लखनऊ: किसान दिवस या राष्ट्रीय किसान दिवस आज ही के दिन यानि 23 दिसंबर को भारत के पांचवें प्रधान मंत्री चौधरी चरण सिंह की जयंती के उपलक्ष्य में पूरे देश में मनाया जाता है। उन्होंने किसान हितैषी नीतियां लाईं और किसानों के कल्याण की दिशा में बेशुमार काम किया। वह भारत के पांचवें प्रधान मंत्री थे और उन्होंने 28 जुलाई 1979 से 14 जनवरी 1980 तक प्रधान मंत्री के रूप में देश की सेवा की थी। ख़ुद किसान परिवार से होने के चलते वह किसानों की समस्या और स्थिति से अच्छी तरह वाकिफ होते थे, इसलिए उन्होंने किसानों के लिए कई सुधार कार्य किए थे।
23 दिसंबर को किसान दिवस के रूप में मनाने के साथ ही राष्ट्रीय अर्थव्यवस्था में किसानों के महत्व के बारे में लोगों को जागरूक किया जाता है। किसानों और अर्थव्यवस्था में उनकी भूमिका के बारे में लोगों को शिक्षित किया जाता है। इसके लिए कई तरह के कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।
क्या है किसान दिवस का उद्देश्य?
यह दिवस समाज में किसानों के योगदान और देश के समग्र आर्थिक एवं सामाजिक विकास के महत्त्व को समझने के लिये नागरिकों के बीच जागरूकता को बढ़ावा देने हेतु मनाया जाता है। सरकार का उद्देश्य कृषि पर वाद-विवाद और सेमिनार जैसी विभिन्न गतिविधियों का आयोजन करके देश भर के किसानों को प्रोत्साहित करना भी है।
चौधरी चरण सिंह के बारे में क्या है ख़ास?
चौधरी चरण सिंह का जन्म वर्ष 1902 में उत्तर प्रदेश के मेरठ ज़िले के नूरपुर में हुआ था और वह 28 जुलाई, 1979 से 14 जनवरी, 1980 तक भारत के प्रधानमंत्री रहे। उन्होंने साहूकारों से किसानों को राहत देने के लिये ऋण मोचन विधेयक 1939 के निर्माण और उसे अंतिम रूप देने में अग्रणी भूमिका निभाई। चौधरी साहब ने भूमि जोत अधिनियम, 1960 को लाने में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई, जिसका उद्देश्य पूरे राज्य में भूमि जोत की सीमा को कम करना था ताकि इसे एक समान बनाया जा सके। किसानों के मसीहा चौधरी चरण सिंह ने वर्ष 1967 में कांग्रेस छोड़ दी और अपनी स्वतंत्र पार्टी बनाई जिसे भारतीय लोक दल के नाम से जाना जाता है। वे दो बार उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। वे वर्ष 1979 में भारत के प्रधानमंत्री बने।
-PTC NEWS