लखनऊ: उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव को लेकर इलाहाबाद हाई कोर्ट की लखनऊ बेंच में दायर याचिकाओं पर 20 दिसंबर को सुनवाई हुई। ओबीसी आरक्षण को लेकर हाईकोर्ट की लखनऊ बेंच में 21 दिसंबर को भी सुनवाई होगी। सुनवाई के बाद निकाय चुनाव में ओबीसी आरक्षण को लेकर फैसला आने की उम्मीद जताई जा रही है। 20 दिसंबर को दोनो पक्षकारों के वकीलों ने अपनी-अपनी दलीलें पेश की, जिस पर कोर्ट ने याचिका पर आपत्ति जताई है।
आपको बता दें कि न्यायमूर्ति देवेंद्र कुमार उपाध्याय और न्यायमूर्ति सौरभ श्रीवास्तव की खंडपीठ, रायबरेली निवासी सामाजिक कार्यकर्ता वैभव पांडेय व अन्य की जनहित याचिकाओं पर सुनवाई कर रही है। 20 दिसंबर को सुनवाई के दौरान जज ने कहा कि ठीक से पीआईएल नहीं दायर की गई है। पीआईएल दाखिल करने वाले याचिकाकर्ता पर जज ने आपत्ति भी जताई। कोर्ट ने कहा कि व्यक्तिगत निकायों के मसले नहीं सुने जाएंगे।
गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के शहरी निकाय चुनाव को लेकर सभी की निगाहें हाई कोर्ट पर लगी हुई है। सरकार ने आरक्षण को लेकर अपना जवाब 19 दिसंबर को दायर कर दिया है और 2017 में हुए ओबीसी के सर्वे को आरक्षण का आधार माना है। ऐसे में सियासी दलों से लेकर चुनाव लड़ने वाले उम्मीदवार और वोटर्स तक को अदालत के फैसले का बेसब्री से इंतज़ार है। ऐसे में देखना है कि निकाय आरक्षण के कारण चुनाव टलता है या फिर समय पर होगा।
याद रहे कि सूबे के नगरीय निकायों का कार्यकाल 12 दिसंबर से 19 जनवरी के बीच ख़त्म हो रहा है। इस बार 760 नगरीय निकायों में चुनाव होना है, इसके लिए राज्य सरकार ने सीटों का आरक्षण भी जारी कर दिया है। उत्तर प्रदेश नगर निकाय चुनाव में इस बार 762 सीटों पर मतदान होना है, इसमें से 17 नगर निगम शामिल हैं, जबकि 200 नगरपालिका और बाक़ी नगर पंचायतों में चुनाव होना है।
हालांकि निकाय चुनाव के लिए पहले नगर निगम और नगरपालिका औऱ नगर पंचायतों के लिए आरक्षण का ऐलान किया जा चुका है, जिसके बाद से ही यूपी की राजनीतिक गलियारों में सगुबुगाहट बढ़ गई है।
-PTC NEWS