फतेहपुर में इवेंजेलिकल चर्च ऑफ इंडिया द्वारा प्रबंधित ब्रॉडवेल क्रिश्चियन अस्पताल को बलपूर्वक धर्म परिवर्तन के आरोप के कारण भावनात्मक शोषण का सामना करना पड़ा है। संस्थान के वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारी सुजीत वर्गीज थॉमस ने कहा कि कुछ समूहों ने अस्पताल पर जबरन धर्मांतरण में शामिल होने का आरोप लगाया है, जो सत्य नही है।
मीडिया को लिखे 'एक खुले पत्र' में थॉमस ने दावा किया है कि अस्पताल सामाजिक विकास और स्वास्थ्य सेवा में समर्पित सेवा प्रदान करता है। पिछले 114 वर्षों से स्थानीय समुदाय के लिए एक महत्वपूर्ण संसाधन बना हुआ है।
एक सदी से अधिक समय से अस्पताल इसके कर्मचारियों और इसके प्रबंधन ने हर समुदाय के साथ एक भ्रातृ बंधन साझा किया है। यह बंधन देखभाल, विश्वास, सेवा और गरिमा का एक गहरा दो-तरफा संबंध है। उन्होंने संस्था की मौजूदा परेशानियों के लिए असंवेदनशील और पूर्वाग्रही पुलिस अधिकारियों के साथ-साथ राजनीतिक रूप से प्रेरित धार्मिक चरमपंथियों को भी जिम्मेदार ठहराया है।
उन्होंने पत्र में लिखा है कि उत्तर प्रदेश उन कई भारतीय राज्यों में से है, जिन्होंने फर्जी धर्मांतरण के खिलाफ कानून बनाए हैं। हिंदुत्व संगठन के एक नेता द्वारा दर्ज की गई प्राथमिकी में कहा गया है कि प्रमुख पादरी विजय मसीह ने जबरन धर्मांतरण के आरोपों को मौखिक रूप से स्वीकार किया था।
थॉमस का आरोप है कि पुलिस कथित धर्मान्तरित लोगों के साथ क्रॉसचेक करके आरोपों को सत्यापित करने में विफल रही, इसके बावजूद आरोप लगाए गए कि संस्था धर्मान्तरण करवाती है। अब हालात ये हैं कि अस्पताल बंद होने की कगार पर पहुँच चुकी है।