Fri, Apr 19, 2024

लखनऊ के SGPGI संस्थान में खुला पहला AUD क्लिनिक, यहां पढ़ें क्या होता है 'अल्कोहल यूज डिसऑर्डर'

By  Shagun Kochhar -- May 29th 2023 06:28 PM -- Updated: May 29th 2023 06:31 PM
लखनऊ के SGPGI संस्थान में खुला पहला AUD क्लिनिक, यहां पढ़े क्या होता है 'अल्कोहल यूज डिसऑर्डर'

लखनऊ के SGPGI संस्थान में खुला पहला AUD क्लिनिक, यहां पढ़ें क्या होता है 'अल्कोहल यूज डिसऑर्डर' (Photo Credit: File)

लखनऊ: नशा कोई भी हो, स्वास्थ्य के लिए बेहद हानिकारक होता है, जिसका दिल और दिमाग के साथ लिवर पर भी बुरा असर पड़ता है। धीरे-धीरे इससे पूरा शरीर प्रभावित होता है। सबसे ज्यादा दुष्प्रभाव शराब पीने से होते हैं। लोग कब इसके आदी हो जाते, पता ही नहीं चलता। लेकिन अब एसजीपीजीआई संस्थान शराब की लत से छुटकारा दिलाने में मदद करेगा। इसके लिए एसजीपीजीआई के हेपेटोलॉजी विभाग की ओर से अल्कोहल यूज डिसऑर्डर क्लिनिक (AUDC) की शुरुआत की गई है। जिसका शुभारंभ SGPGI संस्थान के निदेशक प्रो. आर. के. धीमान ने किया है। AUDC की सुविधा प्रदेश में कहीं भी उपलब्ध नहीं, ऐसी सुविधा देना वाला पहला संस्थान SGPGI होगा।


संस्थान के निदेशक प्रो. आर. के. धीमान ने बताया कि ज्यादा शराब पीने से शरीर में डिहाइड्रेशन की समस्या होने लगती है। शराब के नुकसान लोगों को पता होते हुए भी इसकी लत छोड़ना आसान नहीं होता है। विभाग की ओपीडी में करीब एक तिहाई मरीजों में लिवर खराब होने के पीछे शराब बड़ी वजह होती है। लेकिन अब तक ऐसा कोई क्लिनिक नहीं था, जहां मरीजों को शराब छोड़ने के प्रति जागरूक किया जा सके, उन्हें समझाया जा सके। कई ऐसे मरीज भी होते हैं, जो शराब की लत के कारण बीमार पड़ते हैं, उनका इलाज किया जाता और कुछ समय बाद वह फिर शराब के आदी हो जाते हैं। एसजीपीजीआई संस्थान में खुले इस क्लिनिक से लोगों को काउंसिल करने में मदद मिलेगी। यह क्लिनिक प्रत्येक सोमवार को SGPGI के हेमेटोलॉजी विभाग की ओपीडी में चलेगा। इस क्लिनिक का संचालन डॉक्टर रोमिल सैनी द्वारा किया जायेगा।


संस्थान के निदेशक प्रो. आर के धीमान ने क्लिनिक के बारे में ज्यादा जानकारी देते हुए बताया कि शराब या नशे से सिर्फ लिवर ही खराब नही होता, बल्कि इसके दुष्प्रभाव की चपेट में धीरे धीरे पूरा शरीर आ जाता है। एसजीपीजीआई में तकरीबन हर विभाग की ओपीडी चलती है। जिसमे अनेकों ऐसे मरीज सामने आते हैं, जो शराब की अति के कारण गंभीर बीमारियों से जूझ रहे होते हैं। बावजूद इसके शराब पीना छोड़ते, हर विभाग में आने वाले ऐसे मरीजों को चिन्हित किया जाएगा, जिन्हें शराब की मात्रा कम करने या शराब छोड़ने की जरूरत है। उन मरीजों को अल्कोहल यूज डिसऑर्डर क्लिनिक में रेफर किया जायेगा। 


क्लिनिक में आने वाले मरीजों को न सिर्फ समझाया जायेगा, बल्कि उनका इलाज भी होगा। इसके लिए सबसे मरीजों को ऐसी दवाइयां दी जाएगी, जो शराब के दुष्प्रभाव को रोक सके, फिर उन्हें शराब की लत कम करने की दवाइयां दी जाएंगी, और शराब छोड़ने के बाद मरीजों को ऐसी दवाइयां उपलब्ध कराई जाएंगी, ताकि वह दोबारा उन्हें शराब की बुरी लत न लगे।


लखनऊ के एसजीपीजीआई संस्थान खुला यह प्रदेश का पहला क्लिनिक होगा, जहां शराब की लत छुड़ाने में सहयोग किया जायेगा। सामान्यतः अन्य अस्पतालों के मनोचिकित्सक विभाग की टीम इस पर काम कर सकती है, लेकिन मरीज मनोचिकित्सक के पास जाने से कतराते हैं। ऐसे में एसजीपीजीआई में खुले इस क्लिनिक का लाभ ज्यादा से ज्यादा लोगों को मिलेगा। 


शराब की सेफ लिमिट के बारे में प्रो. धीमान ने बताया कि शराब की कोई सेफ लिमिट नहीं होती, अगर आप थोड़ी मात्रा में भी रोजाना शराब का सेवन करते हैं, तो कुछ समय बाद शराब की लत शरीर के हिस्सों को प्रभावित करना शुरू कर देगी। इसके अलावा आप किसी सोशल फंक्शन में व्यावसायिक तौर पर शराब के 30 ML मात्रा के दो छोटे पेग का प्रयोग कर सकते हैं। वह भी तब, जब शराब में अल्कोहल की मात्रा 40% के करीब हो। अन्यथा शराब आपको बर्बाद कर सकती है।

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