इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने 2005 में बसपा विधायक राजू पाल की दिनदहाड़े हत्या के आरोपी फरहान की जमानत रद्द कर दी है। वह अतीक अहमद गैंग का सदस्य भी है। बता दें कि जिला सत्र अदालत ने 24 नवंबर 2005 को फरहान को जमानत दे दी थी जिसके बाद 2019 में कृष्ण कुमार पाल उर्फ उमेश पाल ने फरहान की जमानत रद्द करने के लिए अर्जी दी थी।
अदालत ने दो मार्च को अपने आदेश में कहा था कि हालांकि निचली अदालत ने फरहान को जमानत देते हुए शर्त रखी थी कि वह सबूतों से छेड़छाड़ नहीं करेगा, गवाहों को धमकी नहीं देगा और भविष्य में कोई अपराध नहीं करेगा। लेकिन 24 नवंबर 2005 को जमानत पर रिहा होने के बाद उसने 26 आपराधिक मामलों को अंजाम दिया।
26 मामलों में से तीन मामले हत्या और अपहरण के, दो हत्या के प्रयास के, एक सामूहिक बलात्कार के अलावा गैंगस्टर के तहत अपराध के थे। गुंडा एक्ट, आर्म्स एक्ट और एससी/एसटी एक्ट। उमेश पाल द्वारा दायर जमानत रद्द करने के आवेदन को स्वीकार करते हुए न्यायमूर्ति दिनेश कुमार सिंह ने कहा कि आरोपी एक कठोर अपराधी है।
उन्होंने कहा आरोपी ट्रायल कोर्ट द्वारा दी गई जमानत पर रिहा किया गया था, उसने एक के बाद एक जघन्य अपराध किए हैं। उसने न केवल जमानत के नियमों और शर्तों का उल्लंघन किया है, बल्कि वह तीन मामलों सहित कई अपराधों में भी शामिल रहा है।
अदालत ने उल्लेख किया कि कैसे राजू पाल हत्याकांड के मुख्य गवाह को भी कथित रूप से अतीक अहमद के गिरोह के सदस्यों द्वारा दिनदहाड़े नृशंस तरीके से मार दिया गया था।