Wednesday 24th of September 2025

11 साल पहले ट्रेन हादसे के बाद लोगों की मदद के लिए योगी ने नवरात्र तोड़ी थी पीठ की परंपरा

Reported by: Gyanendra Kumar Shukla, Editor, PTC News UP  |  Edited by: Mangala Tiwari  |  September 24th 2025 04:43 PM  |  Updated: September 24th 2025 04:43 PM

11 साल पहले ट्रेन हादसे के बाद लोगों की मदद के लिए योगी ने नवरात्र तोड़ी थी पीठ की परंपरा

लखनऊ : मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ 19 सितंबर को ग्रेटर नोएडा में थे। इस दौरान उन्होंने एक्सपोमार्ट जाकर  25 से 29 सितंबर तक आयोजित यूपी ट्रेड शो की तैयारियों का निरीक्षण किया। चंद रोज बाद भी वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ नोएडा में होंगे। अवसर होगा एशिया के सबसे बड़े इंटरनेशनल एयरपोर्ट के लोकार्पण का। मार्च 2017 में मुख्यमंत्री बनने के बाद से योगी विकास परियोजनाओं के शिलान्यास, लोकार्पण, समीक्षा बैठकों के लिए करीब 20 बार नोएडा जा चुके होंगे।

यह वही नोएडा है जिसे तीन दशक तक उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्रियों ने अभिशप्त शहर मान लिया था। मान्यता थी कि जो बतौर सीएम नोएडा गया, उसे कुर्सी से हाथ धोनी पड़ी। कुर्सी को ही सब कुछ मानने वालों के दिलोदिमाग में यह डर इतना बैठ गया कि कोई नोएडा जाता ही नहीं था। दरअसल, योगी गोरखपुर स्थित जिस गोरक्षपीठ के पीठाधीश्वर हैं वह शुरू से ऐसी मान्यताओं का विरोधी रही है। अस्पृश्यता के दौर में योगी के गुरु ब्रह्मलीन महंत अवेद्यनाथ का काशी के डोमराजा के घर भोजन इसका सबसे बड़ा प्रमाण है। बाद में तो सामाजिक समरसता के लिए सहभोज पीठ ने इसकी परंपरा ही शुरू कर दी।

ग्यारह साल पूर्व नवरात्र में जब योगी ने तोड़ी थी पीठ की परंपरा

बात करीब 11 साल पुरानी है। सितंबर खत्म होने को था। गुलाबी सर्दी की शुरुआत हो चुकी थी। शारदीय नवरात्र के दिन चल रहे थे। साल के दोनों नवरात्र गोरक्षपीठ के लिए बेहद खास होते है। मंदिर स्थित मठ पर ही सारे अनुष्ठान और पूजन होते हैं। परंपरा के मुताबिक इस दौरान पीठ के पीठाधीश्वर या उनके उत्तराधिकारी मठ की पहली मंजिल से नीचे नहीं उतरते। न जाने कबसे प्रचलित पीठ की इस परंपरा को योगी ने 30 सितंबर 2014 को तोड़ दिया।

क्यों तोड़ी थी परंपरा

परंपरा तोड़ने की वजह एक ट्रेन हादसा बनी। हुआ यह कि गोरखपुर स्थित नंदानगर क्रासिंग पर कृषक एक्सप्रेस ने बरौनी एक्सप्रेस में पीछे से टक्कर मार दी। दोनों यात्री ट्रेनें। हजारों की संख्या में यात्री। इसमें बच्चे, बुजुर्ग, बीमार, महिलाएं और चोटिल सभी शामिल थे। सबके साथ सामान अलग से। वक्त भी रात का था। वहां से रेलवे स्टेशन और बस स्टेशन की दूरी करीब 6 से 7 किलोमीटर थी। मदद के संसाधन कम थे। लोग चर्चा करते सुने गए छोटे महाराज (योगीजी) आ जाते तो लोगों की समय से प्रभावी मदद हो जाती। मुंहों मुंह बात उन तक पहुंची। स्थित की गंभीरता का उनको अहसास हुआ। परंपरा तोड़ वह मठ से नीचे उतरे और दुर्घटनास्थल की ओर रवाना हो गए। जानकारी मिलते ही हजारों  समर्थक भी वहां पहुंच गए। प्रशासन भी अपेक्षाकृत अधिक सक्रिय हो गया। कुछ देर में सभी यात्रियों को सुरक्षित रेलवे स्टेशन या बस स्टेशन पहुंचा दिया गया था।

जिस अयोध्या का नेता नाम नहीं लेते थे वहां भी बार-बार गये योगी

यही नहीं जिस अयोध्या के नाम से राजनीतिक दलों को करंट लगता था, वहां बार-बार जाकर योगी ने साबित किया कि पहले की तरह वह अयोध्या के हैं और अयोध्या उनकी। और, अब तो उनके ही कार्यकाल में उनके गुरु के सपनों के अनुसार अयोध्या में जन्मभूमि पर भव्य राम मंदिर बनकर लगभग तैयार है। मंदिर निर्माण के साथ विभिन्न परियोजनाओं के जरिए अयोध्या का कायाकल्प भी हो रहा है। आने वाले कुछ वर्षों में अयोध्या का शुमार धार्मिक लिहाज से दुनिया के सबसे खूबसूरत धार्मिक पर्यटन स्थलों में होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की यही मंशा भी है। वह बार बार इसकी चर्चा भी करते हैं।

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