Saturday 23rd of November 2024

दिल्ली तक ख़ुशबू फैला रहे ऊमरा-गोपालपुर के फूल, सैकड़ों बीघे में हो रही है खेती

Reported by: PTC News उत्तर प्रदेश Desk  |  Edited by: Mohd. Zuber Khan  |  December 19th 2022 01:34 PM  |  Updated: December 19th 2022 01:34 PM

दिल्ली तक ख़ुशबू फैला रहे ऊमरा-गोपालपुर के फूल, सैकड़ों बीघे में हो रही है खेती

मुरादाबाद/लखनऊ: मुरादाबाद के बिलारी क्षेत्र के गांव ऊमरा-गोपालपुर में 30 साल पहले रमन सिंह सैनी ने जब पारंपरिक खेती छोड़कर फूलों की फसल उगाने का निर्णय लिया तो गांव के कुछ लोग उनके इस क़दम से चौंके थे। जैसे-जैसे उनके फूलों की ख़ुशबू कारोबार की शक्ल में दूर-दूर तक फैली तो इस रास्ते पर और लोग भी चल पड़े। 

जानकारी के मुताबिक़ अब गांव की 800 बीघा कृषि भूमि में से 300 बीघा में फूलों की खेती हो रही है। क़रीब एक हज़ार की आबादी वाले इस गांव में सौ से ज़्यादा लोग फूलों की खेती से जुड़े हैं। फूलों के व्यवसाय के लिहाज़ से ऊमरा-गोपालपुर का नाम अब दिल्ली की ग़ाज़ीपुर मंडी तक जाना जाता है। 

आपको बता दें कि गेंदे की अलग-अलग किस्मों और गुलदाऊदी के फूलों की सप्लाई दिल्ली के अलावा अलीगढ़, बरेली, मुरादाबाद ज़िले के कई शहरों में हो रही है। गांव की ज़मीन पर उग रहे फूल दो स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं के जीवकोपार्जन में भी योगदान दे रहे हैं। ये महिलाएं अपने समूह के माध्यम से बैंक से क़र्ज लेकर फूलों की खेती कर रही हैं। 

गेंदे के फूल से गांव को मिली अलग पहचान

रमन सिंह सैनी की पत्नी अब ग्राम पंचायत ऊमरा गोपालपुर की प्रधान भी हैं। रमन सिंह सैनी बताते हैं कि फूलों की खेती ने गांव को नई पहचान दी है। इसी तरह ऊमरा-गोपालपुर गांव निवासी किसान राजेंद्र सैनी का कहना है कि एक बीघा में फूलों की खेती से साल भर में दस से 12 हज़ार रुपये तक की आय हो जाती है। यह बदलाव पारंपरिक्र खेती के मुक़ाबले काफी फायदेमंद साबित हो रहा है।

हालांकि जागरुक किसान बाबू सिंह सैनी का ये भी कहना है कि तेज़ बारिश और आंधी में फूलों की खेती को बड़े पैमाने पर नुकसान पहुंचता है, लिहाज़ा इस घाटे की भरपाई फसल बीमा से नहीं हो पाती, ऐसे में उनकी मांग है कि फूलों की खेती को बीमे का लाभ दिया जाए।

स्वयं सहायता समूह की पदाधिकारी हेमलता सैनी बताती हैं कि फूलों का काम करने वाले परिवारों को दीपावली और शादियों के सीज़न का बेसब्री से इंतज़ार रहता है। उस समय मांग के साथ क़ीमत बढ़ने से फूल उत्पादकों को अच्छा फायदा मिलता है।

-PTC NEWS

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