ने सीबीआई को  राजा भैया की कथित भूमिका की फिर से जांच करने का आदेश दिया। तीन महीनों में जांच रिपोर्ट सौंपने को कहा। 23 दिसंबर 2023 में फिर से सीबीआई ने राजा भैया को क्लीनचिट देते हुए अपनी क्लोजर रिपोर्ट दाखिल कर दी।

 केंद्रीय जांच एजेंसी ने अपनी चार्जशीट में 14 लोगों को आरोपी बनाया था

 सीबीआई ने जून 2013 में कुंडा केस में कुल 14 आरोपियों के खिलाफ चार्जशीट दाखिल की थी। सीबीआई के मुताबिक सुरेश यादव राइफल की बट से सीओ को मार रहा था। इसी दौरान गोली चलने से उसकी खुद की मौत हो गई। उसके भी वारदात में शामिल होने के साक्ष्य मिले थे, इसलिए उसका नाम चार्जशीट में मृतक के रूप में रखा गया। एक अन्य आरोपी मृतक प्रधान नन्हे यादव के बेटे योगेंद्र यादव की भी मौत हो चुकी है। सीबीआई के मुताबिक योगेंद्र ने ही पिता की लाइसेंसी राइफल से सीओ जियाउल हक को गोली मारी थी। आरोपियों में शामिल एक नाबालिग का केस जेजे बोर्ड में चल रहा है। सुनवाई के दौरान सीबीआई की ओर से 32 गवाह जबकि डिफेंस की ओर से 12 गवाह पेश किए गए। 

सीबीआई कोर्ट ने 10 लोगों को दोषी करार दिया जबकि एक को बरी कर दिया

 शुक्रवार को सीबीआई के विशेष जज धीरेंद्र कुमार ने सीओ जियाउल हक हत्याकांड में दस लोगों को दोषी करार दिया। एक आरोपी सुधीर यादव को साक्ष्यों के अभाव में बरी कर दिया। दोषी करार दिए गए लोगों में मृतक प्रधान नन्हें लाल यादव के भाई फूलचंद यादव, पवन यादव के साथ पड़ोसी मंजीत यादव, घनश्याम सरोज, राम लखन गौतम, छोटेलाल यादव, राम आसरे, मुन्ना पटेल, शिवराम पासी और जगत बहादुर पाल उर्फ बुल्ले पाल शामिल हैं। अदालत में मौजूद ये सभी आरोपी जेल भेज दिए गए हैं। अब इन दोषियों को 9 अक्टूबर को सजा सुनाई जाएगी।

इस मामले में आरोपों से घिरे राजा भैया ने खुद पर लगे आरोपों की हर मुमकिन जांच कराए जाने का किया था आग्रह 

सीबीआई से क्लीन चिट मिलने के बाद राजा भैया ने मीडिया से कहा था, 'उस दिन जब नन्हे यादव का शव को लेने पुलिस टीम फिर गांव पहुंची  तो आक्रोशित गांव वालों ने पुलिस पार्टी पर हमला कर दिया। पुलिस पार्टी में सीओ समेत जो भी लोग थे वो भागे, लोगों ने सीओ पर हमला किया। सीओ को बंदूक की बट से मारा जो लोडेड थी तो गोली चली और जो सीओ पर हमला कर रहा था (नन्हे यादव का भाई सुरेश) उसके पेट में लगी। नन्हे का बेटा जो पीछे से आ रहा था, उसने लाश और बंदूक देखी तो उसने सीओ को गोली मार दी। ये घटना एक गली की है, जहां कम से कम 20 प्रत्यक्षदर्शी रहे होंगे। ये कोई सुनियोजित वारदात नहीं थी।' राजा भैया ने ये भी कहा कि जब ये घटना हुई तो विधानसभा चल रही थी, तब हमने सबसे पहले इस घटना की सीबीआई  जांच की मांग की थी। हम जानते थे कि सरकार में हम मंत्री हैं और अगर स्टेट की एजेंसी जांच करेगी तो पक्षपात के आरोप लगेंगे। 2013 में केंद्र में कांग्रेस की सरकार थी, जब ये घटना हुई थी। सीबीआई ने जांच की और फिर अपनी रिपोर्ट रखी। राजा भैया ने कहा कि वो पहले भी इस केस की जांच के लिए तैयार थे और अब भी तैयार हैं।

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