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ज्ञानवापी मस्जिद मामला: SC ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक, अगली सुनवाई तक नहीं होगी कार्बन डेटिंग

वाराणसी: ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है. एससी ने ज्ञानवापी में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग पर अंतरिम रोक लगा दी है. अब इस मामले में 7 अगस्त को सुनवाई होगी.

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Shagun Kochhar
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ज्ञानवापी मस्जिद मामला: SC ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के फैसले पर लगाई रोक, अगली सुनवाई तक नहीं होगी कार्बन डेटिंग

वाराणसी:(ज्ञानेन्द्र कुमार शुक्ला) ज्ञानवापी मस्जिद मामले में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई. सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया है. एससी ने ज्ञानवापी में मिले कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग पर अंतरिम रोक लगा दी है. अब इस मामले में 7 अगस्त को सुनवाई होगी.

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बता दें वाराणसी के ज्ञानवापी परिसर से बरामद हुए कथित शिवलिंग की कार्बन डेटिंग के जरिए साइंटिफिक सर्वे की मांग वाली याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने  एएसआई (आर्कियोलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) को कथित शिवलिंग की उम्र का पता लगाने के लिए आदेश दे दिए थे. हाईकोर्ट ने आदेश भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण विभाग यानी एएसआई की ओर से पेश की गई रिपोर्ट पर दिया था. कोर्ट ने एएसआई से कहा था कि बिना शिवलिंग को कोई नुकसान पहुंचाए उम्र का पता लगाया जाए और साइंटिफिक सर्वे किया जाए.



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इलाहाबाद HC के आदेश के खिलाफ मुस्लिम पक्ष की याचिका

वहीं मुस्लिम पक्ष ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के इस आदेश के खिलाफ याचिका दायर की. वहीं सुप्रीम कोर्ट ने मुस्लिम पक्ष की याचिका पर उत्तर प्रदेश सरकार को नोटिस जारी किया. जिसके बाद इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश पर अंतरिम रोक लगाई गई. सुप्रीम कोर्ट ने कहा है कि कार्बन डेटिंग का आदेश अगली सुनवाई तक लागू नहीं होगा. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका को मुख्य मामले के साथ टैग किया है.



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दरअसल, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने 12 मई को एडवांस टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करके शिवलिंग सरीखी संरचना की आयु का निर्धारण करने का आदेश दिया था. इस आदेश के खिलाफ ही ज्ञानवापी मस्जिद प्रबंधन समिति ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था. मस्जिद समिति के पदाधिकारियों की दलील रही है कि यह संरचना मस्जिद परिसर में बने वजू खाने में एक फव्वारे का हिस्सा है. 



समिति की ओर से मौजूद अधिवक्ता हुजैफा अहमदी ने दलील दी थी कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने अपील लंबित रहते हुए आदेश पारित कर दिया. सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली बेंच में जस्टिस पीएस नरसिम्हा और जस्टिस जेबी पारदीवाला भी शामिल थे. इस तीन सदस्यीय बेंच ने मस्जिद समिति की याचिका पर केंद्र, उत्तर प्रदेश सरकार और हिंदू याचिकाकर्ताओं को नोटिस जारी करते हुए कहा है कि विवादित आदेश के निहितार्थों की बारीकी से जांच की जानी चाहिए. इसलिए इलाहाबाद हाईकोर्ट के आदेश में संबंधित निर्देशों का क्रियान्वयन अगली सुनवाई तक स्थगित रहेगा. इसके साथ ही इस मामले की सुनवाई सात अगस्त तक के लिए मुल्तवी कर दी है. यानि तब तक कार्बन डेटिंग कराए जाने के हाईकोर्ट के आदेश पर रोक जारी रहेगी.

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2021 को पांच महिलाओं ने दायर की थी याचिका

आपको बता दें कि 18 अगस्त, 2021 को पांच महिलाओं राखी सिंह, लक्ष्मी देवी, रेखा पाठक, सीता साहू और मंजू व्यास ने वाराणसी की सिविल कोर्ट में याचिका दायर कर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर में स्थित श्रृंगार गौरी विग्रह की साल भर नित्य दर्शन पूजन की अनुमति मांगी थी. इसकी सुनवाई के दौरान  सिविल जज सीनियर डिवीजन रवि कुमार दिवाकर ने कोर्ट कमिश्नर नियुक्त करते हुए ज्ञानवापी मस्जिद प्रांगण के सर्वे करने का आदेश दिया था. सर्वे के दौरान वजू करने की जगह पर एक शिलाखंड मिला था...जिसे हिंदू पक्ष ने शिवलिंग करार दिया जबकि मुस्लिम पक्ष ने इसे फव्वारा बताया. अदालत के आदेश पर वजूखाने को सील कर दिया गया. इसी बीच 19 मई को ज्ञानवापी मस्जिद की इंतजामिया कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट की ओर रुख किया और श्रृंगार गौरी मंदिर में पूजा करने की याचिका की सुनवाई पर रोक लगाने की मांग की. शीर्ष अदालत ने खुद दखल देने से इंकार करते हुए वाराणसी जिला जज को निर्देशित किया कि ये याचिका सुनने योग्य है या नहीं ये फैसला आठ हफ्तों में करे. जिला जज की अदालत ने 12 सितंबर को मुस्लिम पक्ष की याचिका खारिज करते हुए याचिका को मेंटेनेबल यानी सुनवाई योग्य करार दिया.  22 सितंबर को हिंदू पक्ष के पांच में चार पक्षकारों ने वजूखाने में मिली “शिवलिंग” आकृति की एएसआई  द्वारा वैज्ञानिक जांच कराने की मांग करने की याचिका दायर की थी. जबकि हिंदू पक्ष की वादी संख्या एक राखी सिंह के वकील और विश्व वैदिक सनातन संस्था के अध्यक्ष संतोष सिंह की तरफ से  कार्बन डेटिंग का विरोध इस दलील के साथ किया गया था कि इससे शिवलिंग का क्षरण होगा. सैंपल लेने के लिए उसमें खरोंच होगा, जिससे शिवलिंग खंडित हो जाएगा और फिर खंडित शिवलिंग की पूजा नहीं हो पाएगी. वाराणसी जिला जज डॉ. एके विश्वेश ने मस्जिद परिसर में कार्बन डेटिंग और 'शिवलिंग' की वैज्ञानिक जांच की मांग वाली हिंदू पक्ष की मांग को खारिज कर दिया. लेकिन 12 मई को इलाहाबाद हाईकोर्ट ने वाराणसी जिला जज के आदेश को रद्द करते हुए अत्याधुनिक तकनीक का इस्तेमाल कर, ज्ञानवापी मस्जिद में मिली उस संरचना की उम्र निर्धारित करने का आदेश दिया था, जिसके ‘शिवलिंग’ होने का दावा किया जा रहा था. सुप्रीम कोर्ट ने अब इस आदेश पर रोक लगा दी है. फिलहाल इस अति संवेदनशील मामले में अब सभी को शीर्ष अदालत के अगले रुख का इंतजार रहेगा. 

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