ब्यूरो: Lucknow: लखनऊ की पतंगें दुबई और ऑस्ट्रेलिया तक उड़ती हैं। यहां की पतंगबाजी पूरे देश में प्रसिद्ध है। इसका इतिहास 250 वर्ष पुराना है। अंग्रेजों के खिलाफ लड़ाई में पतंगों का इस्तेमाल किया गया था। इसके अलावा, प्रेमियों ने पतंगों का उपयोग करके प्रेमी-प्रेमिका लव मैसेज भेजा करते थे।
1775 में नवाब आसिफ-उद-दौला के शासनकाल के दौरान, पतंग उड़ाना लखनऊ में लोकप्रिय हो गया। लखनऊ में दिवाली के दूसरे दिन को 'जमघट' के रूप में मनाया जाता है। सुबह होते ही लोग छत पर चढ़ जाते हैं। शोर-शराबे के बीच गाने बजाए जाते हैं और पतंगें उड़ाई जाती हैं।
इस बार लखनऊ में पीएम मोदी और सीएम योगी की फोटो की खूब डिमांड है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की जी-20 के साथ की फोटो और सीएम योगी और भगवान श्रीराम की तस्वीर वाली पतंगों की सबसे ज्यादा मांग है।
#WATCH लखनऊ: उत्तर प्रदेश के उपमुख्यमंत्री ब्रजेश पाठक ने कहा, "आज दिवाली के बाद जमघट के दिन परंपरागत रूप से लखनऊ में पतंगबाजी प्रतियोगिता का आयोजन किया गया जिसमें बड़ी संख्या में पतंगप्रेमी एकत्रित हुए... विजेताओं को हमने पुरस्कार वितरण भी किए हैं। परंपराएं जारी रहनी चाहिए... सब… pic.twitter.com/VihIB2Epc2
— ANI_HindiNews (@AHindinews) November 2, 2024
पतंगों से किया जाता था अंग्रेजों का विरोध
साल 1928 में लखनऊ के कैसरबाग बारादरी में अंग्रेजों की एक बड़ी बैठक हुई। उस समय के क्रांतिकारियों ने एक सफेद पतंग पर काले रंग से "साइमन गो बैक" का नारा लिखा और पतंग उड़ाकर छोड़ दी। इसके बाद अंग्रेज बहुत क्रोधित हुए और उन्होंने पतंगों पर प्रतिबंध लगाने का निर्णय लिया, लेकिन वे असफल रहे।
नवाबों के समय में लोगों के बीच पतंग लूटने की होड़ मची रहती थी। इसका कारण नवाबों द्वारा उड़ाई जाने वाली पतंगों के निचले हिस्से में सोना और चाँदी का लगा होना था। जिस व्यक्ति को इसका टुकड़ा मिला, उसके मजे होते थे।