ब्यूरो: Noida Airport: जेवर में तैयार हो रहे नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट पर आज यानि शुक्रवार, 14 नवंबर से पहली बार विमानों की लैंडिंग की टेस्टिंग शुरू होनी थी। हर रोज यहां तीन विमानों की लैंडिंग का टेस्ट कराने के लिए चार्ट तैयार किया गया था। डीजीसीए से अभी टेस्टिंग की अनुमति नहीं मिली है। डीजीसीए ने यमुना इंटरनैशनल एयरपोर्ट प्राइवेट लिमिटेड (यापल) को कहा है कि अभी लैंडिंग की जरूरत नहीं है, अब सीधे 30 नवंबर को लैंडिंग कराई जाए।
आपको बता दें कि इंडिगो और अकासा एयरलाइंस के विमान फिलहाल रनवे पर लैंडिंग परीक्षण में शामिल हैं। हर रोज इसकी रिपोर्ट सिविल एविएशन के डायरेक्टरेट जनरल को भेजी जाएगी। ।
सामान्य रनवे से अलग है यहां का रनवे
नोएडा इंटरनेशनल एयरपोर्ट के रनवे को सामान्य एयरपोर्ट के रनवे से काफी लंबा बनाया गया है। ऐसा भविष्य की जरूरत को ध्यान में रखते हुए किया गया है। पहला रनवे 3900 मीटर लंबा बनाया गया है जबकि दूसरे एयरपोर्ट पर रनवे की लंबाई अधिकतम दो हजार मीटर से लेकर 2500 मीटर तक होती है। लंबे रनवे के कारण विमानों के लैंड करने और उड़ान भरने में कोई दिक्कत नहीं आएगी।
नायल के सीईओ डॉ. अरुणवीर सिंह ने बताया कि प्रथम चरण में एयरपोर्ट का 1334 हेक्टेयर में विकास हुआ है। फिलहाल एक 3900 मीटर लंबा रनवे, एक टर्मिनल बिल्डिंग व एटीसी टावर को तैयार किया जा रहा है। रनवे व एटीसी का कार्य पूरा हो चुका है, जबकि टर्मिनल बिल्डिंग में फिनिशिंग का कार्य चल रहा है, जिसे 95 प्रतिशत तक पूरा कर लिया गया है। साथ ही एयरपोर्ट पर कैट एक और कैट तीन उपकरण स्थापित हो चुके हैं, जो कोहरे में विमान की ऊंचाई और दृश्यता की जानकारी देते हैं।
एयरपोर्ट पर इंस्ट्रूमेंट लैंडिंग सिस्टम (आईएलएस) को स्थापित भी किया जा चुका है, जिसकी एयरक्राफ्ट बीच किंग एयर 360 ईआर के जरिए 10 से 14 अक्टूबर तक जांच की गई थी। जांच में रडार व नेविगेशन ठीक से काम करते पाए गए थे। किसी भी विमान के उड़ान व लैंडिंग में आईएलएस एक आवश्यक सुरक्षा प्रणाली होती है, जो पायलटों को कोहरे, बारिश या अन्य प्रतिकूल मौसम स्थितियों के कारण दृश्यता काफी कम होने पर भी सुरक्षित रूप से उतरने में सक्षम बनाती है।