Friday 22nd of November 2024

दिल का दौरा पड़ने पर तुरंत मिलेगी मदद, सरकारी भवनों और मॉल में लगाई जाएगी एईडी मशीन, जानें कैसे करेगी काम

Reported by: PTC News उत्तर प्रदेश Desk  |  Edited by: Shagun Kochhar  |  July 09th 2023 05:28 PM  |  Updated: July 09th 2023 05:28 PM

दिल का दौरा पड़ने पर तुरंत मिलेगी मदद, सरकारी भवनों और मॉल में लगाई जाएगी एईडी मशीन, जानें कैसे करेगी काम

लखनऊ: स्वास्थ्य के क्षेत्र में तेज प्रगति कर रही योगी सरकार प्रदेश की राजधानी लखनऊ में एक नई पहल शुरू करने जा रही है। सरकार उत्तर प्रदेश सचिवालय समेत समस्त सरकारी भवनों, मॉल आदि जगहों पर ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफिब्रिलेटर (एईडी) या शॉक मशीन स्थापित करेगी। इसके लिए मुख्य सचिव ने अंतिम मुहर लगा दी है। आगामी 1 अगस्त से लोक भवन, इंद्राभवन, शक्ति भवन और एनेक्सी में ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफाइब्रिलेटर लगाने का कार्य शुरू हो जाएगा। इस मशीन के लगने से कार्डियक अरेस्ट की स्थिति में सरकारी भवनों में ही मरीज को जरूरी कार्डियक फर्स्ट एड प्रदान किया जा सकेगा।

सीपीआर से अधिक कारगर है मशीन

दरअसल, ऑटोमेटेड एक्सटर्नल डिफिब्रिलेटर (एईडी) या शॉक मशीन के माध्यम से मरीज के हृदय के समीप मशीन को लगाकर तात्कालिक रूप से रोगी व्यक्ति को एक शॉक दिया जाता है, जिससे व्यक्ति का हृदय अपनी गति से कार्य करने लगता है और रोगों को समीपवर्ती अस्पताल में चिकित्सा हेतु भेजे जाने का समय मिल जाता है। मशीन द्वारा रोगी के हृदय के समीप दो स्थानों पर दिए जाने वाले इलेक्ट्रिक शॉक से उसे प्राथमिक चिकित्सा प्राप्त हो जाती है। यह चिकित्सा हृदयाघात के समय हाथ में दी जाने वाली सीपीआर प्राथमिक चिकित्सा से अधिक कारगर है।

दिया गया है विशेष प्रशिक्षण

मशीन के संचालन एवं प्रयोग के लिए सचिवालय के अंदर सभी चिकित्सालयों (एलोपैथिक, होम्योपैथिक व आयुर्वेदिक) के चिकित्सकों एवं सभी भवनों के व्यवस्थापकों को प्रशिक्षित किया जा चुका है, क्योंकि यह मशीन इन्ही के संरक्षण में रखी जाएगी। मशीन से सचिवालय के सभी अधिकारियों/कर्मचारियों को हृदयघात से प्राथमिक चिकित्सा प्रत्येक भवन में प्राप्त होगी और सचिवालय में हृदयाघात से बचाव से संबंधित सकारात्मकता का माहौल रहेगा।

क्या है सडन कार्डिएक अरेस्ट?

दरअसल सडन कार्डियक अरेस्ट का मतलब है कि दिल अचानक धड़कना बंद कर देता है। देश में हर साल कार्डियक अरेस्ट से होने वाली मौतों का आंकड़ा लगभग 07 लाख है। इमरजेंसी की स्थिति में लोग मरीज की तुरंत मदद नहीं कर पाते और जब तक मरीज को चिकित्सीय सहायता मिलती है, तब तक देर हो जाती है।इसके लिए तत्काल सहायता अनिवार्य है। पहले 3-5 मिनट में मदद के बिना पीड़ित के बचने की संभावना लगभग शून्य होती है।

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