ब्यूरो: सीएम योगी आदित्यनाथ ने प्रदेश में निवेश को बढ़ावा देने और आर्थिक गतिविधियों को तेज करने के लिए ऐतिहासिक कदम उठाया है। अब निवेश की प्रगति और उनके प्रयासों की निगरानी जिला मजिस्ट्रेट और जिला आयुक्त के अधिकार क्षेत्र में की जाएगी। डीएम और कमिश्नर की वार्षिक गोपनीय रिपोर्ट में उनके कार्यक्षेत्र में किए गए निवेश और ऋण संबंधी प्रगति का उल्लेख करना अनिवार्य है।
इसी आधार पर अधिकारियों का मूल्यांकन किया जाएगा, ताकि उनके प्रदर्शन का निष्पक्ष मूल्यांकन किया जा सके। प्रदेश में रोजगार और विकास के नए अवसर पैदा करने की दिशा में यह कदम उठाया गया। गौरतलब है कि इस प्रक्रिया को लागू करने वाला यूपी देश का पहला राज्य होगा।
हाई ग्रेडिंग और सम्मान मिलेगा
प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह ने बताया कि जिन जिलों के जिलाधिकारी अच्छा प्रदर्शन करेंगे और निवेश को जिलों में लेकर आएंगे, उन्हें हाई ग्रेडिंग और स्पेशल ऑनर दिया जाएगा। अधिकारियों के बीच इससे प्रतिस्पर्धा और ज़िम्मेदारी बढ़ेगी। क्षेत्र में निवेश बढ़ाने के लिए डीएम और कमिश्नर की जवाबदेही को ध्यान में रखते हुए उनके कार्यकाल के दौरान उनके प्रदर्शन का मूल्यांकन किया जाएगा।
रिपोर्ट की मानें तो इस नई व्यवस्था को दो-तीन हफ्तों में लागू कर दिया जाएगा। साथ ही हर साल अप्रैल में अपने जिले का सीडी रेशियो बताया जाएगा, ताकि वे निवेश को बढ़ाने के प्रयासों को और बेहतर तरीके से अंजाम दे सकें। मुख्य सचिव के अनुसार प्रदेश का सीडी (क्रेडिट डिपॉजिट) रेशियो साल 2017 में 47 प्रतिशत था, वहीं वित्त वर्ष 23-24 में यह 60.32 प्रतिशत रहा।