Sunday 24th of August 2025

प्रभावी मॉनिटरिंग के जरिए प्रदेश में पशुओं के प्रबंधन व एबीसी केन्द्रों के कुशल संचालन की तैयारी

Reported by: Gyanendra Kumar Shukla, Editor, PTC News UP  |  Edited by: Mangala Tiwari  |  August 23rd 2025 10:59 AM  |  Updated: August 23rd 2025 10:59 AM

प्रभावी मॉनिटरिंग के जरिए प्रदेश में पशुओं के प्रबंधन व एबीसी केन्द्रों के कुशल संचालन की तैयारी

Lucknow: उत्तर प्रदेश में एबीसी केन्द्रों के प्रबंधन को बढ़ाने और उसे और प्रभावी बनाने के उद्देश्य से नगर विकास विभाग द्वारा स्थानीय नगरीय निकाय निदेशालय में एक दिनी कार्यशाला का आयोजन किया गया। प्रमुख सचिव अमृत अभिजात की अध्यक्षता में आयोजित एक दिवसीय कार्यशाला में प्रदेश में संचालित एबीसी केन्द्रों अभिवृद्धि व कुशल प्रबंधन पर फोकस किया गया। साथ ही, प्रभावी मॉनिटरिंग के जरिए इनकी कुशलता बढ़ाने तथा पशुओं के प्रबंधन से जुड़े विभिन्न तथ्यों पर विमर्श किया गया। कार्यशाला में अपर नगर आयुक्त, पशु कल्याण अधिकारी, मुख्य पशु कल्याण अधिकारी सहित कई वरिष्ठ अधिकारियों ने प्रतिभाग किया। 

श्वानवंशीय पशुओं के प्रभावी प्रबंधन के लिए प्रशिक्षण के दौरान प्रतिभागियों ने लखनऊ स्थित एबीसी केन्द्र का फील्ड विज़िट किया, जहां उन्होंने सामुदायिक केनेल, व्यक्तिगत केनेल, ऑपरेशन थियेटर, कुत्तों के भोजन प्रबंधन एवं अन्य संचालन प्रक्रियाओं के बारे में व्यावहारिक जानकारी दी गयी| पशु कल्याण बोर्ड के विशेषज्ञों ने आवारा कुत्तों को पकड़ने से लेकर बध्याकरण तक की संपूर्ण प्रक्रिया का प्रदर्शन कर अधिकारियों को जमीनी स्तर पर कार्यान्वयन की उपयोगी जानकारी दी गई।

विधिक प्रावधानों समेत विभिन्न बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा

कार्यशाला के दूसरे सत्र में राज्य एबीसी मॉनिटरिंग समिति की सदस्य एवं ह्यूमेन वर्ल्ड फॉर एनिमल्स से गौरी मौलेकही ने डॉग पॉपुलेशन मैनेजमेंट पर विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने विधिक प्रावधानों, नगरीय निकायों के कर्तव्यों, कार्यान्वयन एजेंसियों की भूमिका, मानवीय तरीके से पकड़ने की प्रक्रिया, अभिलेख संधारण एवं पारदर्शिता, शिकायत निस्तारण प्रणाली, रेबीज़ प्रोटोकॉल, इच्छामृत्यु और अंगों के निस्तारण से संबंधित बिंदुओं पर विस्तार से चर्चा की।

प्रदेश में 17 स्थायी एबीसी केन्द्र हैं स्थापित

उत्तर प्रदेश सरकार ने श्वान जनसंख्या प्रबंधन के क्षेत्र में कई अग्रणी कदम उठाए हैं। प्रदेश में अब तक 17 स्थायी एबीसी केन्द्र स्थापित किए जा चुके हैं तथा लखनऊ और गाज़ियाबाद में 2 अतिरिक्त केन्द्रों की स्वीकृति दी गई है। इस दिशा में ₹3,273.65 लाख की अभूतपूर्व राशि आवंटित की गई है| इसके अतिरिक्त, पेट लाइसेंसिंग एवं रेगुलेशन की पहल के तहत सभी पालतू कुत्तों का पंजीकरण, टीकाकरण और नसबंदी अनिवार्य की गई है। केवल राज्य पशु कल्याण बोर्ड में पंजीकृत ब्रीडर और विक्रेताओं को ही व्यापारिक लाइसेंस दिए जा रहे हैं। बिना पंजीकरण वाले पालतू पशु दुकानों एवं ब्रीडरों को तत्काल बंद करने का प्रावधान है। साथ ही, सरकार ने विद्यालयों, आवासीय कल्याण समितियों (RWAs) और सार्वजनिक स्थलों पर जागरूकता अभियान अनिवार्य किया है, जिनका उद्देश्य काटने की घटनाओं की रोकथाम एवं नसबंदी के लाभों को प्रचारित करना है। 

सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने का आह्वान

नगरीय निकायों को मासिक डॉग-बाइट डेटा प्रकाशित करने, एनीमल वेलफेयर बोर्ड ऑफ इंडिया की मान्यता प्रमाणपत्र प्रदर्शित करने एवं शिकायत निस्तारण हेतु हेल्पलाइन उपलब्ध कराने के निर्देश दिए गए हैं। इस अवसर पर प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने कहा कि नगर विकास विभाग उत्तर प्रदेश में आवारा कुत्तों के प्रबंधन के लिए टिकाऊ एवं मानवीय समाधान विकसित करने के लिए प्रतिबद्ध है। यह कार्यशाला हमारे अधिकारियों को एबीसी केन्द्रों के संचालन के लिए आवश्यक कौशल प्रदान करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। नगरीय निकायों, पशु कल्याण संस्थाओं और विशेषज्ञों के सहयोग से हम अपने शहरों को निवासियों एवं पशुओं दोनों के लिए सुरक्षित और संवेदनशील बनाने का प्रयास कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि मैं सभी प्रतिभागियों से आग्रह करता हूं कि वे कार्यशाला से प्राप्त शिक्षाओं को लागू कर एबीसी केन्द्रों की दक्षता और प्रभाव को बढ़ाएँ। उन्होंने नगरीय निकायों को सर्वोत्तम प्रथाओं को अपनाने, पशु कल्याण संस्थाओं से सहयोग करने तथा प्रभावी मॉनिटरिंग व्यवस्था सुनिश्चित करने का आह्वान किया।

इस अवसर पर सचिव, नगर विकास विभाग/निदेशक नगरीय निकाय अनुज कुमार झा, विशेष सचिव उदय कुमार भानु, विशेष सचिव अरुण प्रकाश, अपर निदेशक रितु सुहास, अपर निदेशक असलम अंसारी सहित अन्य अधिकारी उपस्थित रहे। कार्यक्रम के समापन पर सभी प्रतिभागियों को प्रमाणपत्र प्रदान किए गए।

Latest News

PTC NETWORK
© 2025 PTC News Uttar Pradesh. All Rights Reserved.
Powered by PTC Network