Tuesday 16th of December 2025

यूपी में कर्मचारियों के लिए नया कानून, काम के घंटे तय

Reported by: Gyanendra Kumar Shukla, Editor, PTC News UP  |  Edited by: Dishant Kumar  |  November 18th 2025 06:52 PM  |  Updated: November 19th 2025 12:07 PM

यूपी में कर्मचारियों के लिए नया कानून, काम के घंटे तय

यूपी में भी देश के तमाम हिस्सों के मानिंद सरकारी सेवाओं को निजी कंपनियों की सेवा से बेहतर माना जाता है। इसकी अहम वजह सुरक्षित सेवा तो है ही साथ ही काम करने की अवधि का नियमन भी है। निजी प्रतिष्ठानों में कार्यरत कर्मचारियों को काम करने के दौरान वाजिब हक दिलाने के मकसद से ही योगी सरकार ने नए प्रावधान तय किए हैं। अब नए सुधारों के जरिए कर्मचारियों के हितों की रक्षा करने की दिशा मे बड़ा कदम उठाया गया है तो वहीं, दंडात्मक कार्रवाई से पहले सुधारात्मक कार्यवाही का भी बंदोबस्त किया गया है। निजी क्षेत्र के कर्मचारियों के हितों के मद्देनजर लिए ये बड़ा कदम माना जा रहा है। 

 

नए प्रावधान अब महज शहरी इलाकों तक ही महदूद नहीं रहेंगे

बीते दिनों योगी सरकार ने दुकान एवं वाणिज्यिक अधिष्ठान अधिनियम 1962 में इसके बाबत जरूरी संशोधन किए  हैं।  अब इस कानून की परिधि में शहरी प्रतिष्ठान ही नहीं आएंगे वरन ग्रामीण व कस्बाई इलाकों सहित पूरे सूबे में इसे लागू किया जाएगा। अधिनियम का दायरा बढ़ा दिया गया है, अब इसके तहत मेडिकल क्लिनिक , पॉलीक्लिनिक, डिलीवरी होम, आर्किटेक्ट, टैक्स कंसलटेंट, तकनीकी सलाहकार, सर्विस प्रोवाइडर, सर्विस सेंटर व इनके समकक्ष सभी व्यावसायिक संस्थान आ जाएंगे।

 

नए बदलाव में महिलाओं के हितों का खास ख्याल रखा गया है

नए श्रम नियमों के जरिए किसी दुकान, व्यावसायिक संस्थान या अन्य ऑफिस में काम करने वाले कर्मचारियों को काम करने के तय समय, उचित सुविधाएं व जरूरी अधिकार मुहैया कराया जा रहा है। महिला कर्मचारियों के सहुलियत के लिहाज से रात की शिफ्ट की अवधि में बदलाव किया। अब रात की शिफ्ट शाम सात बजे से सुबह छह बजे तक मानी जाएगी। जबकि पूर्व में यह अवधि रात नौ बजे से सुबह छह बजे तक हुआ करती थी। नए नियम की वजह से शाम सात बजे के बाद कार्यरत महिलाओं का श्रम नाइट शिफ्ट का माना जाएगा।

 

सभी कर्मचारियों के काम करने के घंटे व ओवरटाइमें में भी बदलाव हुआ

अब प्रतिदिन काम करने के घंटे 8 से बढ़ाकर 9 घंटे कर दिए गए हैं। हालांकि पूरे हफ्ते कुल काम करने की अवधि पूर्व की ही भांति 48 घंटे ही रहेगी। अब किसी प्रतिष्ठान में कर्मचारी से एक दिन में अधिकतम 11 घंटे तक काम लिया जा सकेगा जबकि अभी तक ये मियाद 10 घंटे की हुआ करती थी। ओवरटाइम की सीमा भी तय कर दी गई है। अब कर्मचारी तीन महीने में अधिकतम 144 घंटे काम कर सकता है, पूर्व में अधिकतम 125 घंटे ही ओवरटाइम किया जा सकता था। अब ओवरटाइम करने वाले कर्मचारियों को अतिरिक्त काम के हर घंटे के लिए सामान्य प्रति घंटे की मजदूरी का दोगुना भुगतान दिया जाएगा।

 

कर्मचारियों की सहुलियत की अनदेखी पर नियोक्ता की बढ़ेगी दिक्कतें

जिन जगहों पर कर्मचारियों को खड़े होकर अपना काम करना होता है वहां अब नियोक्ता की जिम्मेदारी होगी कि इन्हें आराम देने के लिए बैठने की व्यवस्था भी करें। अब  नियोक्ता को अपने हर कर्मचारी को अप्वाइंटमेंट लेटर देना जरूरी होगा, जिसमें नौकरी का सारा ब्यौरा दर्ज रहेगा। दुकान एवं वाणिज्यिक अधिष्ठान अधिनियम 1962 में संशोधन के बाद कोताही बरतने पर सजा और जुर्माने के प्रावधान अधिक कड़े हो गए हैं। अभी तक नियमों का पालन न करने पर अधिकतम पांच सौ रुपए तक का जुर्माना लगा करता था। लेकिन अब पहली बार करती करने पर दो हजार रुपए देने पड़ेंगे जबकि दूसरी बार गलती करने पर दस हजार रुपए तक जुर्माना देना पड़ेगा।

बड़े प्रतिष्ठान ही नए संशोधन के दायरे में आएंगे छोटे कारोबारियों को राहत रहेगी

 

यूपी में 26 नवंबर, 1962 को लागू दुकान एवं वाणिज्यिक अधिष्ठान अधिनियम में नवंबर, 2025 में बड़े बदलाव कर दिए गए हैं। हालांकि अभी भी ये प्रावधान उन्हीं प्रतिष्ठानों पर लागू होगा जहां बीस से अधिक कर्मचारी कार्यरत हैं। यानी अधिकांश बड़े व्यवसायिक प्रतिष्ठान-दुकानें इस नए संशोधन के दायरे  आ जाएंगे पर बीस से कम कर्मचारियों वाले छोटे प्रतिष्ठानों पर इस बदलाव का फर्क नहीं पड़ेगा।

 

कोताही पर लगेगा तगड़ा जुर्माना पर सुधार की भी गुंजाइश रखी गई

 

अभी तक के प्रावधानों के अनुसार कोताही बरतने पर संबंधित प्रतिष्ठान के खिलाफ केस दर्ज कर लिया जाता था उसे सुधार का नोटिस देने की व्यवस्था नहीं थी। लेकिन अब अनिवार्य कर दिया गया है कि किसी भी प्रकार के लीगल एक्शन से 15 दिन पहले नियोक्ता को सुधार का नोटिस हर हाल मे दिया जाएगा। न सुधरने पर ही दंडात्मक कार्यवाही की जा सकेगी। श्रम कानून के जानकार मानते हैं कि नए संशोधन को लाने के पीछे सरकार की मंशा बड़े व्यापारिक प्रतिष्ठानों में कार्यरत कर्मचारियों को कानून का ताकतवर संरक्षण देना है। इससे शोषण की प्रवृत्ति पर नकेल कसेगी तो वहीं, कर्मचारियों के दीर्घकालिक हितों की हिफाजत तय हो सकेगी।

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